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- आवारा गाय नहीं, मीडिया...
लोग बार-बार जिलाधीश कार्यालय आकर आवारा पशुओं की शिकायत करते, लेकिन उपायुक्त महोदय इस पक्ष में नहीं हैं कि इन्हें एकदम हटा दिया जाए। उन्हें भय है कि आवारा हो चुके पशुओं को अगर बंद कर दिया गया, तो वे कहीं आत्महत्या ही न कर लें। लोकतंत्र आजकल आत्महत्या से डरने लगा है। मध्य प्रदेश में कुछ पत्रकार इसीलिए नंगे कर दिए गए, ताकि वे चाहकर भी आत्महत्या न कर सकें। सवाल यह नहीं कि लोग आत्महत्या करते क्यों हैं, बल्कि यह है कि आत्महत्याओं से बचाने के लिए उन्हें नंगा कैसे किया जाए। नंगा होने के लिए अपने देश ने इतना माहौल तो तैयार कर ही दिया है कि क्या पढ़े-लिखे और क्या अनपढ़। परीक्षा में नकल दरअसल ऐसा ही नंगापन है, लेकिन यकीन मानें आज तक किसी नकलची बच्चे ने कभी खुदकुशी करने की नहीं सोची। मरे वही जो साल भर कोशिश करके भी पढ़ाई में खुद को नहीं बटोर पाए। दरअसल भारत में दो तरह के समाज पैदा हो चुके हैं। एक ऐसा समाज है जो देश की व्यवस्था में आदर्शों का आवरण ढूंढते-ढूंढते इतना कंगाल हो जाता है कि उसे अपने ही चरित्र पर भरोसा नहीं होता। दूसरी ओर खड़े समाज से सीखें जो पूरे देश को नंगा करके भी हमारा आदर्श बन जाता है।