सम्पादकीय

कोरोना पर दोहरा राग: कुंभ पर हाहाकार, लंदन में यूरो कप फुटबॉल मैच के जश्न पर चुप्पी

Tara Tandi
11 July 2021 12:45 PM GMT
कोरोना पर दोहरा राग: कुंभ पर हाहाकार, लंदन में यूरो कप फुटबॉल मैच के जश्न पर चुप्पी
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हरिद्वार कुंभ में उमड़ी भीड़ पर भारत की लानत-मलानत करने वाली विदेशी मीडिया के 8 जुलाई को लंदन के वेंबले स्टेडियम के बाहर और शहर की गलियों में जु़टी भीड़ को देखकर आंख पर पट्टी बांध लेने पर सोशल मीडिया में जमकर खिंचाई हो रही है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयम श्रीवास्तव | हरिद्वार कुंभ में उमड़ी भीड़ पर भारत की लानत-मलानत करने वाली विदेशी मीडिया के 8 जुलाई को लंदन के वेंबले स्टेडियम के बाहर और शहर की गलियों में जु़टी भीड़ को देखकर आंख पर पट्टी बांध लेने पर सोशल मीडिया में जमकर खिंचाई हो रही है. ब्रिटेन की इस भीड़ पर आंखें बंद करने वाले ये जान लें कि अभी ब्रिटेन की हालत सुधरी नहीं है. अभी वहां 37 हजार के करीब कोरोना के नए केस हर रोज आ रहे हैं. ब्रिटेन की तुलना अगर भारत की जनसंख्या के आधार पर करें तो वहां भारत से भी खराब स्थित है. औसतन ब्रिटेन में उतने ही मामले आज आ रहे हैं जितने भारत में चरम पर आ रहे थे. पर ब्रिटेन की गलियों और सार्वजिनक स्थानों पर जुटी भीड़ किसी को नहीं दिख रही है. कोरोना की रिपोर्टिंग कर रहे विदेशी मीडिया हाउसेस का इस तरह का दोहरा व्यवहार लोगों के गले नहीं उतर रहा है.

इसके साथ ही मीडिया हाउसेस की उन दोहरे मापदंडों की भी आलोचना हो रही है कि कैसे बड़े अमीर देशों के सनसनीखेज मामलों को मीडिया या तो दिखाता नहीं और यदि दिखा दिया तो विरोध होने पर तुरंत माफी भी मांग लिया जाता है. इस तरह के वे मामले जिसमें विदेशी मीडिया ने असंवेदनशीलता बरती उसके लिए माफीनामा की भी मांग की जा रही है . भारत में कोरोना संक्रमण के भीषण काल के दौरान विदेशी मीडिया ने श्मशान घाटों में सामूहिक चिताओं की जलते हुए फोटो, नदियों के किनारे रेत में दबाए गए शवों को जूम करके सनसनीखेज रिपोर्टिंग की.
ब्रिटेन से कभी नहीं आई असंवेदनशील फोटो या खबर
एक छोटा सा देश ब्रिटेन जनसंख्या और क्षेत्रफल दोनों में भारत से कुई गुना कम है. इस देश में कोरोना से मरने वाले का अनुपात भारत के मुकाबले कम से 9 गुना अधिक है. प्रति 10 लाख लोगों पर जहां कोरोना से भारत में 266 लोग मरे हैं वहीं ब्रिटेन में मरने वालों की संख्या 1875 है. फिर भी किसी देशी-विदेशी मैगजीन या चैनल पर किसी कब्रिस्तान की कोई ऐसी फोटो नहीं आई होगी जहां शवों के दफन के लिए लाइन लगी हो या थोक के भाव में शवों को दफनाया जा रहा हो. ऐसा नहीं है कि ब्रिटेन में शवों को दफनाने के लिए बहुत जगह है और बिना लाइन लगाए हजारों शवों को दफनाया जा सकता है. पर वहां ऐसी तस्वीरें मीडिया में नहीं आई हैं. वहां के लोगों ने भी इस तरह की पिक न तो क्लिक की और न ही वायरल की. ब्रिटेन ही नहीं किसी भी यूरोपीय देश या अमेरिका से ऐसी खबरें या फोटो नहीं आईं.
आपको याद दिला दूं कि डेनमार्क में एक खिलाड़ी मैच के दौरान हार्ट अटैक का शिकार हो गया तो प्लेयरों ने उसे घेर लिया ताकि लोग उसकी दुर्दशा की फोटो न ले सके. एक विदेशी मीडिया संस्थान जो भारत की ऐसी दुर्दशा भरी खबरों को दिखाता रहता है उसे डेनमार्क में हुई इस घटना का प्रसारण इतना महंगा पड़ा कि उसे माफी मांगनी पड़ी. अब लोग याद दिला रहे हैं कि जिस तरह यूरो कप के मैच के दौरान यूरोपियन फुटबॉल प्लेयर के हार्ट अटैक को लाइव दिखाने के बाद माफी मांगने वाला मीडिया हाउस भारत में अपनी इस तरह के हरकतों पर माफी क्यूं नहीं मांगता?
लंदन की सड़कों पर भीड़
शुक्रवार को लंदन की सड़कों, बार और रेस्त्रां में जश्न मनाते लोगों की जबरदस्त भीड़ देखी गई. इंग्लैंड की जीत का जश्न मनाते सपोर्टर बसों के ऊपर चढ़ गए थे. उसके बाद से ही ट्वीटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए कि मीडिया में इस तरह का दोहरा व्यवहार क्यों ? भारत में कोरोना के चरमोत्कर्ष के समय जब कुंभ मेला चल रहा था वहां की फोटो और खबरें दुनिया भर के अखबारों और मीडिया हाउसों में थीं पर यूके में हुई भीड़ पर किसी ने उसे प्रमुखता ने प्रकाशित नहीं की. यूके में शुक्रवार को 35707 नए मामले कोरोना के सामने आए. गुरुवार को करीब 32551 मामले सामने आए थे. इस तरह पिछले सप्ताह का औसत ब्रिटेन का प्रति 10 लाख लोगों पर करीब 410 मामले रहा जो कि विश्व में सबसे खराब है. इस बीच ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर बोरिस जानसन ने 19 जुलाई से देश से प्रतिबंधों को हटाने की बात कर रहे थे. जिसका करीब 4000 वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और नर्सों और अन्य प्रफेशनल्स ने बुधवार को एक लेटर जारी कर प्रतिबंधों को हटाने को खतरनाक बताया है. इस बीच अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को ट्विटर पर लोग वेंबले स्टेडियम के बाहर की फोटो डालकर लिख रहे हैं कि ये कुंभ मेला की फोटो नहीं है. क्या मीडिया इसे उचित जगह देगा और बतायेगा कि यहां कैसे कोविड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
फुटबॉल मैच के दौरान बीमार हुए खिलाड़ी को साथी खिलाड़ियों ने घेर लिया था
डेनमार्क की राजधानी में यूरोपियन फुटबॉल के सबसे बड़े टूर्नामेंट यूरो कप 2020 (UEFA Euro 2020) के दूसरे ही दिन एक खौफनाक हादसा हो गया. कोपेनहेगन में डेनमार्क और फिनलैंड (Denmark vs Finland) के मुकाबले के दौरान एक खिलाड़ी अचानक चक्कर खाकर गिर गया, जिसके चलते मैच को काफी देर तक रोकना पड़ा . मेडिकल टीम ने एरिक्सन को सीपीआर देने की कोशिश भी की. इस दौरान डेनमार्क के खिलाड़ियों के चेहरों पर दर्द और खौफ दिख रहा था. फिर भी उन्होंने हिम्मत रखते हुए अपने साथी खिलाड़ी को कैमरों और फैंस की नजरों से बचाने के लिए चारों ओर से घेर लिया. लेकिन भारत में लोकप्रिय एक विदेशी मीडिया हाउस ने इस दौरान लाइव प्रसारण किया. इस मीडिया हाउस का कैमरा न केवल खिलाड़ी बल्कि इस दौरान मैदान में मौजूद हैरान-परेशान उनकी बीवी की फोटो को लगातार लाइव दिखाता रहा. पर इस तरह के कृत्य पर लगातार आलोचना होने पर मीडिया हाउस ने अपनी गलती के लिए माफी मांग ली.
क्या भारत जैसे देशों के साथ इस तरह का व्यवहार नस्ली है
फुटबॉलर एरिक्सन के साथ घटी घटना पर विदेशी मीडिया हाउस का माफी मांगना हो या वेंबले स्टेडियम के सामने की भीड़ की रिपोर्टिंग भारत में कुंभ मेले जैसे करने की बजाय आंख मूंद लेने का मामला हो एक प्रकार का अंतर साफ झलकता है. क्या इसके पीछे कोई नस्ली सोच तो नहीं है. कोरोना के मुकाले मे भारत ने शुरू से विश्व लेवल पर जैसी तेजी दिखाई है निश्चित है कि विश्व के तमाम इलिट देशों में इससे चिढ़ तो मची ही है. चाहे वैक्सीन की बात हो या दवाओं की भारत दुनिया में अमीर और शक्तिशाली देशों से किसी भी मामले में कम नहीं रहा है. दुनिया में सबसे पहले वैक्सीन बनाने में , सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन करने में, सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट करने में भारत ने तथकथित अमीर और शक्तिशाली देशों को पीछे छोड़ दिया है. जिस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था इन अमीर देशों से मीलों पीछे रही है वहां इन देशों से अच्छी तरह से कोरोना का मुकाबला किया गया है. ये बात विदेशी मीडिया हजम नहीं कर पा रही है.


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