सम्पादकीय

बयान पर विवाद

Subhi
20 May 2021 5:14 AM GMT
बयान पर विवाद
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भयावह संकट के इस दौर में राजनेताओं से यह उम्मीद तो कर ही सकते हैं

भयावह संकट के इस दौर में राजनेताओं से यह उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि वे अपना ध्यान संकट से लोगों को उबारने में लगाएंगे और बेवजह के विवाद नहीं खडे़ करेंगे। दिख यह रहा है कि ऐसे विवाद अब भी कम नहीं हो रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐसा ही एक विवाद अपने बयान से खड़ा कर दिया है। उन्होंने बयान दिया कि कोरोना वायरस का सिंगापुर में आया नया रूप बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बताया जा रहा है। भारत में यह तीसरी लहर के रूप में आ सकता है, इसलिए सिंगापुर से हवाई सेवाएं तुरंत रोकी जाएं और बच्चों के टीकाकरण की दिशा में तेजी से काम हो। इस बयान पर सिंगापुर सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया की और भारत के उच्चायुक्त को तलब कर अपना विरोध जताया। इस पर भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा है, वह भारत का आधिकारिक पक्ष नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने केजरीवाल के खिलाफ बयान दिया, तो दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री का बचाव किया।

चूंकि महामारी और इससे जुडे़ कुछ पहलू मूलत: राजनीतिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक हैं, इसलिए इसी नजरिए से उन पर विचार करना जरूरी होगा। पहला मुद्दा यह है कि सिंगापुर में फिलहाल जो कोरोना मरीज मिल रहे हैं, उनमें वायरस का वही रूप देखने में आ रहा है, जो इन दिनों भारत में दिख रहा है। सिंगापुर में कोई नया रूप नहीं देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जिस खबर को आधार बनाकर बयान दिया था, उसके मुताबिक सिंगापुर में पिछले दिनों कुछ बच्चों के संक्रमित हो जाने के बाद वहां स्कूल बंद कर दिए गए। सिंगापुर में अब भी संक्रमित मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम है और ताजा लहर में भी तीस-चालीस लोगों के बीमार होने की खबर है, जिनमें बच्चे शायद चार-पांच हैं। वे सभी एक साथ किसी ट्यूशन में जाते थे। इन सभी बच्चों को मामूली लक्षण हैं। सिंगापुर में सरकार का मिजाज हमेशा से कुछ सख्त रहा है और कोरोना के खिलाफ भी उसने काफी सख्ती बरती है। शायद इसी मिजाज के चलते उसने स्कूल भी बंद किए और केजरीवाल के बयान पर भी सख्त प्रतिक्रिया दर्शाई।
यह साफ है कि सिंगापुर से कोरोना वायरस के किसी नए खतरनाक रूप के आने और उससे बच्चों के प्रभावित होने की कोई आशंका नहीं है। अभी तक कोरोना वायरस का कोई ऐसा रूप देखने में नहीं आया है, जो विशेष रूप से बच्चों को संक्रमित करता हो या उनके लिए ज्यादा खतरनाक हो। ब्राजील में जरूर बड़ी तादाद में बच्चे संक्रमित हुए हैं और उनकी मौत भी हुई है, पर वैज्ञानिक इसकी वजह सरकारी लापरवाही ज्यादा मानते हैं। जहां तक भविष्य में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की बात है, तो वह आशंका शायद सही हो सकती है, लेकिन उसकी वजहें दूसरी होंगी। ज्यादा बड़ी वजह यह हो सकती है कि फिलहाल वैक्सीनेशन ज्यादातर जगहों पर सिर्फ वयस्कों का हो रहा है। इस तरह वयस्क जब प्रतिरोधक शक्ति हासिल कर लेंगे, तो बच्चे ही बचेंगे, जिन्हें कोरोना हो सकता है। इसीलिए जहां वैक्सीनेशन कार्यक्रम अच्छा चल रहा है, वहां बच्चों को टीका लगाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। इसलिए राजनीतिक बयानबाजी और सनसनी अपनी जगह, बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए सोचना शुरू कर देना चाहिए।

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