सम्पादकीय

नशे का जाल

Subhi
23 Dec 2021 2:34 AM GMT
नशे का जाल
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मादक पदार्थों की तस्करी और सेवन को लेकर पंजाब पिछले कई सालों से लगातार चर्चा में रहा है। इसके चलते हजारों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई और बहुत सारे युवा असमय काल के गाल में समा गए।

मादक पदार्थों की तस्करी और सेवन को लेकर पंजाब पिछले कई सालों से लगातार चर्चा में रहा है। इसके चलते हजारों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई और बहुत सारे युवा असमय काल के गाल में समा गए। नशे के कारोबार पर शिकंजा कसने की मांग वहां लंबे समय से होती रही है, मगर सत्तारूढ़ दलों में इच्छाशक्ति की कमी और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण या ढीले-ढाले रवैए की वजह से इस दिशा में कोई भरोसेमंद पहल नहीं हो पाई।

अब एक पूर्व मंत्री के खिलाफ मुकदमा दायर होने से लोगों में कुछ भरोसा बना है कि नशे के इस जाल को तोड़ने की दिशा में कोई व्यावहारिक कदम उठाया जा सकेगा। इन पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया का संबंध शिरोमणि अकाली दल से है और वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के करीबी रिश्तेदार हैं। इसलिए अकाली दल उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को राजनीति से प्रेरित बता रहा है। पंजाब विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं और जाहिर है, यह मुद्दा अब खासा राजनीतिक रंग पकड़ेगा। आशंका है कि उस शोर-शराबे में नशे के संजाल से जुड़े दूसरे लोगों पर शिकंजा कसने का मंसूबा फिर न धरा रह जाए।
मजीठिया के खिलाफ प्राथमिकी वहां की पुलिस ने 2013 से 2016 के बीच नशारोधी विशेष कार्यबल की गहन जांच रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की है। वह रिपोर्ट एसटीएफ ने 2018 में सौंपी थी, मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी। उसे लेकर वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू लगातार आवाज उठाते रहे हैं। यहां तक कि वे लगातार तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी इसके लिए कठघरे में खड़े करते रहे हैं।
इसे लेकर वे इतना हंगामा कर चुके हैं कि कैप्टन की कुर्सी तक खतरे में पड़ गई। उनकी जगह जब चन्नी ने कार्यभार संभाला, तब भी उन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वे नशा कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। आखिरकार उस दिशा में चन्नी सरकार ने पहला कदम उठा लिया है, तो स्वाभाविक ही सिद्धू प्रसन्न दिख रहे हैं। यह कार्रवाई इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि आमतौर पर प्रशासन रसूखदार लोगों के खिलाफ इस तरह के कदम उठाने से हिचकता है। मगर चन्नी प्रशासन ने चुनाव के माहौल के बीच भी ऐसा साहसिक कदम उठाने में हिचक नहीं दिखाई। छिपी बात नहीं है कि मादक पदार्थों की तस्करी का तंत्र इस कदर फैला हुआ है कि वह रसूखदार लोगों की शह के बिना इतने दिन तक फल-फूल नहीं सकता। मजीठिया पर इसके आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं।
मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री का तंत्र ध्वस्त करने के लिए सबसे पहले रसूखदार लोगों पर शिकंजा कसना जरूरी है, मगर देखा जाता है कि इसके लिए जिम्मेदार विभाग अक्सर छोटे-मोटे लोगों को पकड़ कर, खासकर मादक पदार्थों का सेवन करने वालों को पकड़ कर अपनी मुस्तैदी जाहिर करने का प्रयास करते देखे जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों पर बड़े पैमाने पर इसकी खेप उतरती है और उसकी निशानदेही तथा उससे जुड़े लोगों को पकड़ना अभी तक उसके बूते से बाहर ही देखा गया है। ऐसे में अगर मजीठिया जैसे लोगों को पकड़ा जाता है और उनके जरिए पूरे जाल को तोड़ने का गंभीरता से प्रयास किया जाता है, तो यह निस्संदेह प्रशासन का सराहनीय काम कहा जाएगा। मगर चूंकि यह मामला राजनीतिक रंग लेता जा रहा है, इसलिए इसके कितने संतोषजनक नतीजे निकलेंगे, देखने की बात होगी।

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