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हम उम्मीद कर सकते हैं कि देश के उत्पादक पीएलआई योजना और शोध व नवाचार जैसे ठोस रणनीतिक कदमों से भारत की चीन पर आर्थिक निर्भरता कम होगी।
भारत सरकार ने 14 फरवरी को चीन पर डिजिटल स्ट्राइक करते हुए देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले 54 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाए हैं। सरकार ने सबसे पहली बार लद्दाख की सीमा पर चीन से टकराव के हालात पैदा होने के बाद जून 2020 में 59 चीनी मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगाए थे। अब तक 321 मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इनमें से ज्यादातर चीनी एप्स हैं। चीन को मोबाइल एप्स पर प्रतिबंधों से बड़ी आर्थिक हानि उठानी पड़ी है।
निश्चित रूप से चीन पर आर्थिक दबाव बनाने के मद्देनजर जहां सरकार ने चीनी एप्स पर प्रतिबंध की नीति अपनाई है, वहीं देश के उपभोक्ताओं एवं उद्यमियों ने चीनी सामान के बहिष्कार की रणनीति भी अपनाई है। गौरतलब है कि अक्तूबर, 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन द्वारा पाकिस्तान का साथ दिए जाने के कारण देश के कोने-कोने में भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा चीनी माल का बहिष्कार किया गया था।
इसी तरह जुलाई, 2017 में सिक्किम के दोकलाम में चीनी सेना के सामने भारतीय सेना को खड़े कर दिए जाने पर जब चीन ने युद्ध की धमकी दी थी, तो भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का जोरदार परिदृश्य दिखाई दिया था। केंद्र सरकार ने भी सरकारी विभागों और मंत्रालयों को चीन के आपूर्तिकर्ताओं के किसी सामान के चयन या खरीदारी से दूर रहने का अनौपचारिक निर्देश दिए हुए हैं।
यह हैरान करने वाली बात है कि जहां वर्ष 2021 की शुरुआत से ही चीन के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध अत्यधिक कटुतापूर्ण रहे हैं, वहीं वर्ष 2021 में चीन से आयात और व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारत और चीन के बीच वर्ष 2021 में किए गए द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से नवंबर, 2021 के बीच दोनों देशों में कुल 8.57 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड व्यापार हुआ, जो पिछले वर्ष 2020 के समान अवधि के मुकाबले 46.4 फीसदी ज्यादा है।
भारत ने इन 11 महीनों की अवधि में चीन से 6.59 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड सामान खरीदा है, जो कि पूर्ववर्ती वर्ष की समान अवधि की तुलना में 49 फीसदी ज्यादा है। निस्संदेह अब तक चीन से आर्थिक निर्भरता कम करने के अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं, ऐसे में चीन से आर्थिक निर्भरता और व्यापार घाटा कम करने के लिए हमें तीन बातों पर ध्यान देना होगा। एक, चीन से आयात नियंत्रित किए जाएं। दो, चीन को निर्यात बढ़ाए जाएं, तीन, वोकल फॉर लोकल का अभियान तेजी से आगे बढ़ाकर स्थानीय एवं स्वदेशी उत्पादों का उपयोग बढ़ाया जाए।
सरकार ने चीन के कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत नवंबर, 2020 से 13 औद्योगिक सेक्टरों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम को करीब दो लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहनों के साथ कार्यान्वयन को तेजी से आगे बढ़ाया है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि देश के उत्पादक पीएलआई योजना और शोध व नवाचार जैसे ठोस रणनीतिक कदमों से भारत की चीन पर आर्थिक निर्भरता कम होगी।
सोर्स: अमर उजाला
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