सम्पादकीय

कल्पनाशीलता मन के हत्थे न चढ़े- भविष्य के प्रति योजना बनाएं; कोई सृजन कर रहे हों तो कल्पनाशील जरूर रहें

Gulabi
14 Jan 2022 8:28 AM GMT
कल्पनाशीलता मन के हत्थे न चढ़े- भविष्य के प्रति योजना बनाएं; कोई सृजन कर रहे हों तो कल्पनाशील जरूर रहें
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हकीकत को फसाना बनने में देर नहीं लगती और यह काम करता है हमारा मन
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:
हकीकत को फसाना बनने में देर नहीं लगती और यह काम करता है हमारा मन। फसाना यानी कल्पित विचार, साहित्य। कल्पनाशीलता मनुष्य में होना चाहिए, लेकिन हवाई ख्याल खतरनाक है। कल्पना और हवाई ख्याल में फर्क है। कल्पनाशीलता आती है हृदय व बुद्धि के मेल से, हवाई ख्याल आते हैं मन और बुद्धि के मेल से। तो भविष्य के प्रति जब भी कोई योजना बनाएं, कोई सृजन कर रहे हों तो कल्पनाशील जरूर रहें, लेकिन ध्यान रहे कि कल्पना का संचालन मन द्वारा न हो।
अपनी कल्पनाशीलता को कभी मन के हत्थे मत चढ़ने दीजिएगा। मन का जानकारी एकत्रित करने का स्वभाव होता है, इसीलिए वह विस्तार लेता चला जाता है। लेकिन, जब आप हृदय से जुड़ते हैं तो हृदय गहराई में जाता है और वहां ज्ञान मिलता है। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि तैरना और डुबकी लगाना। यदि आप किसी नदी में तैर रहे हैं तो उसमें परिश्रम है, विस्तार है। बिलकुल वैसे ही जैसे मन जानकारी इकट्ठी करता है। यदि डुबकी लगा रहे हैं तो हृदय की गहराइयों में जा रहे हैं।
भीग अब भी रहे हैं, परिश्रम अब भी हो रहा है। अभी हमारे जीवन में जो दौर चल रहा है, यह विज्ञान और तकनीक का है। इस समय हमें बहुत ध्यान रखना है कि बुद्धि कितने समय हृदय से जुड़े और कितने समय मन से। यदि यह जोड़ बिगड़ गया तो विज्ञान और तकनीक के लाभ की जगह हानि अधिक उठा लेंगे।
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