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- नियुक्तियों में भेदभाव...
सुप्रीम कोर्ट में शपथ ग्रहण करने वाले नौ जजों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका भी शामिल हैं। पिछले वर्ष जनवरी में कर्नाटक हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उन्होंने महत्वपूर्ण आदेश पारित किया था। जस्टिस ओका ने कहा था कि जिला अदालत और ट्रायल कोर्ट को लोअर यानी निचली या अधीनस्थ अदालत कहने का चलन बंद होना चाहिए। संविधान के अनुसार हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक न्यायालय का दर्जा मिला है, लेकिन जिला अदालतों के जज भी पंच परमेश्वर के तौर पर पूर्ण न्याय करने में सक्षम हैं। इसलिए उन्हें निचली अदालत नहीं कहा जा सकता। देश में मुकदमेबाजी का पेशेवर चलन बढ़ने से अब लोग अदालतों के फैसले नहीं मानते। देश में इस वक्त 4.5 करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। इनमें लगभग 3.99 करोड़ मामले जिला अदालतों में और 56 लाख मामले सभी हाइकोर्ट में लंबित हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।