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सम्पादकीय
DRDO एन्टी कोविड ड्रग : इस घनघोर अंधेरे में भारत के लिए उम्मीद की किरण
Tara Tandi
9 May 2021 12:45 PM GMT
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कोरोना (Corona) शिकार लोगों की गिरती लाशों के बीच जब देश में कहीं मेडिसिन, कहीं आक्सीजन (Oxygen) तो कहीं दो गज जमीन के लिए अफरातफरी मची हुई है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| संयम श्रीवास्तव| कोरोना (Corona) शिकार लोगों की गिरती लाशों के बीच जब देश में कहीं मेडिसिन, कहीं आक्सीजन (Oxygen) तो कहीं दो गज जमीन के लिए अफरातफरी मची हुई है. शासन-प्रशासन को अपना अगला कदम न सूझ रहा हो कि अब क्या करना है और क्या नहीं करना है? तीसरी लहर के बारें में सोचकर मासूम बच्चों के चेहरे नजर आ रहे हैं. दुख की इस घनघोर अंधेरी रात में देश के लिए एक आशा की किरण दिखाई दी है 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज के रूप में. उम्मीद ही नहीं विश्वास रखना है कि यह दवा कोरोना रूपी दैत्य के लिए रामबाण साबित होगी.
रविवार सुबह पेश आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना के 4,03,738 नए मामले सामने आए हैं जबकि 4092 लोगों की मौत हो गई है. अब देश में कुल मामलों की संख्या 2,22,96,414 है जबकि एक्टिव मामलों की संख्या 37,36,648 हो गई है. इसके अलावा अब तक 2,42,362 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. हलांकि देश में कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीनेशन का काम भी ज़ोरों पर है. देश में अब तक टीके की 16.90 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं. लेकिन इन सब के ऊपर जो एक और खबर आई है, उसने भारत समेत पूरी दुनिया को एक उम्मीद की एक नई किरण दिखा दी है. दरअसल, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी की मदद से कोरोना को मात देने के लिए एक दवा तैयार किया है, जिसे ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भी मंजूरी दे दी है. इस दवा का नाम है 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG). यह दवा कोरोना मरीजों में संक्रमण के फैलाव को रोकता है और मरीज इस दवा को लेने के बाद कोरोना से तेजी से ठीक होता है. जानकारों का मानना है कि यह दवा तेजी से अपना असर दिखा रही है और इसकी लागत भी कम है इस वजह से ये देश के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है.
कैसे देश के लिए गेम चेंजर साबित होगी दवा
यह दवा कई मायनों में देश के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है. इस वक्त पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी से कई मौते हो रही हैं. दरअसल मरीजों की तादाद इतनी तेजी से अस्पतालों में पहुंच रही है कि वहां बेड और ऑक्सीजन दोनों की कमी हो गई है. DRDO द्वारा बनाई गई इस दवा से कोरोना संक्रमितों की मेडिकल ऑक्सीजन पर निर्भरता कम हुई है. दरअसल ट्रायल के दौरान पाया गया कि जिन कोरोना संक्रमितों को यह दवा दी गई उनमें से ज्यादातर मरीजों को दवा देने के तीसरे दिन ही मेडिकल ऑक्सीजन सपोर्ट से हटा दिया गया. इसका मतलब कि अगर हम इस दवा का प्रयोग करते हैं तो मरीजों को ऑक्सीजन की कम जरूरत पड़ेगी और वो कोरोना से तेजी से रिकवर होंगे जिससे भारत के मेडिकल सिस्टम पर जो दबाव है वह भी कम होगा.
दूसरी बड़ी बात इसकी कीमत को लेकर है, हालांकि अभी तक इसकी कोई कीमत तय नहीं हुई है लेकिन जेनेरिक मॉलीक्यूल है और ग्लुकोज से मिलती जुलती यह दवा जब भी बाजार में उपलब्ध होगी इसकी कीमत ऐसी होगी जिसे भारत का हर व्यक्ति आसानी से खरीद सकेगा. इस दवा की खास बात है कि इसे पानी के साथ आसानी से लिया जा सकता है. तीसरी बात की आपको समझना होगा कि इतने बड़े देश में हम वैक्सीनेशन का काम इतनी तेजी से नहीं कर सकते, लेकिन हम दवा जरूर लोगों तक पहुंचा सकते हैं. भारत में दवाओं का प्रोडक्शन बड़े पैमाने पर होता है, इसलिए इस दवा का भारी मात्रा में उत्पादन कर हम इसे न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में दे सकते हैं. इससे दो फायदे होंगे पहला की हम दुनिया भर की मदद कर पाएंगे और दूसरा यह कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आएगा.
सबसे बड़ा फायदा ये कि दवा आने के बाद लोगों के अंदर से कोरोना वायरस का डर समाप्त होगा. सोचिए कि अगर आपमें कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको पता होगा की पास वाले मेडिकल स्टोर पर इसकी दवा मौजूद है जिसकी कीमत भी कम है तो आप डॉक्टर से सलाह लेकर उस दवा को खरीद कर खा सकते हैं. बिल्कुल वैसे ही जैसे फिलहाल आप साधारण बुखार होने पर करते हैं.
DRDO के लैब में तैयार हुई है दवा
यह दवा डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (DRDO) के लैब में तैयार हुई है, इसलिए इस पर पूरी तरह से विस्वास किया जा सकता है. यह 2-deoxy-D-glucose दवा DRDO के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज (INMAS) लैब में तैयार हुई है. इस दवा को बनाने में डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज, हैदाराबाद का भी सहयोग है. अप्रैल 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान INMAS-DRDO के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिकुलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद के साथ मिलकर लैब एक्सेरीमेंट किया था. इस एक्सपेरीमेंट में पाया गया कि यह मॉलिक्युल SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी है और वायरस के ग्रोथ को रोकने में भी असरदार है.
क्लिनिकल ट्रायल में कैसा रहा रिजल्ट
INMAS-DRDO वैज्ञानिकों के रिसर्च के आधार पर रेगुलेटरी अथॉरिटीज ने मई 2020 में ही दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दे दी थी. मई से अक्टूबर 2020 के दौरान दूसरे चरण का ट्रायल चला. इस दौरान इस दवा का प्रयोग 17 अस्पतालों में 110 मरीजों पर किया गया. जिसमें पता चला कि इस दवा को लेने के बाद कोरोना संक्रमितों में तेजी से रिकवरी हो रही है. कोविड-19 मरीजों के सामान्य इलाज और इस 2-DG ड्रग के जरिए इलाज में 2.5 दिन का महत्वूपर्ण अंतर देखने को मिला.
दूसरे चरण में भी सफल नतीजों के बाद DCGI ने नवंबर 2020 के दौरान तीसरे चरण की भी अनुमति दी है. इस दौरान 220 मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया गया. यह ट्रायल दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 हॉस्पिटलों में किया गया. जहां देखा गया कि 2-DG दवा लेने के बाद ज्यादा उम्रदराज मरीजों पर इसका अच्छा खासा प्रभाव देखा गया.
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