सम्पादकीय

दिग्विजय सिंह का 'सेल्फ गोल'

Triveni
14 Jun 2021 1:29 AM GMT
दिग्विजय सिंह का सेल्फ गोल
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जिस तरह के स्वर कांग्रेस में सुनाई दे रहे हैं वह पार्टी के ​लिए अच्छे नहीं कहे जा सकते।

आदित्य चोपड़ा| जिस तरह के स्वर कांग्रेस में सुनाई दे रहे हैं वह पार्टी के ​लिए अच्छे नहीं कहे जा सकते। कांग्रेस कई तरह के वायरस से संक्रमित हो चुकी है और यह सवाल उठने लगा है कि क्या स्वतंत्रता संग्राम लड़ने वाली कांग्रेस का अस्तित्व बचेगा भी या नहीं। कांग्रेस कभी जनाधार नहीं खोती, यदि विचारधारा और सैद्धांतिक स्तर पर पार्टी के नेता खोखले नहीं होते। कहा तो अब भी यही जाता है कि देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने वाली कांग्रेस देशवासियों के डीएनए में शामिल है लेकिन यह भी सत्य है कि कांग्रेस को किसी ओर ने नहीं अपनों से ज्यादा नुक्सान हुआ है।

एम ओ हयूम की पार्टी
महात्मा गांधी की पार्टी
पंडित नेहरू की कांग्रेस
लाल बहादुर शास्त्री की पार्टी
मौलाना आजाद की कांग्रेस
इंदिरा गांधी की कांग्रेस
राजीव गांधी की कांग्रेस।
आज कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर सिमट चुकी है तो सवाल तो उठेंगे ही। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके ​दिग्विजय सिंह उर्फ दिग्गी राजा ने यह कहकर न केवल अपने बल्कि कांग्रेस के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो अनुच्छेद 370 को बहाल करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने यह बात इंटरनेट प्लेटफार्म क्लब हाऊस में एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल के जवाब में कही। यद्यपि कांग्रेस ने दिग्विजय के बयान से किनारा कर कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा पारित प्रस्ताव पढ़ने को कहा है, जिसमें कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के तरीके पर सवाल उठाए हैं। दिग्विजय सिंह ने बयान देकर सेल्फ गोल ही नहीं किया बल्कि कांग्रेस की बची-खुची हैसियत को और कमजोर करने का प्रयास किया है। वैसे दिग्गी राजा बयानबाजी कर नया शिगूफा छोड़ने में सिद्धहस्त हैं। तिल को ताड़ बनाने की कला में पारंगत, कभी एक विदूषक और कभी सुनियोजित रणनीति के तहत आतंकवादियों का समर्थन करने वाले दिग्विजय सिंह की छवि ऐसी बन चुकी है जो पहले कभी अर्जुन सिंह की हिन्दू विरोधी भड़काऊ भूमिका के कारण बनी थी। क्या दिग्विजय सिंह कांग्रेस से छिटक चुके मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करना चाहते हैं? क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्होंने यह कार्ड खेला है। कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भी जम्मू-कश्मीर और अल्पसंख्यक कार्ड खेला था। जिस तरह से एक झटके में नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटा कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को विभाजित कर उसकी सराहना पूूरे राष्ट्र ने की। अब जम्मू-कश्मीर में 370 हटाए जाने के बाद प्रतिबंध समाप्त हो गए हैं। वहां पंचायत और जिला परिषद चुनावों में एक भी गोली नहीं चली थी। कश्मीरी अवाम लोकतंत्र में आस्था जता कर राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। आतंकवाद खत्म होने की ओर अग्रसर है। कुछ बचे-खुचे आतंकवादी हताशा में हिंसा जरूर कर रहे हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर​ विकास के पथ पर है। ऐसे में 370 बहाल करने पर विचार करने का बयान एक विक्षि​प्त देशद्रोही ही कर सकता है। कांग्रेस पार्टी के इतिहास में दिग्विजय सिंह ऐसे प्रवक्ता रहे जिसने राजनीतिक विमर्श के सतेहपन के सारे रिकार्ड ध्वस्त किए। राजनीति में वे किसी बड़े अदृश्य देश विरोधी लॉबी के अनियंत्रित मोहरे अवश्य लगते हैं।
पाठकों को याद ही होगा कि मुम्बई में आतंकवादी हमलों के तुरन्त बाद उन्होंने इन हमलों के पीछे हिन्दुवादी संगठनों का हाथ बताया था। भगवा आतंकवाद का शिगूफा छोड़ कर हिन्दुओं को आतंकवादी करार दिया था। उन्होंने बाटला हाउस मुठभेड़ पर सवाल खड़े​ किए थे। अमेरिका द्वारा ओसामा ​बिन लादेन का शव समुद्र में फैंकने पर आपत्ति जताना हो या फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर उन पर हमलावर रुख हो दिग्विजय सिंह हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का पुराना फार्मूला जिसमें उच्च जाति का व्यक्ति अल्पसंख्यक और दलितों के हितों की बात करे तो एक अच्छा संयोजन बन जाता था, वो अब खत्म हो गया। इन्हीं फार्मूलों से कांग्रेस की छवि मुस्लिम परस्त की बन गई और देश के बहुसंख्यक हिन्दू भी उससे दूर छिटक गए। नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रवाद की धारणा ने इतना जोर पकड़ा कि कांग्रेस को धूल चाटने को मजबूर होना पड़ा। इसके लिए कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियां भी बड़ा कारण रहीं। बदली हुई परिस्थितियों में दिग्विजय जैसे नेता पार्टी के लिए अनुपयोगी हो गए। उनका राजनीतिक मॉडल बदली परिस्थितियों के अनुकूल नहीं है और उनकी सबसे बड़ी कमजोरी बदलते हालातों में खुद को बदल नहीं पाना भी है। दिग्विजय सिंह अब कांग्रेस के लिए बोझ बन चुके हैं। कांग्रेस को फिर से उठकर खड़े होना है तो ऐसे विदूषकों से किनारा करना होगा और वैचारिक और सैद्धांतिक स्तर पर खुद मजबूत आैर नया कैडर तैयार करना होगा। यदि दिग्विज सिंह और अन्य नेता ऐसे ही बयानबाजी करते रहे तो पाकिस्तान इनका इस्तेमाल भारत के विरुद्ध कर सकता है। बेहतर है दिग्विजय सिंह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने का सपना भूल जाएं। कांग्रेस को भी जनता की नब्ज पहचाननी होगी अन्यथा भारत को कांग्रेस मुक्त होने में देर नहीं लगेगी।


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