सम्पादकीय

देश में फिर से तेज़ हुई सीरो पॉजिटिविटी की चर्चा, जानिए क्या कहते हैं सर्वे के आंकड़े

Rani Sahu
30 July 2021 2:05 PM GMT
देश में फिर से तेज़ हुई सीरो पॉजिटिविटी की चर्चा, जानिए क्या कहते हैं सर्वे के आंकड़े
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सीरो पॉजिटिविटी को लेकर देश में फिर से चर्चा जोरों पर है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने चौथे राउंड का सीरो सर्वे (Siro Survey) कराया है

पंकज कुमार। सीरो पॉजिटिविटी को लेकर देश में फिर से चर्चा जोरों पर है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने चौथे राउंड का सीरो सर्वे (Siro Survey) कराया है जिसमें मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 75.9 फीसदी एंटीबॉडी (Antibody) और केरल में सबसे कम 44.4 फीसदी एंटीबॉडी मिले हैं. आइए समझते हैं कि सीरो पॉजिटिविटी होता क्या है? आईसीएमआर सीरो सर्वे बार-बार कराती क्यों है?

सीरो सर्वे या सीरो अध्ययन में ये पता किया जाता है कि कितने लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं. सीरो सर्वे के माध्यम से किसी इलाके में कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता किया जाता है.
सीरो सर्वे कैसे किया जाता है?
इंसान के ब्लड सीरम को टेस्ट किया जाता है, जिसे एंटीबॉडी टेस्ट कहते हैं. इससे ये पता चलता है कि शरीर का इम्यून सिस्टम संक्रमण के खिलाफ काम कर रहै है या नहीं. दरअसल शरीर में दो तरह के एंटीबॉडी होते हैं. एक को आईजीएम (इम्मुनोग्लोब्यूलिन एम, IGM) आईजीजी (इम्मुनोग्लोब्यूलिन जी,IGG) कहते हैं. IGM एंटीबॉडी शरीर में एक्टिव इंफेक्शन को बताता है. वहीं इम्मुनोग्लोब्यूलिन जी, IGG शरीर में इंफेक्शन के दो सप्ताह बाद पैदा होता है जो लंबे समय तक मौजूद रहता है.
सर्वे में लिया गया सैंपल इसी इम्मुनोग्लोब्यूलिन जी, IGG की मौजूदगी की वजह से पता चलता है कि कितने लोग इंफेक्शन से रिकवर हो चुके हैं और उनके शरीर में कितनी एंटीबॉडी तैयार हो चुकी है. चौथे राउंड के सर्वे में पाया गया है कि भारत में 67.6 फीसदी लोगों ने एंटीबॉडी डेवलप कर लिया है.
सीरो सर्वे की जरूरत क्यों पड़ती है?
सीरो सर्वे से असली संक्रमण और दर्ज मामले के बीच की खाई को पाटता है. दरअसल कई मामले एसिंप्टोमेटिक होने की वजह से रजिस्टर नहीं होते हैं. इसलिए सीरो सर्वे से मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा सकता है कि वायरस से एक्सपोज आबादी का कितना बड़ा हिस्सा हुआ है. दरअसल माना जाता है कि कोरोना निष्प्रभावी तब से होने लगेगा जब 70 फीसदी से ज्यादा आबादी में एंटीबॉडी डेवलप हो जाएगा. इसी स्टेज को हार्ड इम्यूनिटी भी कहा जाता है.
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अरुण शाह कहते हैं कि सीरो सर्वे से आने वाले समय का पता लगाया जा सकता है, साथ ही किस ग्रुप के लोगों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है इसका भी पता चल जाता है. नोएडा के फिजीशीयन डॉ अमित कहते हैं कि सीरो पॉजिटिव लोग संक्रमण की चेन को रोकते हैं और ऐसी अवस्था से पता चल पाता है कि हम हार्ड इम्यूनिटी से कितने दूर हैं.
ताजा सर्वे क्या कहता है?
देश में मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में सीरो पॉजिटिविटी सबसे ज्यादा देखी गई है. वहीं केरल,असम और महाराष्ट्र में सीरो पॉजिटिविटी कम पाई गयी है. ज़ाहिर है ज्यादा आंकड़े वहां की ज्यादा आबादी में संक्रमण के सबूत हैं. वहीं कम आंकड़े ज्यादा लोगों में संक्रमण की गुंजाइश की ओर इशारा करते हैं.
कब तक शरीर में इम्यून सिस्टम काम करता है
स्टडी के मुताबिक इम्यूनिटी शरीर में 4 से 6 महीने तक रहता है. लेकिन शरीर में मोजूद टी सेल्स की वजह से लंबे समय तक इम्यूनिटी रह सकता है. दरअसल टी सेल्स को मेमोरी सेल्स कहा जाता है जो लंबे समय तक एंटीजन या वायरस को पहचानने की क्षमता रखता है. इसलिए अगर कोई इंसान दोबारा वायरस के संपर्क मे आता है तो वायरस उसके शरीर में मल्टीप्लाई नहीं करे ये काम टी सेल्स करता है. शरीर के अंदर मौजूद टी सेल्स उसे पहचान लेता है और उसे मल्टीप्लाई करने से रोक देता है.





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