सम्पादकीय

सतर्कता का दामन न छोड़ें

Subhi
24 Oct 2021 1:30 AM GMT
सतर्कता का दामन न छोड़ें
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कोविड टीकाकरण का आंकड़ा सौ करोड़ को पार करना उल्लेखनीय सफलता है। इतनी बड़ी आबादी को टीका दे पाना आसान काम नहीं था।

आदित्य नारायण चोपड़ा: कोविड टीकाकरण का आंकड़ा सौ करोड़ को पार करना उल्लेखनीय सफलता है। इतनी बड़ी आबादी को टीका दे पाना आसान काम नहीं था। हमने कभी कल्पना ही नहीं की थी कि सौ करोड़ के लक्ष्य को हम दिसम्बर से पहले पूरा कर पाएंगे लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 65 फीसदी से कम आबादी का ही टीकाकरण हो पाया है। बिहार और झारखंड में 20 प्रतिशत से कम आबादी को टीके की दोनों खुराक मिल पाई हैं। बड़ी आबादी ऐसी है ​जिसे अभी तक सिंगल डोज भी नहीं मिल पाई है। सम्पूर्ण व्यस्क आबादी को पूरी तरह टीकाकरण के दायरे में लाने के लिए अब भी 90 करोड़ टीके लगाने की जरूरत है। दो वर्ष से ऊपर के बच्चों को अभी 80 करोड़ डोज लगाने होंगे। इसका अर्थ यही है कि अभी 170 करोड़ टीके लगाने का काम बाकी है। चिंताजनक बात यह है कि रूस और चीन में कोेरोना फिर से सिर उठाने लगा है। ब्रिटेन में 67 फीसदी और सिंगापुर में 80 फीसदी लोग टीका लगवा चुके हैं, फिर भी वहां कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। रूस में 24 घंटों में कोरोना से 1,064 लोगों की मौत ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को हिला कर रख ​दिया है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने 7 नवम्बर तक छुट्टियां घोषित कर दी हैं। पाबंदियों को फिर से सख्त करने का ऐलान किया है। चीन से हालांकि सही खबरें बाहर नहीं ​निकलतीं लेकिन चीन में भी कोरोना का नया वेरिएंट सामने आने की खबरें छन-छन कर आ रही हैं। इसलिए हम सबको फिर से सतर्क रहना होगा। करवाचौथ पर्व की पूर्व संध्या पर दिल्ली के बाजारों में भीड़ देखकर तो ऐसा लगा जैसे लोगों में कोरोना का कोई खौफ ही नहीं रहा। अधिकांश लोगों ने मास्क पहनना छोड़ दिया है। कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अब दीपावली आने वाली है। दो वर्ष से रुके लोग उत्सव के​ लिए खरीददारी करने के​ लिए बाजारों में उमड़ेंगे। डर इस बात का है कि लोगों की असावधानियां डाक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की लगातार की जा रही मेहनत पर पानी न फेर दें। सौ करोड़ को टीका लगाने के बाद उपलब्धि पर गर्व किया जाना चाहिए लेकिन लोगों द्वारा यह समझ लेना कि हमने कोरोना पर विजय हासिल कर ली है पूरी तरह गलत है। इंसान की फितरत है कि राहत महसूस करते ही वह बड़ी से बड़ी विभीषका को भूल जाता है। उत्सवों का आनंद उठाना इंसान का स्वभाव है। उत्सव आते ही मन में बरबस ही भव्य आयाेजन की छवि बन जाती है लेकिन पिछले दो वर्षों से महामारी ने इसे बदल कर रख दिया है। संक्रमण की पहली लहर के बाद भी लोगों ने लापरवाही बरती थी, लोग सोच रहे थे कि संक्रमण दोबारा नहीं आएगा लेकिन ऐसा संक्रमण आया जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं था। इतनी भयावह स्थिति का सामना करने के लिए हम तैयार भी नहीं थे। भारत में कोरोना से मौतों की संख्या में फिर से उछाल आया है। देश में भले ही एक दिन में कोरोना के 16,326 नए केस मिले हैं लेकिन 666 लोगों की मौत का आंकड़ा डराने लगा है। त्यौहारी सीजन में लोग लापरवाही बरत रहे हैं। यह लापरवाही सब पर भारी पड़ सकती है। कोरोना अभी भी हमारे बीच है। उत्सव का आनंद तभी है जब आप स्वस्थ हो। त्यौहारी सीजन में हमें हर वर्ष प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। कोरोना वायरस और प्रदूषण का गहरा संबंध है। जर्नल ऑफ एम्पोजर साइंस एंड एनवायरमैंटल एपिडमाइलोजी में प्रकाशित रिसर्च में वैज्ञानिकों ने खुलासा किया था​ कि कोरोना वायरस के फैलने में प्रदूषण भी जिम्मेदार है। जब-जब प्रदूषण बढ़ा, इस वायरस को भी अपने पांव फैलाने का मौका मिला। जब कैलिफोर्निया के जंगलों में आग लगी थी तो प्रदूषण काफी फैल गया था। यहां प्रदूषण उच्च स्तर का था तो वहां कोरोना पाजिटिविटी रेट बढ़ गया था। ज्यादा तापमान, नमी, वायु प्रदूषण से कोरोना के केस बढ़ते हैं। संपादकीय :मोदी है तो मुमकिन है-कोरोना अब कुछ दिन हैश्रीनगर में अमित शाहसड़कों पर कब्जे का हक नहींघर में नहीं दाने, इमरान चले भुनानेन्याय की बेदी पर लखीमपुरनई चौकड़ी : राजनीतिक भूचालराजधानी दिल्ली को प्रदूषण अपनी चपेट में लेने लगा है। लाख कोशिशों के बावजूद पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के शहरों में किसानों ने पराली जलाना बंद नहीं किया। फिलहाल बारिश आ जाने से प्रदूषण से राहत मिली हुई है लेकिन आने वाले दिनों में दिल्ली फिर से गैस चैम्बर बन सकती है। दिल्ली ही नहीं भारत में तो कई ऐसे शहर हैं जो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं, क्योंकि ऐसी जगहों पर जो लोग रहते हैं, उनका रेस्पिेरेटरी ​िसस्टम यानी सांस लेने की प्रणाली पहले ही प्रदूषण की वजह से कमजोर होती है। अब ऐसे लोगों को कोरोना वायरस ने जकड़ लिया तो उनके फेफड़ों की हालत खराब हो सकती है। कोरोना वायरस से मारे गए लोगों में 50 फीसदी तो ऐसे लोग हैं जिन्हें पहले से ही वायु प्रदूषण की वजह से दिक्कतें थीं। वर्ल्ड बैंक की स्टडी में पाया गया कि अगर पर्टिकुलेट मेटर (पीएएम) से आपका एक्सपोजर एक फीसदी बढ़ता है तो कोरोना से मरने की आशंका 5.7 फीसदी बढ़ जाती है। उत्सव के उत्साह में सतर्कता का दामन छोड़ना खुद को और समाज को खतरे में डालने जैसा होगा। बेहतर यही होगा कि सार्वजनिक समारोह आयोजित नहीं किए जाएं। अगर आप समारोह में भाग भी लेते हैं तो मास्क लगाना नहीं भूलें। शारी​रिक दूरी का पालन करें आैर सैनेटाइजर अपने साथ रखें। थोड़ा सा आनंद बड़ी समस्या का कारण बन सकता है, इसलिए खुद भी सुरक्षित रहें और आसपास के लोग भी सुरक्षित रहें।


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