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- ई-रुपये पर जल्दबाजी ना...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि डिजिटल रुपये से फाइनैंशल टेक्नॉलजी की दुनिया में बड़े बदलाव आएंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति ई-रुपया के बदले कैश यानी नकदी हासिल कर सकेगा। डिजिटल करंसी से नोटों की छपाई, प्रबंधन और लाने ले जाने पर जो खर्च होता है, उसमें भी बचत होगी। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि अगले वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया लाएगा। वैसे, यह कोई नया प्रस्ताव नहीं है। 2017 में सरकार की एक उच्चस्तरीय समिति ने भी रिजर्व बैंक को सेंटल बैंक डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) लाने का सुझाव दिया था। इधर, दुनिया के कई देशों में केंद्रीय बैंक डिजिटल करंसी को लेकर प्रयोग कर रहे हैं। इनमें चीन, जापान और स्वीडन जैसे देश शामिल हैं। बहामाज और नाइजीरिया ने तो अपने सीबीडीसी लॉन्च भी कर दिए हैं। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर सीबीडीसी के फायदे और नुकसान को लेकर बहस भी चल रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि लोगों को पेमेंट का सस्ता जरिया मिलेगा। उन लोगों को खासतौर पर फायदा होगा, जिनकी पहुंच बैंकों तक नहीं है।
नवभारत टाइम्स