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- दूर की नीति
लगातार पांचवीं बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करके भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने मौद्रिक नीति में उदार रुख बनाए रखा है। मौद्रिक नीति समिति ने चालू वित्त वर्ष (2021-22) की पहली बैठक में उन सभी कदमों पर जोर दिया है जो अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए जरूरी समझे जा रहे हैं। इस वक्त बड़ी चुनौती पिछले एक साल में ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की है। ऐसे में केंद्रीय बैंक फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा है। अभी रेपो रेट चार फीसद और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसद पर ही बनी रहेगी। पिछले डेढ़ दशक में ऐसा पहली बार हुआ है जब आठ महीने से रेपो और रिवर्स रेपो दरें अपने न्यूनतम स्तर पर हैं। लेकिन इस वक्त आरबीआइ की बड़ी चिंता वित्तीय स्थिरता को लेकर है। अर्थव्यवस्था के कई मोर्चे एक साथ साधने हैं। ज्यादातर राज्यों की माली हालत खस्ता है। महंगाई रुला रही है। ऐसे में नीतिगत दरों में फिलहाल और कमी की गुंजाईश बन नहीं सकती थी। हालांकि मौद्रिक नीति समिति ने जरूरत पड़ने पर इसमें कटौती का विकल्प खुला रखा है।