सम्पादकीय

भ्रष्टों का बचाव न हो

Subhi
27 July 2022 3:07 AM GMT
भ्रष्टों का बचाव न हो
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल चीफ ममता बनर्जी ने अपने मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी पर कहा है कि 'अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे सजा जरूर मिले, मैं करप्ट लोगों का बचाव नहीं करती, लेकिन एक निश्चित समय सीमा में सच सामने लाया जाना चाहिए।

नवभारत टाइम्स; पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल चीफ ममता बनर्जी ने अपने मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी पर कहा है कि 'अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे सजा जरूर मिले, मैं करप्ट लोगों का बचाव नहीं करती, लेकिन एक निश्चित समय सीमा में सच सामने लाया जाना चाहिए।' यह ऐसे मामलों में उनकी अब तक की प्रतिक्रिया से अलग है। ध्यान रहे, पार्थ चटर्जी कोई सामान्य मंत्री नहीं हैं। ममता बनर्जी सरकार में उनकी हैसियत नंबर दो की मानी जाती है। पार्टी में भी वह महासचिव पद पर हैं। ऐसे ताकतवर नेता की गिरफ्तारी पर दो दिनों की चुप्पी के बाद जब ममता ने मुंह खोला भी तो उनके बचाव में कुछ नहीं कहा। दिलचस्प है कि यह प्रतिक्रिया इस मामले में उनके शुरुआती रिस्पॉन्स से भी मेल खाती है। खबरों के मुताबिक, गिरफ्तारी के बाद पार्थ चटर्जी ने मुख्यमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की थी। नियमानुसार उन्हें अपने परिजनों और संबंधियों से बात करके उन्हें गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार था और इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने अपने करीबी रिश्तेदारों के बजाय मुख्यमंत्री को फोन किया। लेकिन तीन बार प्रयास करने के बावजूद दूसरी तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। वैसे इस तथ्य की व्याख्या अलग-अलग तरह से की जा सकती है।

बीजेपी कह भी रही है कि यह मामला है ही इतना बड़ा कि तृणमूल चीफ चाहकर भी इसका बचाव नहीं कर सकतीं। लेकिन सिर्फ तृणमूल ही नहीं, ऐसे मामलों में तमाम पार्टियां अपनों का बचाव करने में किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती रही हैं। चाहे महाराष्ट्र की पिछली एमवीए सरकार के मंत्रियों पर कसते शिकंजों की बात हो या दिल्ली की आप सरकार के मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की या कांग्रेस में गांधी परिवार को निशाना बनाने की- हर मामले में केंद्र सरकार और बीजेपी द्वारा केंद्रीय अजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप जड़कर काम चलाया जाता रहा है। हाल के वर्षों में यह पहला मामला है जब किसी विपक्षी पार्टी से जुड़े मुख्यमंत्री ने सेंट्रल अजेंसी ईडी द्वारा अपनी पार्टी के किसी नेता के खिलाफ की गई कार्रवाई पर पलटवार करने के बजाय उसे संदेह का लाभ देते हुए जल्द से जल्द जांच पूरी करने को कहा है। हालांकि इससे न तो केंद्रीय अजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप समाप्त होते हैं और न ही उन अजेंसियों को ज्यादा प्रफेशनल बनाते हुए उनकी विश्वसनीयता बढ़ाने की जरूरत कम होती है। फिर भी इससे यह संदेश जाता है कि विपक्षी पार्टियों का नेतृत्व इस संभावना से वाकिफ है और इसे स्वीकार करने का साहस भी रखता है कि गड़बड़ियां खुद उसके घर में भी हो सकती हैं। निश्चित रूप से यह साहस दिखाकर ममता ने एक पॉजिटिव संदेश दिया है। लेकिन इसके बाद अब उनसे अपना घर साफ करने का संकल्प दिखाने की भी अपेक्षा बन जाती है। वह चाहें तो पार्थ चटर्जी के खिलाफ आरंभिक कार्रवाई से इस सफाई अभियान की शुरुआत कर सकती हैं।


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