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अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात से भारत की नींद उड़ना लाजिमी है। तालिबान लड़ाकों और सरकारी फौज के बीच भीषण लड़ाई के मद्देनजर भारत की पहली चिंता अब वहां मौजूद अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर है। इसलिए युद्धरत अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी पहला जरूरी काम था। अफगानिस्तान में हालात तो काफी समय से चिंताजनक हैं। लेकिन अब से पहले भारतीयों से अफगानिस्तान छोड़ने को नहीं कहा गया था। पहली बार ऐसा हुआ है जब भारत को संकटग्रस्त देश से अपने नागरिक सुरक्षित निकालने का फैसला करना पड़ा। इससे पता चलता है कि वाकई वहां हालात कितने बदतर होते जा रहे हैं और लोगों का जीवन कितने गंभीर संकट में है। अफगानिस्तान में इस वक्त करीब डेढ़ हजार भारतीय हैं। इनमें राजनयिक, दूतावास कर्मचारी और भारतीय कंपनियों व परियोजनाओं में काम कर रहे भारतीय शामिल हैं। इनके अलावा मीडियाकर्मी भी हैं जो अफगानिस्तान में मोर्चे पर जमे हैं। इन्हें लाने के लिए भारत ने विशेष विमान भी भेजा है। डर तो इस बात का है कि मौजूदा हालात में कहीं उड़ानें भी बंद न कर दी जाएं। कई देश तो बहुत पहले ही अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाल चुके हैं।