सम्पादकीय

आपदा से निपटने के लिए दान की जरूरत

Rani Sahu
3 Oct 2023 11:11 AM GMT
आपदा से निपटने के लिए दान की जरूरत
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हिमाचल प्रदेश में जुलाई तथा अगस्त महीने में आई आपदा ने प्रदेशवासियों के जीवन को त्रस्त कर दिया है। प्रकृति का ऐसा भयावह रूप हिमाचल प्रदेश के लोगों ने पहली बार देखा। भारी भूस्खलन के कारण जान-माल का भारी नुकसान प्रदेश के जनमानस को झेलना पड़ा। करीब 400 लोगों की जान चली गई तथा 13000 घर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। हिमाचल प्रदेश में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण घर बनाने में व्यक्ति के जीवन की पूरी पूंजी लग जाती है। जब उसके सपनों का आशियाना उसके समक्ष टूटे तो उसके लिए यह जीते जी नर्क का दृश्य होता है। हिमाचल के सैकड़ों परिवार बेघर हुए हैं। हिमाचल के लोगों के जीवनयापन में कृषि व्यवस्था अहम भूमिका निभाती है। इस आपदा से जहां एक तरफ जान-माल का भारी नुकसान हुआ, वहीं किसानों की उपजाऊ भूमि भी नष्ट हो गई। प्रदेश के 9 लाख किसानों की फसलें उजड़ गई तथा उपजाऊ भूमि भूस्खलन की चपेट में आ गई। कृषि और बागवानी भूमि के साथ फसलें, जल विद्युत परियोजनाएं, ट्रांसमिशन लाइनें, स्कूल, स्वास्थ्य संस्थान प्रभावित हुए हैं। इस आपदा से सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है। इसके अलावा जल शक्ति विभाग, बिजली विभाग तथा कृषि विभाग को हुआ है। इस आपदा ने प्रदेश के भोले-भाले जनमानस को झकझोर कर दिया है।
जिस प्रदेश के किसानों की मां भूमि हो और उस भूमि पर बरसात के मौसम में फल, सब्जियां तथा अन्य खाद्यान्न फसलें पूरे यौवन पर हों और उस समय भूस्खलन के कारण सब कुछ नष्ट हो जाए तो शायद इससे बुरा समय और क्या हो सकता है। ऐसा मंजर हिमाचल प्रदेश के सैकड़ों परिवारों के साथ प्रकृति ने किया है। आपदा की इस घड़ी में प्रदेश सरकार निरंतर राहत कार्यों में जुटी हुई है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सडक़ों, बिजली तथा पानी की व्यवस्था को पूरे प्रदेश में बहाल कर दिया है। वहीं बेघर हुए परिवारों को किराए के मकानों में रहने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 5 हजार व शहरी क्षेत्र में 10 हजार रुपए प्रतिमाह किराया प्रदेश सरकार द्वारा देने का सराहनीय कार्य भी किया है। इसके अलावा 45 सौ करोड़ रुपए का पैकेज लेकर सुक्खू सरकार आई है। प्रदेश सरकार ने आपदा से प्रभावित परिवारों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता की राशि में भी बढ़ोतरी की है। धीरे-धीरे प्रदेश सरकार आपदा से निपटने का हरसंभव प्रयास कर रही है। हिमाचल प्रदेश के पास अपनी आर्थिकी को मजबूत करने के बहुत ही कम संसाधन हैं, वहीं ऊपर से आपदा ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अत्यधिक क्षति पहुंचाई है। हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए भी यह समय अनेक चुनौतियों से जूझने का है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश आपदा राहत कोष में प्रदेश के कुछ दानवीरों तथा बाहरी राज्यों की सरकारों ने भी प्रदेश को आर्थिक सहायता देने की पेशकश की है। वहीं केंद्र सरकार ने भी आपदा की इस घड़ी में हिमाचल प्रदेश को आर्थिक सहायता तथा बेघर परिवारों के लिए 6000 घर निर्मित करने की व्यवस्था की है। हिमाचल प्रदेश में विपक्ष तथा सत्ता पक्ष के सभी विधायकों ने एक महीने का वेतन आपदा राहत कोष में जमा करवाया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस दुख की घड़ी में अपने जीवन भर की अर्जित पूंजी से 51 लाख रुपए आपदा राहत कोष को दिए।
मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी निवास ओक ओवर में अपनी धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर की उपस्थिति में 51 लाख रुपए का चेक मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सौंपा। ऐसा उदाहरण आज तक प्रदेश के इतिहास में किसी मुख्यमंत्री ने पेश नहीं किया था। इससे पहले भी सीएम ने सामाजिक सरोकार को अधिमान देते हुए धन दान किया है। मानसून सत्र में मुख्यमंत्री की यह दानवीर प्रवृत्ति जब चर्चा का विषय बनी, तो उन्होंने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रदेश की जनता की सहायता करने की मेरी यह कोई पहली पेशकश नहीं है। अपने कॉलेज के समय से लेकर कोरोना महामारी में भी अपनी पूंजी से प्रदेश की जनता के जीवन को बचाने का प्रयास सबसे पहले उन्होंने ही किया था। कोरोना काल में विधायक के तौर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक साल का वेतन और अपनी एफडी तोडक़र भी 11 लाख रुपए की धनराशि राज्य सरकार को महामारी से लडऩे के लिए दान में दी थी। मुख्यमंत्री की इस जनकल्याणकारी तथा उदारतावादी प्रवृत्ति से प्रेरणा लेकर अनेक लोगों ने प्रदेश की सहायता करने की पेशकश की है। हिमाचल प्रदेश को आपदा राहत कोष में निरंतर धनराशि प्राप्त हो रही है। हिमाचल प्रदेश आपदा राहत कोष में दो छोटी सी बच्चियों ने अपने गुल्लक का पैसा देकर सबका मन मोह लिया। फिल्म अभिनेता आमिर खान ने 25 लाख की आर्थिक सहायता देकर हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाले अभिनेताओं तथा अभिनेत्रियों को भी यह संदेश दिया। आपदा की इस घड़ी में आप भी अपने प्रदेश की सहायता के लिए आगे आएं। सभी प्रदेशवासियों को भी यथासंभव आपदा राहत कोष में कुछ दान जरूर समर्पित करना चाहिए, क्योंकि प्रदेश का एक बहुत बड़ा समूह बेघर, असहाय तथा दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हुआ है।
मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह ने जी-20 सम्मेलन में नई दिल्ली में रात्रि भोजन के निमंत्रण में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर जैसे ही उन्हें मौका मिला तो उन्होंने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से प्रदेश की जनता को आपदा की इस मुश्किल घड़ी में सहायता करने की गुहार लगाई। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यथासंभव सहायता करने का आश्वासन दिया। भारत के प्रधानमंत्री भी सुखविंदर सिंह के आजीवन राजनीतिक संघर्ष तथा सरल व गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि से भली-भांति परिचित हैं। ऐसे में प्रदेश की जनता देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिमाचल प्रदेश के इस विपरीत काल को राष्ट्रीय आपदा घोषित करके प्रदेश की जनता के जीवन को पटरी पर लाने की गुहार कर रही है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2013 में उत्तराखंड और 2014 में आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया था। उसी तर्ज पर हिमाचल की आपदा भी राष्ट्रीय आपदा घोषित की जानी चाहिए। यह प्रदेश के हित में होगा।
कर्म सिंह ठाकुर
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
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