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डोलो-650 ये नाम याद है आपको? दिमाग पर थोड़ा जोर डालिए
by Lagatar News
Girish Malviya
डोलो-650 ये नाम याद है आपको? दिमाग पर थोड़ा जोर डालिए! कोरोना काल में लगभग हर दवा के पर्चे पर ये नाम लिखा रहता था. कोरोना महामारी के शुरु होने के बाद से Dolo-650 के 350 करोड़ स्ट्रिप्स की सेल हुई है. 2020-21 में भारत में यह दवा इतनी बिकी है कि अगर इन 350 करोड़ स्ट्रिप्स की गोलियों को सीधा करके एक साथ रखा जाए, तो यह माउंट एवरेस्ट से भी 6000 गुना ज्यादा ऊंची और दुनिया की सबसे बड़ी इमारत बुर्ज खलीफा से 63,000 गुना ऊंची हो जाएगी. डोलो 650 की शानदार बिक्री की वजह से माइक्रो लैब्स के दिलीप सुराणा देश के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं.
एक हफ़्ते पहले इस फर्म पर इनकम टैक्स वालों ने छापा मारा. वित्तीय रिकॉर्ड, बही खाते और वितरक नेटवर्क की छानबीन के दौरान पता चला कि माइक्रो लैब्स ने कमाई बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को गिफ्ट देने का खास चलन शुरू किया. खुलासे के मुताबिक, डॉक्टरों को 1,000 करोड़ रुपये के 'फ्रीबीज' बांट दिए गए. यहां फ्रीबीज का अर्थ गिफ्ट या उपहार समझ सकते हैं.
क्या आप इमेजिन कर सकते हैं कि एक छोटी सी दवा कंपनी माइक्रो लैब्स 1000 करोड़ रुपए सिर्फ डाक्टरों को उपहार आदि देने पर खर्च कर रही है, ताकि डाक्टर मरीज को उस कंपनी की दवा लिखें! तो दुनियां की जानी मानी बड़ी कंपनियां कितना पैसा खर्च करती होंगी?
अब मजे की बात सुनिए. डोलो 650 कुछ नहीं, सिर्फ एक पैरासिटामोल है. जिसका सामान्य उपयोग दर्द निवारक, सूजन निवारक और बुखार के उपचार में किया जाता है. यह दवा 1960 में बाजार में आयी थी. भारत में क्रोसिन, डोलो और कालपोल यह तीनों चर्चित ब्रांड हैं. जो पैरासिटोमोल के नाम पर जाने जाते हैं. ऐसे लगभग 38 बड़े ब्रांड हैं, जो पैरासिटामोल को अपने अलग-अलग नामों से बेचते हैं.
तो लोग डोलो 650 ही क्यों लें?
इसके लिए एक खास ट्रिक यूज की गई. जैसे भारत में इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया गया. यह कुछ ऐसा ही दिलचस्प मामला है. दवा ब्रांड विशेषज्ञ विवेक हट्टगंडी के मुताबिक, माइक्रो लैब्स ने माइक्रो नॉलेज एकेडमी के तहत डॉक्टरों के लिए एक मेडिकल एजुकेशन प्रोग्राम (सीएमई) चलाया. इसमें पायरेक्सिया (बुखार के लिए इस्तेमाल होने वाला चिकित्सकीय शब्द) को ऑफ अननोन ओरिजिन FOU (यानि अज्ञात कारणों से होने वाला बुखार) शब्द से बदल दिया गया.
डॉक्टरों के पर्चे के विश्लेषण से पता चलता है कि बुखार के लिए इस्तेमाल होने वाला चिकित्सकीय शब्द पायरक्सिया की जगह डॉक्टरों ने FUO या फीवर ऑफ अननोन ओरिजिन का इस्तेमाल करना ज्यादा उचित समझा था.
Rani Sahu
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