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जनता से रिश्ता वेबडेसक | देशव्यापी रेल रोको आंदोलन का शांतिपूर्वक समापन किसी राहत से कम नहीं है। 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में जिस तरह से उपद्रव हुआ था, उसके बाद रेल रोको आह्वान पर भी चिंता जताई जा रही थी। देश के करीब आधे राज्यों में रेलों को रोकने की खबरें सामने आई हैं, चूंकि अब किसानों को तमाम विपक्षी दलों का समर्थन मिलने लगा है, अत: कुछ जगहों पर राजनीतिक झंडे के तले भी रेल परिचालन को बाधित किया गया। दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे के बीच रेल रोकने की कोशिश विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में ज्यादा हुई है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में भी आंशिक असर देखा गया है। रेलवे का यही मानना है कि देश भर में ट्रेनों के चलने पर नगण्य या न्यूनतम प्रभाव पड़ा है और चार बजे के बाद रेल सेवाएं सामान्य हो गईं। रेलवे ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर ध्यान केंद्रित करते हुए देश भर में सुरक्षा बलों की 20 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती की थी। किसानों ने भी संयम का परिचय दिया है और यकीनन उनके आंदोलन की आवाज सरकार तक फिर पहुंची है।