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सम्पादकीय
बिक्री से जुड़ी योजनाओं में वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करना न भूलें क्योंकि उनकी सेविंग्स अच्छी है
Gulabi Jagat
19 May 2022 8:45 AM GMT
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दक्षिण कोरिया के सियोल में डोंग्म्यो स्टेशन और उसके आसपास ढेरों गलियों में दुनिया का सबसे बड़ा फ्ली मार्केट
एन. रघुरामन का कॉलम:
दक्षिण कोरिया के सियोल में डोंग्म्यो स्टेशन और उसके आसपास ढेरों गलियों में दुनिया का सबसे बड़ा फ्ली मार्केट (फेरी बाजार) है। यहां सैकड़ों विक्रेता हर चीज बेचते हैं- पुराने कैमरा, एलपी रिकॉर्ड्स, किताबें, बैग, गमले, गहनों से लदी टेबलें, सजावटी चीजों से भरे बक्से, पुराने खजाने, इस सबसे ऊपर ढेर सारे पुराने कपड़े, जूते, कमीजों के ढेर।
अगर आप यहां आएं, तो आपको ज्यादातर खरीदार 60 साल से ऊपर के दिखेंगे। वो इसलिए क्योंकि ये जगह शहर के बुजुर्गों के लिए एक तरह से सांस्कृतिक केंद्र का काम करती है, जहां वे खरीदारी करते हैं, घुलते-मिलते हैं और अपनी रोचक स्टाइल दिखाते हैं।
वे अपनी स्टाइल को 'मियोट' (meot) कहते हैं, इसका अर्थ अंग्रेजी के 'कूल' से कहीं ज्यादा है। कोरियन भाषा में मियोट का अर्थ अद्भुत, अच्छा, भव्य, शानदार है। वे न सिर्फ खरीदारी और दोस्तों से मिल सकते हैं, बल्कि बचपन के खेल भी खेल सकते हैं और 'मेक्गोली' नाम की चावल से बनी वाइन पी सकते हैं। हेयरस्टाइल से लेकर कूलिंग ग्लास और जूते तक वे जानते हैं कि अच्छा कैसे दिखते हैं और कैसे अपनी देखभाल की जाती है। यहां वे अपनी स्टाइल से जीते हैं और अपनी अलग पहचान बताने के लिए अनोखे तरीके अपनाते हैं।
इन गलियों में आपको न सिर्फ 1970 के दशक के हॉलीवुड एक्टर जैसे शॉन कॉनेरी बल्कि राज कपूर, देव आनंद जैसे सितारों की कुछ स्टाइल भी दिख जाएंगी। डोंग्म्यो बुजुर्ग आबादी के लिए हमेशा से प्लेग्राउंड रहा है। सीनियर्स से एक-दो सबक लेने के लिए युवाओं की भीड़ यहां उमड़ती है। कोरिया में ऐसी जगह क्यों है? वो इसलिए क्योंकि उनके देश में बुजुर्गों की संख्या बहुत है और 2050 तक यह देश की आबादी का 44% हो जाएंगे।
हालांकि जब लोग पहले से ज्यादा हेल्दी महसूस करें तो उन्हें बुजुर्ग न मानें, वे साथियों से मिलकर अच्छा महसूस करने के लिए बाहर निकलते हैं। संक्षेप में कहें तो अकेलापन बड़ी समस्या है और खरीदारी व सामाजिक मेल-जोल उनके लिए थैरेपी है।
यहां से आपको कुछ संकेत मिल रहे हैं? छोटी-सी आबादी के साथ अगर कोरिया-जापान जैसे देश सामान बेचने के लिए बुजुर्ग आबादी पर ध्यान दे रहे हैं, तो दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले हमारे देश में उस स्तर का बाजार खड़ा करने से हमें क्या रोक रहा है, जबकि कई राज्यों में वरिष्ठ नागरिकों की बड़ी आबादी है।
याद रखें सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे राज्यों में जैसे दक्षिण के पांचों राज्य, महाराष्ट्र व पंजाब में फिलहाल सबसे तेजी से उम्रदराज होती आबादी है। यहां लगभग 27% आबादी सीनियर सिटीजंस की है। ताज्जुब नहीं कि कोयम्बटूर जैसे शहर सिर्फ रिटायर्ड लोगों की कॉलोनी बना रहे हैं, जहां कॉलोनी के अंदर मनोरंजन ज़ोन, चिकित्सा सुविधाओं के साथ धार्मिक गतिविधियां होंगी।
चौबीसों घंटे एंबुलेंस व फोन पर डॉक्टर इस समूह के लिए स्वतंत्र घर बेचने का नया मंत्र है। यह वही आबादी है, जो 1960-70 के दशक में नौकरी की तलाश में अपना राज्य छोड़कर उत्तर की ओर गई थी और अब जड़ों की ओर लौट रही है, मुख्य रूप से वो इसलिए क्योंकि उनके बच्चे विदेशों में बस गए हैं और अकेलापन सता रहा है।
वरिष्ठ नागरिकों की कॉलोनी में रहने के अवसर को लपकने वालों में वे पहले होते हैं। इन कॉलोनियों के इर्द-गिर्द एक समय बाद विकसित होने वाला उपभोक्ता बाजार इस समूह के हिसाब से विशेष सुविधाएं देते हैं। पर दुर्भाग्य से ये आइडिया हिल स्टेशन व ग्रीन बेल्ट के नजदीक बसे चुनिंदा कस्बों से आगे नहीं बढ़ा है।
फंडा यह है कि बिक्री से जुड़ी योजनाओं में वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करना न भूलें क्योंकि उनकी सेविंग्स अच्छी है और अनोखी स्टाइल्स के साथ वे सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभर रहे हैं।
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Gulabi Jagat
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