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जब-जब हाथों की तारीफ होती है, कंधों को शिकायत भी रहती होगी
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:
जब-जब हाथों की तारीफ होती है, कंधों को शिकायत भी रहती होगी। हाथ काम करके प्रशंसा पाने के अधिकारी तो हो जाते हैं, लेकिन जिन कंधों पर ये टिके होते हैं, लोग उनको भूल जाते हैं। दुनिया में उपेक्षा और भेदभाव सभी को आहत करते हैं। हमारे साथ कोई उपेक्षा का व्यवहार करे, भेदभाव कर जाए, तो हमें क्या करना चाहिए? प्रतिकार नहीं करेंगे तो हो सकता है घुटन महसूस हो।
इसका निराकरण यदि अहंकार से करेंगे तो हो सकता है भीतर शत्रुता का भाव जाग जाए। तो अपने अधिकार को मांगने व पाने में संकोच न करें, और बहुत प्रेम से इस बात की शिकायत दर्ज करवाएं कि यहां हमारी उपेक्षा हुई है, हमारे साथ भेदभाव हुआ है।
इसके लिए प्रेमपूर्ण होना पड़ेगा, वरना ऐसी शिकायत भी कलह का कारण बन जाएगी। यह भी तय है कि उपेक्षा और भेदभाव की घटनाएं जीवन में होती ही रहेंगी। संकोची लोगों के साथ ऐसी स्थितियां अधिक होती हैं। तो ऐसे समय संकोच किए बिना अपनी मुखरता को सामने लाएं, लेकिन बड़े प्रेम के साथ, मीठेपन के साथ।
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