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इसरो के वरिष्ठ सलाहकार व वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने जिस तरह अपने खिलाफ हुई जानलेवा साजिशों का पर्दाफाश किया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वरिष्ठ सलाहकार व वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने जिस तरह अपने खिलाफ हुई जानलेवा साजिशों का पर्दाफाश किया है वह बेहद सनसनीखेज है। वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उन्हें मारने के लिए 2017 से 2020 तक तीन बार कोशिश की गई। जिनमें आर्सेनिक ट्राई एक्साईड देने के अलावा घर में साँप छोड़ना भी शामिल है। केमिकल की मात्रा कम होने के कारण उनकी जान बच गई, परंतु शारीरिक तौर पर उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस मामले को पूरी गंभीरता से लेकर अंतिरक्ष केन्द्र व वैज्ञानिकों की सुरक्षा अचूक करने की आवश्यकता है। प्रतिस्पर्धा, ईर्ष्या और देशों की आपसी शत्रुता के दौरान वैज्ञानिकों पर जानलेवा हमलों की साजिश को से इंकार नहीं किया जा सकता।
शत्रु देशों द्वारा दूसरे देशों की फौज में जासूसों की घुसपैठ से लेकर वैज्ञानिक खोजों की गुप्त जानकारी हासिल करने का इतिहास काफी पुराना है। फिर जब कोई देश उन्नति कर रहा तब उसका निशाने पर आना स्वाभाविक ही है। सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वह समय पर जरूरी कदम उठाकर सुरक्षा को सुनिश्चित करे। तपन मिश्रा ने यह भी कहा है कि उनको जहर दिए जाने की आशंका के चलते एक साथी डॉयरेक्टर व गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने उन्हें पहले ही सचेत कर दिया था। इससे साफ होता है कि श्री मिश्रा द्वारा किए गए खुलासे उनकी कोई मनघडंÞत कहानी नहीं हैं, इसके बारे में गृह मंत्रालय तक को भी खबर थी। लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि जब तीन साल पहले गृह मंत्रालय के किसी अधिकारी को इस बारे में पता था तब वैज्ञानिकों को मारने की कोशिश की तीन घटनाएं कैसे घटित हो गर्इं?
सवाल यह भी उठता है कि संबंधित अधिकारी को सब कुछ पता होने के बाद आखिर वैज्ञानिक की सुरक्षा को लेकर किए गए प्रबंधों में ढील क्यों रही? जिसके चलते साजिशकर्ता आगे बढ़ता रहा। श्री मिश्रा ने दावा किया है कि इन साजिशों का उद्देश्य व्यापारिक स्तर पर राडार बनाने वाले वैज्ञानिकों को किनारे करना है। वरिष्ठ वैज्ञानिक के आरोपों में कितनी सच्चाई है इसका पता तो जांच के बाद ही लग सकेगा, लेकिन अंतरिक्ष केन्द्र के वैज्ञानिकों की सुरक्षा के लिए गुप्तचर और सुरक्षा एजेंसियों को अपनी ड्यूटी करने में कोई चूक नहंी करनी चाहिए। शत्रु देशों द्वारा दूसरे देशों की फौज में जासूसों की घुसपैठ से लेकर वैज्ञानिक खोजों की गुप्त जानकारी हासिल करने का इतिहास काफी पुराना है। फिर जब कोई देश उन्नति कर रहा तब उसका निशाने पर आना स्वाभाविक ही है।
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