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- हिंसक फसल मत बोएं

उप्र के लखीमपुर खीरी में जो 9 त्रासद मौतें या हत्याएं हुई हैं, वे मौजूदा दौर के भड़काऊ शब्दाडंबर का ही नतीजा है। यह किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। कोई दलील नहीं दी जा सकती, क्योंकि एक-एक इनसानी जि़ंदगी देश के लिए महत्त्वपूर्ण है। भाजपा की प्रतिक्रिया देने की पद्धति और किताब अपनी ही है। किसी भी जनवादी आंदोलन को लंबे वक्त तक नजरअंदाज़ करना, आंदोलन को थकने देना और देश-विरोधी विशेषणों के जरिए आंदोलन के स्वरूप को 'अवैध' करार देना अभी तक मोदी सरकार और भाजपा की रणनीति रही है। किसान आंदोलन को भी इसी चौखटे में रखा जा सकता है। यदि मामला लखीमपुर की त्रासद मौतों तक बढ़ जाए, तो पुलिस को दखल देने का आदेश देना, अवरोधक खड़े करना, राजनीतिक विरोधियों को घटनास्थल तक नहीं जाने देना और हिरासत में लेकर उन्हें अपमानित करने की भी रणनीति रही है। इसके उलट भाजपा ऐसी ही घटनाओं और आंदोलनों के मद्देनजर विभिन्न राज्यों में अपने प्रतिनिधिमंडल भेजती रही है, ताकि आंदोलनकारियों के प्रति सहानुभूति और समर्थन जताकर जन-समर्थन हासिल किया जा सके। लखीमपुर कांड बेहद खौफनाक और त्रासद है।
दिव्याहिमाचल
