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आधिकारिक खुलासे के बाद उइगर संकट पर अनिवार्य रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया सामने आ सकती है।
ऐतिहासिक रूप से चीनी राजवंशों ने आधुनिक समय के शिंजियांग के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था, जिसने चीन के मांचू किंग राजवंश द्वारा दजुंगर लोगों के सामूहिक विनाश की शुरुआत की थी। अब ऐसा लगता है कि वर्तमान कम्युनिस्ट शासन में उइगरों पर अत्याचारों की पुनरावृत्ति हो रही है। चीनी शासन दुनिया को अंधेरे में रख रहा है और मानवाधिकारों के उल्लंघन को मानने से इनकार कर रहा है।
तीसरी बार सत्ता संभालने के लिए तैयार शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीनी सरकार ने शिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र (एक्सयूएआर) में मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में वैश्विक राय को पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया है, जो संयुक्त राष्ट्र के अभियोग के बाद पहली बार उजागर हुआ है। लंबे समय बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा उइगरों को अकल्पनीय पीड़ा देने, नरसंहार करने और उन पर अत्याचार करने की संयुक्त राष्ट्र द्वारा संपुष्टि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में चीन के लिए एक बड़ा झटका है, जो इस महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में शी जिनपिंग के भाषण पर असर डाल सकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने उइगरों के साथ चीन के व्यवहार को 'बेहद परेशान करने वाला' बताया और अल्पसंख्यक समुदाय के बारे में अपनी चिंता दोहराई। हाल ही में लंदन स्थित वकीलों और मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक पैनल की रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें सीसीपी पर शिंजियांग के कथित 'व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्रों' में नरसंहार, बलात्कार और यातना देने का आरोप लगाया गया था। संयुक्त राष्ट्र दुनिया में मानवाधिकारों पर सबसे आधिकारिक आवाज है और इसकी रिपोर्ट उइगर मुसलमानों से संबंधित है, जो शिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में रहते हैं।
चीन पर लाखों लोगों को यातना शिविरों में कैद करने, उइगर महिलाओं की जबरन सामूहिक नसबंदी करने, बच्चों को उनके परिवारों से अलग करने और समुदाय की सांस्कृतिक परंपराओं को मिटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक स्टिमसन सेंटर में चीनी कार्यक्रम के निदेशक यून सन के अनुसार, रिपोर्ट, अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन के लिए, विशेष रूप से पार्टी के लिए आगामी चुनाव के मद्देनजर शर्मनाक है, जहां शी जिनपिंग को तीसरा कार्यकाल मिलने की उम्मीद है।
चीन ने 121 पन्नों की एक जवाबी रिपोर्ट में तीखा जवाब दिया है, जिसमें शिंजियांग में चरमपंथियों (उइगरों) द्वारा 'आतंकवाद' के खतरे से निपटने की जरूरत पर जोर दिया गया है। उसने यह भी तर्क दिया कि 'डी-रेडिकलाइजेशन' और 'व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्रों' के कार्यक्रम ने शिंजियांग में स्थिरता लाई है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि यह तथाकथित 'मूल्यांकन' तथ्यों की अनदेखी करता है, और एक राजनीतिक हथियार के रूप में मानवाधिकार का उपयोग करने के अमेरिका, पश्चिमी देशों और चीन विरोधी ताकतों के इरादे को उजागर करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी खेमे के कई देश संयुक्त राष्ट्र महासभा और मानवाधिकार परिषद में बीजिंग के साथ खड़े होंगे, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की वर्तमान रिपोर्ट एक अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा दी गई है, जिसकी विश्वसनीयता और वैधता है, इसलिए इसके प्रभाव को नकारना आसान नहीं होगा। यह रिपोर्ट चीन की प्रतिष्ठा के लिए एक झटका है, हालांकि वह इसे पक्षपाती और पश्चिम की साजिश बताकर इससे इनकार करता है।
अमेरिका उइगरों के मुद्दे को उठाने में सबसे आगे रहा है और उसने अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों के निरंतर उल्लंघन के लिए चीन की आलोचना की है। व्हाइट हाउस ने शिंजियांग पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की रिपोर्ट का स्वागत किया है। अमेरिकी प्रशासन को लगता है कि रिपोर्ट चीन द्वारा किए जा रहे नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के बारे में उसकी गंभीर चिंता को पुष्ट करती है।
अमेरिकी प्रशासन ने इसके खिलाफ ठोस उपाय किए हैं और राष्ट्रपति जो बाइडन ने जी-7 सहित अन्य सहयोगियों और भागीदारों को लामबंद किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिंजियांग सहित सभी वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं जबरन श्रम के उपयोग से मुक्त हों। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की शुरुआत में यह बताया गया है कि हजारों उइगरों (कुछ अनुमानों में दस लाख से अधिक) को चीनी अधिकारियों द्वारा बिना किसी कारण, या पर्याप्त कारण के बगैर हिरासत में लिया गया है, और उनके साथ क्रूरता और अमानवीयता का व्यवहार किया गया।
यातना के तरीकों में नाखून उखाड़ना, लाठी से पीटना, घंटों या कई दिनों तक बिना अवकाश के हाथ-पैर बांधकर रखना, ठंडे पानी के बर्तनों में गले तक डुबाकर रखना, इतने छोटे पिंजरे में रखना कि खड़ा होना या लेटना तक असंभव हो, शामिल थे। रिपोर्ट में बलात्कार, जान-बूझकर भूखा रखने, एकांत कैद और नींद की कमी के उदाहरणों का भी हवाला दिया गया है। महिला बंदियों की योनि और मलाशय में लोहे की छड़ें घुसाई गईं।
मानवाधिकार वकील और अमेरिका में रहने वाले एक उइगर उद्यमी रेहान असत, जिनके भाई वर्ष 2016 से जेल में हैं, का कहना है कि 'कोई भी सरकार जांच और जवाबदेही से मुक्त नहीं है। रिपोर्ट को नष्ट करने या बदनाम करने के चीनी प्रयासों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट मानवता के खिलाफ चीन के अपराधों का एक ईमानदार दस्तावेज है।'
इसी तरह, चिली के पूर्व राष्ट्रपति और संयुक्त राष्ट्र के निवर्तमान मानवाधिकार आयुक्त, मिशेल बाशलेट ने चीन पर शिंजियांग में उइगर मुसलमानों के खिलाफ 'गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन' करने का आरोप लगाया, जो मानवता के खिलाफ अपराधों के समान हो सकता है। कुल मिलाकर, विश्लेषकों का मानना है कि यह उइगर मानवाधिकार समूहों के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक खुलासे के बाद उइगर संकट पर अनिवार्य रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया सामने आ सकती है।
सोर्स: अमर उजाला
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