सम्पादकीय

कूटनीतिक विजय

Subhi
8 April 2022 5:44 AM GMT
कूटनीतिक विजय
x
पिछले कुछ सालों से चीन पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश को एक कूटनीति के तहत लगातार वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा था। वह इन देशों के माध्यम से भारत के चारों ओर अपनी पैठ बनाना चाहता था।

Written by जनसत्ता: पिछले कुछ सालों से चीन पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश को एक कूटनीति के तहत लगातार वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा था। वह इन देशों के माध्यम से भारत के चारों ओर अपनी पैठ बनाना चाहता था। एक हद तक वह सफल भी रहा। कर्ज में डूब जाने की वजह से इन देशों की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो गई कि वहां महंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई।

नेपाल को यह बीत समझ आ गई है और उसने चीन से दूरी बनानी शुरू कर दी है। भारत को चाहिए कि वह अपने सीमावर्ती देशों को आर्थिक और सामरिक सहायता देकर अपने पक्ष में कर ले, ताकि हम चारों ओर से सुरक्षित हो जाएं। रूस का भारत से यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता को कहना हमारी कुशल कूटनीति का ही प्रमाण है।

राजनीति की कोई धुरी नहीं है। यहां मतदाता कब पाला बदल लेते हैं, कोई नहीं जानता। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब भी जीत लिया। केजरीवाल का अगला मिशन राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। राजस्थान में बड़े दावे करने वाली कांग्रेस केजरीवाल की सक्रियता से चिंतित दिख रही है। आम आदमी पार्टी जहां भी चुनाव लड़ती है, वहां कांग्रेस के वोट ही काटती है। राजस्थान में त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है। इस बार केजरीवाल गुजरात में दलित कार्ड खेल सकते हैं। पर वहां उनकी दाल गलने वाली नहीं है।

विकास के नाम पर वोट खींचने वाली भाजपा पच्चीस साल से गुजरात में सत्ता में है। वहां आम आदमी पार्टी और बीटीपी का गठबंधन होगा, जिससे भाजपा और कांग्रेस को टक्कर दिया जा सके। पंजाब के बाद गुजरात में रोड शो के बाद आप की सक्रियता बढ़ी है। पर राजस्थान की राजनीति में हर बार बदलाव होता है। इस बार भाजपा दो भागों में बंट गई है। अगर वहां सक्रियता नहीं बढ़ी, तो दोनों पार्टियां हाथ मलती रह जाएंगी।

यद्ध नीति यही कहती है कि किसी भी मकसद के लिए सेनाओं में युद्ध होता है और कूटनीति और राजनीति के जरिए समाधान। पर युद्ध नीति यह नहीं कहती कि नागरिकों और नागरिक क्षेत्रों में सीधे हमले कर उन्हें तबाह किया जाए। जब नागरिक और नागरिक क्षेत्र ही नहीं रहेंगे और न कोई देश रहेगा, तो क्या सिर्फ श्मशान भूमि पर राज करेंगे जीतने वाले देश। अनेक देशों के साथ ही हमारे देश ने भी जनसंहार रोकने की बात कही है। विदेशमंत्री एस जयशंकर ने भी कहा है कि जनसंहार युद्ध का समाधान नहीं है, बातचीत से ही समाधान निकल सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में घर के घर बर्बाद हो रहे हैं। यह किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है। दुनिया भर में नागरिकों की हत्या की आलोचना और निंदा हो रही है। सभी का मानना है कि युद्ध रुकना चाहिए और शांति बहाल होनी चाहिए। युद्ध बहुत लंबा खिंच गया है। अब भी कोई समाधान नहीं निकला है और बर्बादी बढ़ती जा रही है। इस पर रूस-यूके्रन और संयुक्त राष्ट्र के साथ ही सभी देशों को गंभीरता से विचार-विमर्श करके शीघ्र युद्ध को रुकवाना चाहिए, ताकि हत्याएं रुकें और अमन स्थापित हो सके।

Next Story