सम्पादकीय

नशे का बाजार

Subhi
14 March 2022 4:00 AM GMT
नशे का बाजार
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नशीले पदार्थों के उत्पादन और उपभोग पर रोक लगाने के लिए दुनिया के हर देश में कड़े कानून हैं। नशीले पदार्थों की खरीद-बिक्री पर नजर रखने के लिए मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो हैं।

Written by जनसत्ता: नशीले पदार्थों के उत्पादन और उपभोग पर रोक लगाने के लिए दुनिया के हर देश में कड़े कानून हैं। नशीले पदार्थों की खरीद-बिक्री पर नजर रखने के लिए मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो हैं। मगर हकीकत यह है कि ऐसे पदार्थों पर रोक लगाना तो दूर, दिनों-दिन इनकी खपत और कारोबार बढ़ते जा रहे हैं। चिंता की बात है कि अब नशीले पदार्थों की खरीद-बिक्री के लिए इंटरनेट का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। विएना स्थित अंतरराष्ट्रीय स्वापक नियंत्रण ब्यूरो यानी आइएनसीबी ने अपनी पिछले साल की वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि भारत और दक्षिण एशिया में गैरकानूनी वस्तुओं की बिक्री करने वाली इंटरनेट संचालित दुकानों यानी 'डार्कनेट' के जरिए भारी पैमाने पर नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है।

इसमें सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है। ये दुकानें ऐसे पदार्थों का महिमामंडन करने के लिए सामग्री भी प्रसारित करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दवा की शक्ल में भी इन पदार्थों की बिक्री की जाती है। आइएनसीबी ने ऐसी कुछ दुकानों को चिह्नित कर उनकी सूची भी जारी की है। यह एक डरावना तथ्य है। मगर हैरानी की बात है कि ऐसी दुकानों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अभी तक कोई व्यावहारिक कदम क्यों नहीं उठाया जा सका है।

हमारे देश में नशीले पदार्थों ने इस कदर अपनी पैठ बना ली है कि बहुत सारे युवा इनकी लत का शिकार होकर अपनी सेहत चौपट कर रहे या असमय काल के गाल में समा रहे हैं। पंजाब में नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव की भयावह तस्वीरें किसी से छिपी नहीं हैं। अब अमीर और संभ्रांत वर्ग के जलसों में ऐसे नशीले पदार्थों का सेवन फैशन-सा बनता जा रहा है।

बल्कि कई जगह तो विशेष रूप से ऐेसे पदार्थों के सेवन के लिए ही चोरी-छिपे दावतें दी जाती हैं। नारकोटिक्स ब्यूरो कहीं-कहीं कुछ लोगों की धर-पकड़ कर कभी-कभार नशे के कारोबार पर अपनी सख्ती जाहिर करता है, पर हकीकत यही है कि इस कारोबार के मुख्य स्रोत तक उसकी पहुंच नहीं बन पाती। इसी का नतीजा है कि नशे के कारोबारी अब इस कदर बेखौफ नजर आते हैं कि दूसरे देशों से सैकड़ों किलो की मात्रा में नशीले पदार्थों की खेप मंगा लेते हैं। गुजरात के एक बंदरहगाह और दूसरी कई जगहों पर भारी मात्रा में पकड़े गए नशीले पदार्थ इसके प्रमाण हैं।

पुलिस और नारकोटिक्स विभाग पर शक की सुई इसलिए बार-बार जाकर अटक जाती रही है कि कई मामलों में खुद इन्हीं महकमों के लोग शामिल पाए गए हैं। कुछ साल पहले पंजाब के एक डीएसपी श्रेणी के अधिकारी को नशीले पदार्थों को दवा की टिकिया के रूप में बेचने का दोषी पाया गया था।

नशे का कारोबार इसलिए चिंता का विषय है कि यह न सिर्फ युवाओं का जीवन बर्बाद कर रहा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डाल रहा है। मगर सरकारें अभी तक इस कारोबार पर नकेल कसने में विफल ही साबित हुई हैं। इसके लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। मगर पंजाब में जिस तरह एक राजनेता को इस कारोबार में संलिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया, उससे यह संकेत मिलता है कि इस कारोबार की जड़ें राजनीति से भी खाद-पानी ले रही हैं। यह समझ से परे है कि जब आपत्तिजनक सामग्री परोसने वाली साइटें बंद की जा सकती हैं, तो नशे का कारोबार करने वाली वेबसाइटों को बंद करनें में भला क्या अड़चन हो सकती है।


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