सम्पादकीय

नशा मुक्त भारत, केंद्र और राज्यों के समन्‍वय के बिना पूरा नहीं हो सकेगा यह सपना

Triveni
22 Dec 2022 2:12 PM GMT
नशा मुक्त भारत, केंद्र और राज्यों के समन्‍वय के बिना पूरा नहीं हो सकेगा यह सपना
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फाइल फोटो 

यह सही है कि हाल के समय में नशे की तस्करी को रोकने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें भी सक्रिय हुई हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |यह सही है कि हाल के समय में नशे की तस्करी को रोकने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें भी सक्रिय हुई हैं लेकिन नशे के कारोबारियों पर अंकुश लगाना इसलिए कठिन हो रहा है क्योंकि कुछ विदेशी ताकतें भारत में मादक पदार्थ खपाने में जुट गई हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने देश में नशे के कारोबार से निपटने के लिए केंद्र और राज्यों से मिलकर लड़ने की जो आवश्यकता रेखांकित की, वह समय की मांग है। कम से कम यह ऐसा विषय नहीं, जिस पर राज्यों और केंद्र सरकार की एजेंसियों में किसी तरह का मतभेद दिखे। जहां नशे का चलन नई पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है, वहीं उसका कारोबार आतंकियों और अपराधियों के लिए मददगार बन रहा है। देश विरोधी तत्व आम तौर पर नशे के कारोबार में भी लिप्त रहते हैं। नशे का कारोबार देश के अर्थतंत्र को भी कमजोर करने का काम करता है।
यह सही है कि हाल के समय में नशे की तस्करी को रोकने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें भी सक्रिय हुई हैं, लेकिन नशे के कारोबारियों पर अंकुश लगाना इसलिए कठिन हो रहा है, क्योंकि कुछ विदेशी ताकतें भारत में मादक पदार्थ खपाने में जुट गई हैं। उनका काम इसलिए आसान हो गया है, क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद वहां अफीम की खेती बढ़ी है। इसी के साथ अफीम से बनने वाले नशीले उत्पादों को विभिन्न देशों में खपाने का सिलसिला भी तेज हुआ है। इसमें पाकिस्तान का भी हाथ है और इसी कारण गृहमंत्री ने यह कहकर उस पर निशाना साधा कि जो भारत में आतंकवाद फैलाते हैं, वहीं देश में नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं।
एक ऐसे समय जब नशे के कारोबारी हरसंभव रास्ते और यहां तक कि ड्रोन, सुरंग के जरिये भी सीमांत राज्यों में मादक पदार्थ भेज रहे हैं, तब केंद्र और राज्य की सभी एजेंसियों को सतर्कता बरतने के साथ ही आपसी समन्वय भी बढ़ाना होगा। यह अच्छी बात है कि नशा मुक्त भारत का सपना साकार करने के लिए लोकसभा सदस्यों ने नशे के विरुद्ध व्यापक अभियान चलाने और सामूहिकता से कार्य करने का संकल्प लिया, लेकिन यह संकल्प भाव जमीन पर भी नजर आना चाहिए।
यह अपेक्षा इसलिए, क्योंकि कुछ सीमांत राज्यों ने सीमा सुरक्षा बल को नशे के तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने के अधिकार का विरोध किया है। इस विरोध का कोई औचित्य नहीं, क्योंकि यदि सीमाओं की सुरक्षा कर रहे केंद्रीय बल नशीले पदार्थों की बरामदगी और नशे के तस्करों को गिरफ्तार करने में सक्षम रहते हैं तो उन्हें उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का भी अधिकार मिलना चाहिए। समझना कठिन है कि कुछ राज्य सीमा सुरक्षा बल को दिए गए इस आवश्यक अधिकार पर आपत्ति क्यों जता रहे हैं? इस आपत्ति से तो केंद्रीय सुरक्षा बलों के प्रति अविश्वास ही प्रकट होता है। नशा मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए यह भी आवश्यक है कि नशे के चलन के विरुद्ध समाज भी जागरूक हो, क्योंकि युवाओं को नशे के दलदल में धकेला जा रहा है।
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