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- क्या गंगा-जमुनी तहजीब...
राजीव सचान।
बीते रविवार को रामनवमी थी और रमजान माह का आठवां रोजा भी। करीब दो साल बाद कोरोना का खौफ कम होने के कारण त्योहारों की रौनक लौट आई है और वे धूमधाम से मनाए जा रहे हैं, लेकिन रविवार को देश के अलग-अलग हिस्सों में कम से कम आठ स्थानों पर रामनवमी की शोभा यात्राओं पर पथराव हुए। इनमें कहीं-कहीं आगजनी के साथ व्यापक हिंसा भी हुई। कई जगह घायल होने वालों में पुलिस कर्मी भी थे। खरगोन, मध्य प्रदेश में तो पुलिस अधीक्षक को गोली भी मारी गई। ये घटनाएं क्या कहती हैं? यही कि गंगा-जमुनी तहजीब नाम की चीज या तो एक छल है या फिर उसकी मनचाही व्याख्या कर ली गई है। पता नहीं गंगा-जमुनी तहजीब का जुमला किसकी देन है, लेकिन यदि यह तहजीब सदियों पुरानी है, जैसा कि दावा किया जाता है तो सवाल है कि भारत का विभाजन क्यों हुआ? इसी तरह सवाल यह भी है कि कश्मीर घाटी से लाखों कश्मीरी पंडित क्यों मार भगाए गए और क्यों कैराना कश्मीर बनते-बनते बचा?