सम्पादकीय

द्रौपदी मुर्मूः सधी हुई चाल

Subhi
24 Jun 2022 3:25 AM GMT
द्रौपदी मुर्मूः सधी हुई चाल
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एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू आज नॉमिनेशन फाइल करने वाली हैं। विपक्षी दलों ने इस पद के लिए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है।

नवभारत टाइम्स; एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू आज नॉमिनेशन फाइल करने वाली हैं। विपक्षी दलों ने इस पद के लिए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है। वैसे तो दोनों पक्षों की विभिन्न दलों से जुड़े वोटरों को मनाने की प्रक्रिया अभी शुरू ही होने वाली है, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि प्रत्याशी चयन के चरण में ही एनडीए ने विपक्ष को सकते में डाल लगभग निर्णायक बढ़त हासिल कर ली है। जीत-हार से परे इन चुनावों में दोनों पक्षों को सुचिंतित रणनीति और बेहतर तालमेल का परिचय देते हुए 2024 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से खुद को मजबूत स्थिति में पेश करना था। इस दृष्टि से विपक्ष के प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया पर नजर डालें तो तालमेल की कमी शुरू से ही झलकने लगी। अन्य दलों से सलाह-मशविरा किए बगैर टीएमसी की ममता बनर्जी ने जिस हड़बड़ी में विभिन्न दलों की बैठक रख ली, उसे लेकर नाराजगी उस बैठक में ही दिख गई। जैसे-तैसे मामला आगे बढ़ा और नामों पर विचार होने लगा तो एक-एक कर तीन संभावित प्रत्याशियों ने सार्वजनिक तौर पर विपक्षी प्रत्याशी बनने का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। नाम मीडिया में देने से पहले संबंधित व्यक्तियों से सहमति लेने की जरा सी सावधानी इस सार्वजनिक फजीहत से बचा सकती थी। इस सबके बाद जब विपक्ष ने यशवंत सिन्हा का नाम एकमत से घोषित किया तो कुछ घंटों के अंदर ही एनडीए ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति भवन भेजने का प्रस्ताव देकर सबको चौंका दिया।

बेशक आज के माहौल में यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने के पीछे विपक्ष के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के मौजूदा समीकरणों के लिहाज से देखा जाए तो द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाकर एनडीए ने न केवल अपने कुछ दुविधाग्रस्त समर्थक दलों का मजबूत समर्थन हासिल कर लिया बल्कि विपक्षी खेमे में दुविधा और संदेह की स्थिति पैदा कर दी। इन चुनावों में एनडीए के लिए बीजेडी के समर्थन को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था, लेकिन नवीन पटनायक अपने पत्ते नहीं खोल रहे थे। ओडिशा की आदिवासी नेता मुर्मू का नाम सामने आते ही नवीन पटनायक ने इसका स्वागत करते हुए अपने समर्थन की घोषणा कर दी। इसके बाद जेडीयू के नीतीश कुमार ने भी समर्थन का एलान करने में देर नहीं की। मगर सबसे दिलचस्प स्थिति झारखंड मुक्ति मोर्चे की है। वह विपक्षी दलों की उस बैठक में शामिल था, जहां यशवंत सिन्हा का नाम फाइनल किया गया। लेकिन द्रौपदी मुर्मू का समर्थन न करना उसके लिए राजनीतिक तौर पर खासा नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए यशवंत सिन्हा के नाम का समर्थन करने के बजाय पार्टी कह रही है कि अगले सप्ताह बैठक करके उसमें राष्ट्रपति चुनाव पर पार्टी का रुख तय किया जाएगा। नतीजे जब आएंगे तब आएंगे, फिलहाल तो विपक्ष का यह असमंजस ही एनडीए की जीत है।


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