लाइफ स्टाइल

जोड़ों में दर्द और सूजन को ना करे नज़रअंदाज़

Subhi
6 Sep 2022 5:18 AM GMT
जोड़ों में दर्द और सूजन को ना करे नज़रअंदाज़
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जोड़ों में दर्द और सूजन को नज़रअंदाज़ करने की गलती कभी न करें, क्योंकि ये यूरिक एसिड के संकेत हो सकते हैं। घुटनों या टखने के जोड़ों में सूजन के साथ दर्द एक रेड अलार्म की तरह हो सकता है

जोड़ों में दर्द और सूजन को नज़रअंदाज़ करने की गलती कभी न करें, क्योंकि ये यूरिक एसिड के संकेत हो सकते हैं। घुटनों या टखने के जोड़ों में सूजन के साथ दर्द एक रेड अलार्म की तरह हो सकता है, इसकी जांच ज़रूर कराएं। मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूरिक एसिड के उच्च स्तर के लक्षण आमतौर पर नज़र नहीं आते और इसका पता टेस्ट से ही पता चलता है।

यूरिक एसिड का उच्च स्तर क्या ख़रनाक होता है?

यूरिक एसिड हमारे मेटाबॉलिक फंक्शन का हिस्सा है, लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव और ज़्यादा दवाओं का सेवन यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा देता है। रक्त में यूरिक एसिड का स्तर ज़्याद मछली, मांसाहारी खाने, कॉफी, चॉकलेट आदि से बढ़ता है।

असंतुलित यूरिक एसिड के लक्षण

हाई यूरिक एसिड का मतलब है कि किडनी सही तरीके से काम नहीं कर रही हैं। यूरिक एसिड के यह क्रिस्टल्स जोड़ों में जमा हो जाते हैं और गाउट आर्थराइटिस का कारण बनते हैं, जिसमें सूजन के साथ दर्द और रेडनेस आ जाती है और चलना फिरना मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर पैर का अंगूठा प्रभावित होता है, लेकिन टखना, पंजा, घुटना और कई बार हाथ और कलाई पर भी इसका असर देखा जा सकता है।

इलाज न किया जाए तो क्या होता है?

यूरिक एसिड का उच्च स्तर गाउट या यूरिक एसिड स्टोन्स का कारण बनता है। गाउट ऐसी सूजन है, जो जोड़ों में जमा यूरिक एसिड के कारण होती है। इस जमाव के कारण जोड़ों में सूजन, दर्द होने लगता है। अगर गाउट का इलाज न किया जाए, तो यह जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है, तो स्थिति को गंभीर कर सकता है।

हाई यूरिक एसिड का ख़तरा किन लोगों में ज़्यादा होता है?

जिन लोगों की लाइफस्टाइल और डाइट स्वस्थ नहीं है, उनमें इसका ख़तरा बढ़ जाता है। इसके अलावा कुछ दवाएं भी हैं, जो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाती हैं। अगर आप मोटापा, डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन या फिर किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको यूरिक एसिड की जांच समय-समय पर करवाते रहना चाहिए।

यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए क्या कर सकते हैं?

मोटापे और डायबिटीज़ को मैनेज करें।

शरीर को हाइड्रेट रखें।

प्यूरीन से भरपूर खाने से दूर रहें। शराब, मछली, सीफूड, शेलफिश, कलेजी, दालें, पालक, गोभी, मशरूम को भी डाइट में शामिल न करें।

डाइट में विटामिन-सी का सेवन बढ़ाएं। चैरी खूब खाएं।

न्यूज़ क्रेडिट : जागरण

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