सम्पादकीय

नाहक सियासत

Subhi
31 Dec 2021 3:03 AM GMT
नाहक सियासत
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इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ कोई व्यक्ति निराधार, जहरीले विचारों और नफरत का प्रसार करे।

इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ कोई व्यक्ति निराधार, जहरीले विचारों और नफरत का प्रसार करे। किसी भी सोचने-समझने वाले जिम्मेदार नागरिक की नजर में यह अस्वीकार्य होगा और संबंधित क्षेत्र की सरकार और प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह नफरत फैलाने वाले उस व्यक्ति पर कानूनसम्मत कार्रवाई करे। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ की पुलिस ने कालीचरण महाराज नामक व्यक्ति को गिरफ्तार करके यही संदेश देने की कोशिश की है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और उसे समाज में नफरत और हिंसक विचार को फैलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते रायपुर में धर्म संसद नाम से हुए आयोजन में कालीचरण ने महात्मा गांधी के बारे में कई आपत्तिजनक बातें कहीं। यहां तक कि उनकी हत्या को भी सही ठहराने की कोशिश की। इससे संबंधित चर्चित वीडियो में कालीचरण बिना किसी संकोच के महात्मा गांधी के खिलाफ अपने दुराग्रह और उनकी हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के प्रति भक्तिभाव दर्शा रहा था।
यह समझना मुश्किल है कि किसी व्यक्ति को एक ऐसे शख्स से इस हद तक नफरत कैसे हो सकती है, जिसने अपनी जिंदगी देश की आजादी के आंदोलन में झोंक दिया और जिसने अपने जीवन-मूल्यों से दुनिया भर में अहिंसा का संदेश फैलाया। आज महात्मा गांधी केवल भारत में नहीं, बल्कि दुनिया भर में एक महान शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं। मगर भारत में ही कुछ लोग उनके खिलाफ जहरीले विचार जाहिर कर उनके योगदान को खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं। एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र से जुड़े प्रतीकों के खिलाफ हिंसक विचारों का प्रसार शायद सभी देशों में कानून की कसौटी पर अनुचित माना जाता होगा।
इसलिए कालीचरण के खिलाफ कई जगहों पर मुकदमे दर्ज हुए और इस क्रम में छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस ने उसे मध्यप्रदेश के खजुराहो से पच्चीस किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम स्थित लाज से गिरफ्तार किया, जहां वह छिपा हुआ था। इस मामले में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने कालीचरण की गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर एतराज जताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की पुलिस की अपनी कार्रवाई की जानकारी मध्यप्रदेश पुलिस को देनी चाहिए थी। इससे तय अंतरराज्यीय नियम-कायदों का उल्लंघन हुआ है।
सवाल है कि जो व्यक्ति अपनी करतूत के नतीजे का अंदाजा लगा कर भाग खड़ा हुआ था और दूर जाकर कहीं छिपा हुआ था, वह अपनी गिरफ्तारी के बारे में जानकारी मिलने पर क्या इतनी आसानी से पकड़ में आता! कई बार पुलिस के कामकाज करने का तरीका ऐसा होता है, जिसमें प्रक्रिया को लेकर कुछ सवाल-जवाब की गुंजाइश हो सकती है, मगर असली मकसद किसी अपराध के आरोपी को कानून के कठघरे में खड़ा होना चाहिए। कालीचरण ने जिस तरह अपने बयान में अपने दुराग्रहों का प्रदर्शन किया, वह केवल महात्मा गांधी के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश नहीं है, बल्कि एक तरह से देश की आजादी के आंदोलन के मूल्यों और संघर्ष की भावनाओं को अपमानित करना है।
इससे ज्यादा अफसोसनाक और क्या हो सकता है कि जिस व्यक्ति और उनके साथ खड़े लाखों-करोड़ों लोगों ने निस्वार्थ भाव से देश की आजादी के लिए आंदोलन में हिस्सा लिया, उसमें न जाने कितने लोगों ने अपना बलिदान दिया, उसकी अहमियत को स्वीकार करने के बजाय उसे अपमानित किया जाए। कालीचरण की गिरफ्तारी का तरीका गलत हो सकता है, मगर उसका दोष सिद्ध है। इस पर राजनीति करने के बजाय अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।

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