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- दिशाहीन कांग्रेस:...
भूपेंद्र सिंह | हाल में हुए पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस ने अपनी पराजय के कारणों पर गौर करने के बाद यह पाया कि गुटबाजी और गठबंधन उस पर भारी पड़े। यह निष्कर्ष उस अशोक चव्हाण समिति का है, जिसका गठन यह पता लगाने के लिए किया गया था कि कांग्रेस को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पराजय का सामना क्यों करना पड़ा? देखना है कि इस समिति की रपट को सार्वजनिक किया जाता है या नहीं, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि 2014 के लोकसभा चुनावों में पराजय के कारण जानने के लिए गठित एके एंटनी समिति की रपट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई और यह किसी को पता नहीं कि 2019 के लोकसभा चुनावों में हार की वजह जानने की कोई कोशिश की गई या नहीं? जो भी हो, यह लगता नहीं कि कांग्रेस हार के कारणों पर ईमानदारी से मंथन करने के लिए तैयार है, क्योंकि यदि पार्टी में गुटबाजी थी तो फिर उसे दूर क्यों नहीं किया जा सका? क्या कांग्रेस नेतृत्व यानी गांधी परिवार इतना सक्षम नहीं कि वह अपने नेताओं की गुटबाजी दूर न कर सके? सवाल यह भी है कि आखिर कांग्रेस दो साल बाद भी नेतृत्व का मसला क्यों नहीं सुलझा पाई है? क्या कारण है कि सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बने हुए अर्सा बीत गया है और फिर भी पार्टी नए अध्यक्ष का चुनाव कराने की जरूरत नहीं समझ रही है? क्या नए अध्यक्ष के चुनाव में भी पार्टी की गुटबाजी आड़े आ रही है?