सम्पादकीय

क्या राज्यगीत की अवधारणा क्षेत्रवाद को बढ़ावा देती है?

Rani Sahu
29 Dec 2021 3:23 PM GMT
क्या राज्यगीत की अवधारणा क्षेत्रवाद को बढ़ावा देती है?
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हाल ही में, तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने राज्यगीत के रूप में मनोमण्यम सुंदरनार द्वारा लिखित “तमिल थाई वजाथु” को राज्य का आधिकारिक गीत घोषित किया

ज्योतिर्मय रॉय हाल ही में, तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने राज्यगीत के रूप में मनोमण्यम सुंदरनार द्वारा लिखित "तमिल थाई वजाथु" को राज्य का आधिकारिक गीत घोषित किया. तमिलनाडु सरकार के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, राज्य सरकार के कार्यालयों और राज्य सरकार के उपक्रमों में सभी समारोहों की शुरुआत में राज्यगीत गाया जाना चाहिए. सरकार ने यह भी आदेश दिया है कि रिकॉर्ड किए गए राज्यगीत को बजाने के बजाय, इसे उन लोगों द्वारा गाया जाना चाहिए जो इसे गाने के लिए प्रशिक्षित हैं. इसे गाए जाने पर विकलांग व्यक्तियों को छोड़ कर, बाकी सभी का खड़ा होना अनिवार्य है.

हालांकि ये फैसला मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी के विपरित है. हाईकोर्ट ने एक दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान ये साफ किया था कि "तमिल थाई वजाथु" सिर्फ एक प्रार्थना गीत है. कोर्ट ने साफ किया था कि ऐसा कोई ऑर्डर जारी करने की जरूरत नहीं है कि इस सॉन्ग के दौरान हर जगह पर लोगों को खड़े होने की जरूरत है. साथ ही ये भी कहा था कि ये कोई नेशनल एंथम नहीं है, इसीलिए हर किसी को इसके दौरान खड़े होने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए.
अपनी विरासत को जीवित रखने के लिए और अपनी विशिष्ट प्रांतीय पहचान को बनाए रखने के लिए, कुछ राज्यों जैसे असम, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, पांडिचेरी, तमिलनाडु, उत्तराखंड ने राष्ट्रगान की तर्ज पर अपने खुद के राज्यगीत को महत्व दिया है. अन्य राज्य भी अपने राज्यगीत की तैयारी कर रहे हैं. इसके अलावा, युवाओं, छात्रों और लोगों में देशभक्ति की भावना पैदा करने के लिए, अनौपचारिक रूप से पारंपरिक और लोकप्रिय गीत अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश राज्यों में राज्यगीत के रूप में प्रचलित है.
राष्ट्रगान देशभक्तिपूर्ण इतिहास और परंपराओं का प्रतीक
एक राष्ट्रगान एक देशभक्ति संगीत रचना है, जिसे किसी देश या राष्ट्र के इतिहास और परंपराओं की प्रशंसा और प्रतीक के रूप में गाया जाता है. विश्व के अधिकांश राष्ट्रगान मार्च या स्तोत्र की शैली में हैं. लैटिन अमेरिकी, मध्य एशियाई और यूरोपीय राष्ट्रगान अधिक अलंकृत हैं. जबकि मध्य पूर्व में, ओशिनिया, अफ्रीका और कैरेबियाई देश अधिक सरल हैं, मंगल ध्वनि और तुरही ध्वनि के साथ धूमधाम से गाए जाते हैं. कुछ देश जो कई घटक राज्यों में विकसित होते हैं, उनकी अपनी आधिकारिक संगीत रचनाएं होती हैं, जैसे कि यूनाइटेड किंगडम, रूस और पूर्व सोवियत संघ के साथ. उनके निर्वाचन क्षेत्रों के गीतों को कभी-कभी राष्ट्रगान के रूप में उपयोग किया जाता है.
सबसे पुराना राष्ट्रगान ग्रेट ब्रिटेन का 'गॉड सेव दी क्वीन' है
सबसे पुराना राष्ट्रगान ग्रेट ब्रिटेन का 'गॉड सेव दी क्वीन' है, जिसे 1825 में राष्ट्रगान के रूप में वर्णित किया गया था, हालांकि 18 वीं शताब्दी के मध्य से यह देशभक्ति गीत के रूप में लोकप्रिय रहा और शाही समारोहों में गाया गया. अधिकांश यूरोपीय देशों ने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटेन का अनुसरण किया, जिसमें कुछ राष्ट्रीय गान एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए लिखे गए थे, जबकि अन्य पहले से मौजूद धुनों से अनुकूलित किए गए थे.
राज्यगीत की आवश्यकता क्यों है?
राष्ट्रगान की कल्पना ऐसे समय में की गई थी जब राष्ट्रीय एकता सर्वोपरि थी. आजादी के लिए भाषा, जाति, प्रांत, धर्म के नाम पर बिखरे हुए भारतीयों को एकजुट करना जरूरी था. भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' है, जो मूलतः बांग्ला भाषा में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया. इसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था. स्वतंत्रता के बाद, संविधान सभा ने 'जन-गण-मन' को हिन्दुस्तान के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था.
आजादी के दौरान, यह राष्ट्रीय गीत सभी को एक साथ जोड़ने और राष्ट्रवाद के लिए प्रेरित करने का एक बड़ा सूत्र बन गया था. इसने विविधता में एकता के मंत्र को पूरी तरह से मूर्त रूप दिया और देश को कठिन समय में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रेरित किया और आज इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय संगीत के रूप में जाना जाता है. राष्ट्रगान की तरह राज्यगीत भी राज्य स्तर पर प्रेरणादायक है. इस देश के अधिकांश राज्य अपने पड़ोसी राज्यों के साथ समानताएं साझा करते हैं, और यह जातीय संगीत विभिन्न राज्यों की विरासत और संस्कृति को सांस्कृतिक रूप से प्रस्तुत करने में सफल है. हमारे राष्ट्रगान, देश को न केवल समग्र रूप से, बल्कि उसके भागों के योग के रूप में भी संबोधित करता है, और इसमें हमारे देश के हर हिस्से की अनूठी प्रकृति की ओर ध्यान आकर्षित करता है कि कैसे हर राज्य की अपनी अनूठी संस्कृति, भाषा, बोली और चरित्र है.
अपने विशिष्ट व्यक्तित्व, अपनी विरासत और अपनी संस्कृति को शामिल करने के लिए निश्चित रूप से एक राज्य का अपना राज्यगीत हो सकता है. अन्य राज्यों में अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान बनाने में मददगार होता है. हालांकि, राज्यगीत किसी भी परिस्थिति में राष्ट्रगान की आवश्यकता या महत्व को पार नहीं करता है और न ही करना चाहिए. हमारे देश के इतिहास के संदर्भ में राष्ट्रगान, केवल एक गीत नहीं है. इस देश के लोगों द्वारा, व्यक्तिगत और क्षेत्रीय पहचान की परवाह किए बिना, आज भी इस संगीत को प्यार और श्रद्धा के साथ साझा किया जाता है. इस देश के लोगों की पहचान का प्रतिनिधित्व करने के लिए राज्य और राष्ट्रगान दोनों के अपने-अपने स्थान हैं. उम्मीद की जाती है कि, पदानुक्रम की दृष्टि से राज्यगीत और राष्ट्रगान दोनों अपने महत्व को बनाए रखते हुए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़े नहीं होंगे.
राष्ट्रगान और राज्यगीत भौतिक विकास और सुरक्षा से भी जुड़ा है
अपने स्वयं के समूह या लोगों की श्रेष्ठता या प्रभुत्व में तर्कहीन विश्वास कभी-कभी दूसरों के लिए कमजोर, अयोग्य या हीन भावना का जन्म दे सकता है. जिसके कारण अंधराष्ट्रवाद, क्षेत्रवाद या प्रांतवाद और जातिवाद को जन्म दे सकता है, जो संघीय ढांचे के लिए घातक हो सकता है. ऐसा न हो, इसलिए राज्य सरकार को सतर्क रहने की आवश्यकता है.
याद रखें, राष्ट्रीय उत्कृष्टता और गौरव में एक दृढ़ विश्वास है, प्रतिस्पर्धा नहीं. राष्ट्रगान और राज्यगीत 'अनेकता में एकता' के विश्वास को पुष्ट करते हैं. लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि 'अनेकता में एकता' का अर्थ केवल अलग-अलग धर्म, भाषा, संस्कृति से नहीं, बल्कि भौतिक विकास और सुरक्षा से भी जुड़ा है.
Rani Sahu

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