सम्पादकीय

डॉक्टर भी तेजी से हो रहे कोरोना संक्रमित, क्या आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ सकता है असर?

Gulabi
9 Jan 2022 8:34 AM GMT
डॉक्टर भी तेजी से हो रहे कोरोना संक्रमित, क्या आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ सकता है असर?
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डॉक्टर भी तेजी से हो रहे कोरोना संक्रमित
पंकज कुमार।
देश में कोरोना (Corona) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस बीच आम लोगों के साथ डॉक्टर भी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में ही एक हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र और कई अन्य राज्यों में भी हेल्थ केयर वर्कर्स संक्रमित हो रहे हैं. दूसरी तरफ अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है. अमेरिका के भी आंकड़े बताते हैं कि वहां दिसंबर के आखिरी दिनों से हॉस्पिटलाइजेशन तेजी से बढ़ रहा है. पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीज हॉस्पिटल में भर्ती हो रहे हैं.
अगर ऐसी स्थिति भारत में होती है तो यह चिंता का कारण बन सकता है. क्योंकि देश में पहले से ही डॉक्टरों की कमी है. हालांकि, ओमिक्रॉन (Omicron) के संक्रमितों में हल्के लक्षण हैं, लेकिन अगर यह इसी तरह हर दिन तेजी से फैलता रहा है. और प्रति एक लाख संक्रमितों में से एक फीसदी मरीजों को भी अस्पताल में भर्ती करना पड़ा तो हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर (Health Infrastructure) पर बोझ पड़ सकता है. कोरोना के बढ़ते मामले और डॉक्टरों का भी तेजी से संक्रमित होना क्या आने वाले दिनों में चिंता का कारण बन सकता है.
इस मामले में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
दिल्ली के लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर भी संक्रमित हो रहे हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने अपने अस्पताल में 25 फीसदी नए डॉक्टरों की भर्ती की है, ताकि आने वाली किसी भी परेशानी से निपटा जा सके. डॉ. सुरेश ने बताया कि अगर किसी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होती है तो अस्पताल प्रशासन को नए डॉक्टरों की तैनाती करनी चाहिए. कोशिश यह होनी चाहिए कि अभी से भर्ती प्रक्रिया चालू की जाए. ताकि कोई समस्या ना हो. डॉ. सुरेश ने कहा कि ओमिक्रॉन के संक्रमितों में हल्के लक्षण हैं, लेकिन मामले तेजी से बढ़े तो खतरा हो सकता है. इस स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ाना जरूरी है.
एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल का कहना है कि देश में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. देखा जा रहा है कि आम लोग बिना सावधानी बरतें डॉक्टरों से मिल रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. अगर केस इतनी तेजी से बढ़ेंगे तो डॉक्टर भी संक्रमित होंगे. इसलिए इस समय देश के लोगों को इस बात को समझने की जरूरत है. अगर लोग कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें और संक्रमण का कोई लक्षण दिखने पर खुद को आईसोलेट कर लें तो भविष्य में किसी बड़े खतरे की आशंका काफी कम हो जाएगी. साथ ही हम उम्मीद कर रहे हैं कि अधिकतर संक्रमित होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाएंगे और सात दिन के बाद वह अपना काम कर सकेंगें. ऐसे में कह सकते हैं कि रिस्क ज्यादा नहीं रहेगा.
दिल्ली के मूलचंद अस्पताल के पल्मोनोलॉजी विभाग के डॉक्टर भगवान मंत्री बताते हैं कि डॉक्टरों के संक्रमित होने की वजह से रोस्टर बनाकर ड्यूटी लगाई जा रही है, ताकि मरीजों के इलाज़ में कोई परेशानी ना आए, लेकिन जिस हिसाब से डॉक्टर तेजी से संक्रमित हो रहे हैं. यह एक चिंता की बात है. डॉ. का कहना है कि अभी ओमिक्रॉन के जो मामले सामने आ रहे हैं. उनमें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं, लेकिन अगर तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ी और डॉक्टर इसी तरह संक्रमित होते रहे तो हमें कुछ नए उपायों की ओर ध्यान देना होगा.
दिल्ली में एक हजार से ज्यादा हेल्थकेयर वर्कर्स पॉजिटिव
दिल्ली की बात करें तो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIMS) में 400 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित हैं. इनमें करीब 350 रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं. इसमें एम्स के कई विभागों में तो आधे से ज्यादा डॉक्टरों को कोरोना हो गया है. एम्स के डायेक्टर ऑफिस के भी कई कर्मचारी संक्रमित हैं. इस बीच एम्स में रूटीन एडमिशन और नॉन इमरजेंसी सर्जरी भी बंद कर दी गई है. एम्स के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में बड़ी संख्या में हेल्थ केयर वर्कर्स संक्रमित हो रहे हैं. इससे स्टाफ की कमी देखी जा रही है, हालांकि स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है, ताकि मरीजों के इलाज़ में कोई परेशानी न आए. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एम्स में पिछले 24 घंटे में 100 से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर्स संक्रमित हो चुके हैं. एम्स के एक रेजिडेंट डॉक्टर का कहना है कि डॉक्टर तेजी से संक्रमित हो रहे हैं, हालांकि सभी में काफी माइल्ड सिम्पटम्स हैं. ऐसे में उम्मीद है कि पांच से सात दिन बाद डॉक्टर ड्यूटी पर तैनात हो जाएंगे.
सफदरजंग अस्पताल में 250 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हैं. इनमें करीब 200 रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं. इसको देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने 302 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती करने का निर्णय लिया है. सफदरजंग अस्पताल ने आम मरीजों के लिए ओपीडी का समय भी घटा दिया है. अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके विभाग में अधिकतर स्टाफ संक्रमित हो गए हैं, लेकिन उनकी कोशिश है कि तीन से चार दिन के भीतर वापस काम पर लौटा जाए. जिससे मरीजों को कोई परेशानी ना हो.
आरएमएल अस्पताल में भी 150 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं. करीब 90 रेजिडेंट डॉक्टर आइसोलेशन में हैं. अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि उनके विभाग के एक साथी डॉक्टर को बुखार व गले मे खराश की शिकायत थी. जब उसने जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई. उसके बाद उन्होंने भी टेस्ट कराया और वह भी पॉजिटिव मिले. डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में 40 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में मरीजों के इलाज़ में परेशानी हो सकती है, हालांकि अधिकतर डॉक्टरों में काफी हल्के लक्षण ही हैं, लेकिन प्रोटोकॉल के हिसाब से वह आइसोलेशन में हैं. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में भी करीब 100 रेजिडेंट डॉक्टर पॉजिटिव हो चुके हैं. इसके अलावा दिल्ली सरकार के लोकनायक और जीटीबी अस्पताल में भी कई डॉक्टर संक्रमित हैं.
बिहार में 500 से अधिक डॉक्टरों को कोरोना
बिहार में 550 से ज्‍यादा डॉक्‍टर संक्रमित हो चुके हैं. पटना मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल, पटना एम्‍स (Patna AIIMS) समेत कई बड़े अस्‍पताल के डॉक्‍टर और मेडिकल स्‍टाफ कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. वहीं, मुंबई, अहमदाबाद और कई अन्य शहरों में बड़ी संख्या में डॉक्टर संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. कोरोना की पिछली लहर के दौरान भी काफी डॉक्टर संक्रमित हुए थे. उस दौरान डॉक्टरों को 14 दिन के आइसोलेशन में रखा गया था. हालांकि इस बार होम आइसोलेशन के नियमों में बदलाव किया गया है हल्के/बिना लक्षण वाले कोरोना रोगियों को पॉजिटिव होने के सात दिन और तीन दिनों तक लगातार बुखार नहीं आने के बाद होम आइसोलेशन से छुट्टी दे दी जाएगी और आइसोलेशन खत्म हो जाएगा. आंकडों पर गौर करें तो दिल्ली और बिहार में ही 1500 से ज्यादा हेल्थकेयर वर्कर्स संक्रमित हो चुके हैं. क्या अब समय आ गया है कि सरकार हर अस्पताल के लिए नए डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया को शुरू करे. ताकि आने वाले खतरे की आशंका को कम किया जा सके.
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