सम्पादकीय

साफ-सफाई का सपना

Rani Sahu
2 Oct 2021 1:50 PM GMT
साफ-सफाई का सपना
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) 2.0 और कायाकल्प व शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत) 2.0 का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) 2.0 और कायाकल्प व शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत) 2.0 का शुभारंभ किया। इन दोनों प्रमुख योजनाओं का लक्ष्य भारत के शहरों को कचरा मुक्त बनाना है। ये दोनों ही योजनाएं इसलिए भी स्वागतयोग्य हैं, क्योंकि गंदगी के मामले में भारतीय शहरों की गिनती ऊपर होती है। कई बडे़ शहरों में ऐसे-ऐसे गंदे इलाके हैं कि वहां से गुजरना भी खतरे से खाली नहीं होता। कचरा, गंदगी, बीमारी, दूषित पेयजल, दूषित हवा, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि से कई शहरी इलाकों की हालत खराब है। अत: केंद्र के दोनों ही अभियानों की देश को बड़ी जरूरत है। यहां तक कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को भी कचरा मुक्त शहर नहीं कहा जा सकता। स्वच्छता अभियान का लाभ देश ने पहले देखा है, लेकिन अब स्वच्छता पर नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत है। नए अभियान में अगर पिछले अभियान जैसा जोश दिखा, तो कम से कम छोटे शहरों का कायाकल्प हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि स्वच्छ भारत 2.0 मिशन के साथ उनकी सरकार शहरी क्षेत्रों को कचरा मुक्त बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस अभियान में निचले स्तर पर अधिकारियों और स्थानीय निकायों को भी अपना पूरा योगदान देना पडे़गा। अक्सर यह देखा गया है कि किसी भी अच्छी योजना को स्थानीय स्तर पर लापरवाही या उदासीनता के चलते नाकाम कर दिया जाता है। यह ध्यान रखना होगा कि स्थानीय स्तर पर समर्पण का अभाव नए अभियान के समय भी सामने आएगा। मूलभूत ढांचा वही है, उसी ढांचे का उपयोग शहरों को सुधारने के लिए करना है। ताजा अभियानों में शहरी अधिकारियों और स्थानीय प्रतिनिधियों को आईना दिखाना भी जरूरी है। साथ ही, यह भी ध्यान रखना होगा कि जिन देशों में साफ-सफाई की हम दुहाई देते हैं, उन देशों में गंदगी फैलाने पर कैसी कड़ाई होती है, कैसे दंड या जुर्माना लगता है। अभियान के दूसरे चरण में सीवेज, जल निकासी, पेयजल पर विशेष ध्यान देने की व्यवस्था की गई है। अनेक शहरों में सीवेज व जल निकासी का ढांचा फिर से खड़ा करने की जरूरत है, ताकि नए ढांचे के साथ शुद्ध जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रधानमंत्री बोल रहे हैं कि शहरों में कचरे के ढेर को संसाधित किया जाएगा और पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकारी वाकई ऐसा कर सकेंगे? क्या दिल्ली जैसे शहरों से भी कचरा के पहाड़ अब हट जाएंगे?
प्रधानमंत्री के अनुसार, अभी भारत हर दिन लगभग एक लाख टन कचरे का निपटारा कर रहा है। जब 2014 में स्वच्छता अभियान शुरू किया गया था, तब 20 प्रतिशत से भी कम कचरे को निपटारा किया जाता था। आज दैनिक कचरे का लगभग 70 प्रतिशत प्रसंस्करण हो रहा है, अगला कदम इसे पूर्ण 100 प्रतिशत तक ले जाना है। जो लक्ष्य अब इन अभियानों के लिए तय किए गए हैं, उन्हें युद्ध स्तर पर पूरा करना चाहिए। विकसित व स्वस्थ्य देश के लिए स्वच्छता सबसे जरूरी है। हमें गांधी जी का उदाहरण भी हमेशा सामने रखना चाहिए। गांधी जी कहीं भी आंदोलन के लिए जाते थे, तो उनके काम की शुरुआत सार्वजनिक स्थानों पर साफ-सफाई से ही होती थी। इसमें कोई शक नहीं कि सभ्य इंसान बनने की पहली सीढ़ी साफ-सफाई ही है।


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