सम्पादकीय

महामारी से सीख नहीं

Gulabi
1 Nov 2021 6:15 AM GMT
महामारी से सीख नहीं
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बर्लिन में जारी कई गई एक ताजा रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक की तरफ स्थापित एक संस्था ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस

अक्सर यही होता है कि जब मुसीबत गुजर जाती है, तो उस दौरान भुगती गई बातें भी बिसरा दी जाती हैँ। और फिर सब कुछ पहले जैसा चलने लगता है। अभी दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना महामारी मौजूद है, लेकिन अभी से रिपोर्टें सामने आने लगी हैं कि दुनिया ने महामारी के सबक को भुला दिया है। Corona crisis in world


लोगों में अगर अतीत की गलतियों या मुसीबतों से सबक लेने की सहज प्रवृत्ति होती, तो शायद दुनिया बहुत सी मुश्किलों से बच सकती थी। लेकिन अक्सर यही होता है कि जब मुसीबत गुजर जाती है, तो उस दौरान भुगती गई बातें भी बिसरा दी जाती हैँ। और फिर सब कुछ पहले जैसा चलने लगता है। अभी दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना महामारी मौजूद है, लेकिन अभी से इस बात की तथ्यात्मक रिपोर्टें सामने आने लगी हैं कि दुनिया ने महामारी के सबक को भुला दिया है। वह अपनी गलतियों से सीखने में विफल रही है।

बर्लिन में जारी कई गई एक ताजा रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक की तरफ स्थापित एक संस्था ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) ने महामारी की वैश्विक प्रतिक्रियाओं का निष्कर्ष बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोविड-19 महामारी के पहले वर्ष के अनुभवों को गंभीरता से लेने और विज्ञान के आधार पर तेजी से कार्य करने में में दुनिया विफल रही है। जबकि इस महामारी ने दुनिया के तौर-तरीके में मौजूद कई गंभीर समस्याओं को उजागर किया है। महामारी ने एक ऐसी दुनिया की तस्वीर पेश की है जो असमान, विभाजित और अनियंत्रित है। जो स्वास्थ्य आपातकाल पैदा हुआ, उससे सामने आया कि हमारी पारिस्थितिकी यानी इकॉलॉजी बिखराव का शिकार है।

मौतों की आधिकारिक संख्या पचास लाख के करीब पहुंचने वाली है। लेकिन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोविड-19 से जुड़ी अधिक मृत्यु दर को ध्यान में रखते हुए डब्लूएचओ का अनुमान है कि कुल मृत्यु दर दो से तीन गुना अधिक हो सकती है। फिर टीकाकरण दरों के मामले में अमीर और गरीब देशों के बीच गहरा मतभेद नजर आता है। विश्व व्यापार संगठन की प्रमुख एनगोजी ओकोंजो-इविएला ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि दुनिया भर में छह अरब से अधिक टीकों के डोज लगाए गए हैँ। लेकिन उनमें गरीब देशों में केवल 1.4 प्रतिशत लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया जा सका है। इसके अलावा महामारी में जो दिखा, उसे सामान्य मान कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। असलियत यह है कि महामारी ने हमें यह बताया कि दुनिया ने इस तरह की आपदाओं के निपटने के लिए तैयार नहीं है। बहरहाल, अच्छी बात यह है कि कोविड-19 का टीका जल्द विकसित कर लिया गया। यह दुनिया की वैज्ञानिक प्रगति का सूचक है, जिस पर दुनिया गर्व कर सकती है।
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