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इस रविवार को मैं अपने नियमित हेयर ड्रेसिंग सैलून गया
एन. रघुरामन
इस रविवार को मैं अपने नियमित हेयर ड्रेसिंग सैलून गया, वहां उसका मालिक मुझे उस आइडिया के लिए धन्यवाद दे रहा था, जो उसे मैंने कई महीनों पहले दिया था। उस समय मैंने देखा था कि एक अमीर आदमी सैलून में आया और पूछा, 'क्या तुम्हारे पास आईफोन चार्जर है?' और वहां के कर्मचारी ने व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ कहा, 'हम यहां बाल काटते हैं सर, कहां आईफोन जैसे ब्रांड्स खरीदेंगे, यहां हममें से किसी के पास आईफोन नहीं है, इसलिए उसका वायर भी नहीं है।'
ग्राहक को थोड़ी शर्मिंदगी हुई, हालांकि वो बात पर कायम रहा और बाहर निकलते हुए कहता गया कि 'कैसा सैलून है, जहां आईफोन चार्जर तक नहीं। तुम लोग बाल काटने का इतना पैसा लेते हो और बेसिक सुविधाएं नहीं देते?' उसके जाने के बाद इस बातचीत से तिलमिलाया मालिक इमोशनली दुखी हो गया और कहा, 'मुझे समझ नहीं आता कि मैं सैलून चला रहा हूं या टेक कंपनी। क्या आईफोन का चार्जर बेसिक सुविधाओं में आता है। इस तरह के गैर-जिम्मेदार नए अमीरों को मैं सिर पर नहीं चढ़ाना चाहता, जिनकी उम्मीदें सच्चाई से मेल नहीं खातीं।
हेयरकटिंग शॉप पर ऐसी दिखावे की चीजें मांगना बहुत ज्यादा है।' इस तरह के ग्राहकों की बेफिजूल की मांग पर वह शिकायतें करे जा रहा था। मैंने शांति से उसे कहा, ऐसी बातों से इमोशनल होने की जरूरत नहीं, पर एक दूरदर्शी बिजनेसमैन होने के नाते बिजनेस के लिहाज से आकलन करना चाहिए। अपना मैनेजमेंट ज्ञान जोड़ते हुए मैंने उसे नई उम्र के ग्राहकों के साथ आने वाली परेशानियां बताईं कि अगर नेट कनेक्शन न हो या फोन की बैटरी जा रही हो, तो ये लोग एक जगह नहीं ठहरते।
इस तरह के खर्चीले ग्राहकों को लुभाने और सैलून पर ज्यादा देर तक रोकने के लिए, ताकि वे और सेवाएं इस्तेमाल करें, चंद हजार रुपयों का निवेश करना चाहिए और हर सीट के बगल में आईफोन प्लग पॉइंट के साथ ढेर सारे लटकते तार छोड़ना चाहिए ताकि न सिर्फ आईफोन बल्कि कोई भी फोन चार्ज हो सके। इसके अलावा इंटरनेट राउटर रखना चाहिए ताकि ग्राहक जब तक सैलून में रहें, कितनी भी डाउनलोडिंग कर सकें।
उसने हाल ही में वो बदलाव किए और तबसे वह देख रहा है कि ग्राहकों का सैलून में बिताया जाने वाला समय काफी बढ़ा है। दिलचस्प रूप से, जहां नए प्लग पॉइंट नहीं लग सकते थे, उसने वायरलैस चार्जर खरीदा। मैंने बस इतना कहा, 'क्या तुमने 11 महीने पहले मेरी बात सुनी थी, उस अमीर आदमी की बात से दुखी हुए बिना तुमने अच्छा बिजनेस किया होगा।' वह मुस्कराकर मेरी बात से सहमत हुआ।
मैंने उसे कहा कि अगर रावण ने अपने भावावेश के शांत होने का इंतजार किया होता, जो कि अपनी बहन का पक्ष सुनकर भावुक हो गया था, तो रामायण की कहानी कुछ और ही होती, आज हम जिसे सुनकर बड़े हुए हैं। इमोशंस वाकई हमारी जिंदगी के ज्यादातर निर्णयों के लिए जिम्मेदार होते हैं। चूंकि हम इस हमेशा बदलती दुनिया में रहते हैं, हमारे पास सोचने के लिए और भी चीजें हैं। हम रोज सैकड़ों निर्णय लेते हैं।
नाश्ते में क्या खाएं से लेकर जटिल बिजनेस रणनीति तक। चूंकि हमारी इंद्रियां बहुत सारे इनपुट देती रहती हैं और हरेक नई जानकारी देती है, ऐसे में हम इसे पहचानने के लिए पुराने अनुभवों की ओर देखते, समझते हैं और दुनिया के बारे में हमारे नजरिए के हिसाब से काम करते हैं। कभी-कभी हमारा दिमाग फटाफट निर्णय के लिए शॉर्टकट लेता है, जिसे ह्यूरिस्टिक कहते हैं, जिससे हम कोई बड़ी समस्या के कुछ हिस्से को तवज्जो देते हैं।
फंडा यह है कि भावनाओं के प्रभाव में आकर कोई काम किया हो या नहीं किया हो, निर्णय लिया हो या नहीं लिया हो, पर इससे हमारी जिंदगी में आनंद जरूर कम हो जाता है।
Rani Sahu
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