सम्पादकीय

उम्र के बही खाते बांचे न जाएं; उम्रदराज व्यक्ति के चेहरे पर आई झुर्रियों में एक इबारत लिखी होती है

Rani Sahu
18 Sep 2021 12:50 PM GMT
उम्र के बही खाते बांचे न जाएं; उम्रदराज व्यक्ति के चेहरे पर आई झुर्रियों में एक इबारत लिखी होती है
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राजकुमार हिरानी की फिल्मों में गीत, कथा प्रवाह में रुकावट नहीं बनते

जयप्रकाश चौकसे। राजकुमार हिरानी की फिल्मों में गीत, कथा प्रवाह में रुकावट नहीं बनते, वरन प्रवाह की गति बढ़ाने के साथ-साथ पात्रों की इच्छाओं, सपनों और भय को भी अभिव्यक्त करते हैं। गौरतलब है कि उनकी फिल्मों के गीत स्वानंद किरकिरे लिखते रहे हैं। इंदौर में जन्मे स्वानंद अब अपनी लिखी पटकथा को निर्देशित करना चाहते हैं। क्या इस फिल्म के गीत राजकुमार हिरानी लिखने वाले हैं? यह मुमकिन है कि गीतों का फिल्मांकन हिरानी करें।

ज्ञातव्य है कि राजकुमार हिरानी ने पूना फिल्म संस्थान के अच्छे दिनों में संपादन कला में महारत हासिल की थी। फिल्म उद्योग में आपसी सहयोग होता है। विधु विनोद चोपड़ा की '1942 ए लव स्टोरी' के क्लाइमेक्स का मार्गदर्शन विजय आनंद ने किया था। राज कपूर ने भी 'मेरा नाम जोकर' में कई सीन विजय आनंद को शूट करने के लिए कहे थे।
स्वानंद किरकिरे का फिल्म '3 ईडियट्स' के लिए लिखा गीत इस तरह है, 'सारी उम्र हम, मर मर के जी लिए, एक पल तो अब हमें, जीने दो जीने दो.. गिव मी सम सनशाइन, गिव मी सम रेन, गिव मी अनदर चांस, आई वाना ग्रो अप वंस अगेन।' यह ग्रो अप, सोच-विचार के अंतरिक्ष के कोने-कोने तक पहुंचता है। यह उम्र की सीमा में कैद नहीं है। गोया कि कुछ उम्रदराज लोग सनकी हो जाते हैं, हमेशा बौखलाए से रहते हैं।
कुछ संतुलन बनाए रखने में सफल होते हैं। उम्रदराज व्यक्ति के चेहरे पर आई झुर्रियों में एक इबारत लिखी होती है। उदाहरण के लिए सुरेखा सीकरी को 'बधाई हो' नामक फिल्म में देखिए। ज्ञातव्य है कि सिमोन द बोउआर ने एक किताब में महान लोगों के उम्रदराज होने की दशा का विवरण दिया था। इस पुस्तक 'कमिंग ऑफ ऐज' में गांधीजी का विवरण बड़ा साहसिक है।
गौरतलब है कि उम्र के पहाड़ पर चढ़ते समय इच्छाएं हिमालय के शिखर तक जा पहुंचती हैं। कुछ भावनाओं पर उम्र का प्रभाव ही नहीं पड़ता। एक रूसी लेखक की कथा में 80 साल की महिला को पुराने सामान में उसके 90 वर्ष के पति द्वारा लिखा हुआ एक प्रेम पत्र मिलता है। यह पत्र पति ने 50 वर्ष पूर्व लिखा था। इस प्रेम पत्र को पढ़कर वह उम्रदराज पत्नी, अपने मरणासन्न पति की पिटाई कर देती है।
कथा का संदेश है कि विवाह के बाद पुराने प्रेम-पत्र फाड़ देना चाहिए। जाने कब कौन सा मासूम सा खत बम बनकर फट पड़े! पहले कभी मुख्य डाक विभाग दफ्तर के बाहर उन खतों को पिन से बोर्ड पर लगा दिया जाता था, जो गलत या अधूरे पतों के कारण बांटे ना जा सके। कभी-कभी इन पत्रों से लंबी जुदाई समाप्त हो जाती है। याद कीजिए रेशमा का गीत 'चार दिनों का प्यार हो रब्बा, बड़ी लंबी जुदाई, लंबी जुदाई।' '
तीसरी कसम' का शैलेंद्र का लिखा गीत 'चिठिया हो तो हर कोई बांचे भाग ना बांचे कोय, करमवा बैरी हो गए हमार।' बहरहाल, जीवन में दूसरा अवसर सभी को मिलना चाहिए। त्रुटियां हो जाना स्वाभाविक है। कहीं कभी कोई परफेक्ट नहीं होता। परफेक्ट होने के प्रयास ही जीवन को सार्थकता देते हैं। कुछ लोग लगातार गलतियां करते हैं और उन्हें दंड भी नहीं मिलता।
बहरहाल, दरअसल स्वानंद किरकिरे के गीत ने जीवन को फ्लैश बैक मोड में पहुंचा दिया है। कितनी गलतियां हुई हैं, कितने मान-अपमान हुए हैं, कितने अपराध हुए हैं कितने गलत मतदान किए हैं। सारा बही खाता ही गड़बड़ है। ग्रो अप हुए या बौने हो गए? लिलिपुट कथा में सारे बौने मिलकर एक विशाल काया को रस्सियों से बांध देते हैं।
यह सबका एकजुट हो जाना अब मुमकिन नहीं रहा है। हम अपने बौनेपन से हिमालय की ऊंचाई भी कम कर सकते हैं। यह बौनापन सोच-विचार संसार का मायाजाल है। अब सारी आशाएं, विज्ञान पर टिकी है कि वह हमें माइथोलॉजी के मायावी संसार से मुक्त करे। यह यकीनन होगा। शोध कार्य अनवरत हो रहे हैं। अंधकार जाएगा, उफक पर खड़ी है सहर।


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