सम्पादकीय

डॉ. एम. चंद्र शेखर का कॉलम:तकनीक से उत्पादन की ओर रुख करना जोखिम भरा फैसला है, इलेक्ट्रिक स्कूटर के जरिए उत्पादन के क्षेत्र में उतरी ओला के सामने ढेरों चुनौतियां हैं

Rani Sahu
18 Aug 2021 2:14 PM GMT
डॉ. एम. चंद्र शेखर का कॉलम:तकनीक से उत्पादन की ओर रुख करना जोखिम भरा फैसला है, इलेक्ट्रिक स्कूटर के जरिए उत्पादन के क्षेत्र में उतरी ओला के सामने ढेरों चुनौतियां हैं
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स्पेनिश में ओला का अर्थ होता है हेलो। तो क्या ओला एक टैक्सी सेवा देने वाली कंपनी रह जाती है

स्पेनिश में ओला का अर्थ होता है हेलो। तो क्या ओला एक टैक्सी सेवा देने वाली कंपनी रह जाती है? या एक टैक्सी शेयरिंग या एक फिन-टेक या फिर नई पीढ़ी की इकोफ्रेंडली ऑटोमोटिव कंपनी? हमारे मन में ये सवाल आ सकता है कि एक दशक से भी कम समय में इतनी विविधता क्यों? क्या यह कंपनी के बोर्ड में युवा लीडरों की विविधता की वजह से है? क्या ओला जैसे कंपनी की विविधता हमें जिंदगी की चुनौतियों से उबरने के लिए विघटनकारी सोच के जरिए अपने भविष्य को आकार देने में मदद कर सकती है?

ओला ने हाल ही में अपना इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किया है। उसका बिजनेस मॉडल और कंपनी का महज एक दशक का इतिहास बहुत कुछ कहता है। यह बाजार में 2010 से है, लेकिन सक्रिय कैब सेवा 2012 में शुरू की। बाजार में अपने प्रवेश के समय उसने सवारियों को तीन मुफ्त यात्रा का प्रस्ताव किया।
इस रणनीति का उद्देश्य भारतीय मध्यम वर्ग को आकर्षित करना और तात्कालिक आकर्षण हासिल कर बाजार पर कब्जा करना था। यही नहीं, उच्च तकनीक का इस्तेमाल कर सुविधा में आसानी, यात्री की सुरक्षा, समय पर यात्रा और कीमत का अनुमान लगाना सुनिश्चित किया। दैनिक यात्रा के लिए ऑटो या टैक्सी लेते समय ओला जैसे फीचर पहले देश में नहीं थे। कंपनी भारतीय ग्राहकों के व्यवहार में अद्‌भुत परिवर्तन लाई। उसने बेहतर सेवाएं देने और कीमतें तय करने पर नजर रखने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया।
पिछले साल ओला ने ऑटोमेटिव सेक्टर में प्रवेश किया और 75वें स्वतंत्रता दिवस पर पर्यावरण बचाने के लिए इलेक्ट्रिक स्कूटर को लॉन्च किया। ओला कैब टैक्सी मॉडल बिना कोई कार खरीदेे सफल रहा। इसके विपरीत इलेक्ट्रिक स्कूटर में प्रयोग माल ओला का है। यह उसके बिजनेस मॉडल में बड़ा बदलाव है। यही नहीं टेक्नोलॉजी से उत्पादन क्षेत्र में जाना ओला द्वारा देश में पहली बार स्थापित किया गया साहसिक उदाहरण है। कंपनी के टैक्सी बिजनेस में बहुत अधिक कर्मचारी नहीं थे, लेकिन इस नए काम के लिए उन्हें बड़ी संख्या में कर्मचारियों की जरूरत होगी।
टैक्सी को बहुत प्रतिद्वंद्विता का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि वह इस क्षेत्र में पहली थी, लेकिन अब उसे पहले से स्थापित हीरो, बजाज व होंडा जैसे उभरते इलेक्ट्रिक खिलाड़ियों से मुकाबला करना होगा। देश में लोग तेल की रोज बढ़ती कीमतों की वजह से ईंधन पर कम खर्च करना चाहते हैं और इस इलेक्ट्रिक स्कूटर की ओर उत्सुकता से देख रहे हैं।
अनेक भारतीय कंपनियों ने उत्पादन से तकनीक का रुख किया है, लेकिन ओला का तकनीक से निर्माण में जाना साहसिक और चुनौती भरा है, जबकि वह ब्रांड ओला पर दांव लगा रही है। देश ने एक दशक पहने टाटा नैनो का परिणाम देखा है। अब ओला की बारी है जो अपने हाईटेक फीचर वाले इलेक्ट्रिक स्कूटर से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में कुछ बड़ा करने के प्रति आश्वस्त है। उम्मीद है कि ओला का यह कदम स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म देगा। यह बड़ी संख्या में रोजगार पैदा करेगा, निर्यात बढ़ाएगा, पर्यावरण और ऊर्जा बचाएगा। साथ ही नए उद्यमियों में भारतीय सिलिकॉन वैली के निर्माण के लिए उत्साह जगाएगा।


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