सम्पादकीय

आ गया डिजिटल रुपया

Subhi
3 Nov 2022 3:53 AM GMT
आ गया डिजिटल रुपया
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आखिरकार भारत में डिजिटल करेंसी यानि वर्चुअल करेंसी की शुरूआत हो गई। आरबीआई ने अभी इसे पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर शुरू किया है। अभी डिजिटल रूपी का इस्तेमाल थोक लेनदेन में होगा।

आदित्य चोपड़ा: आखिरकार भारत में डिजिटल करेंसी यानि वर्चुअल करेंसी की शुरूआत हो गई। आरबीआई ने अभी इसे पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर शुरू किया है। अभी डिजिटल रूपी का इस्तेमाल थोक लेनदेन में होगा। डिजिटल रुपी अब आप की पॉकेट में नहीं होगा लेकिन वर्चुअल वर्ल्ड में इसका इस्तेमाल आप कर सकेंगे। दुनिया भर में बि​टकाॅइन और दूसरी क्रिप्टो करेंसी के उदय के कारण तमाम वित्तीय संस्थान डिजिटल करेंसी लाने को विवश हुए हैं। कुछ लोग डिजिटल करेंसी को क्रिप्टो करेंसी की काट मान रहे हैं। लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। सैंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी मूल रूप से एक वर्चुअल करेंसी है जो केन्द्रीय बैंक द्वारा टेंडर के रूप में जारी की जाती है। यह एक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त करेंसी है और इसे देश की सरकार द्वारा जारी किया जाता है, जबकि क्रिप्टो को किसी भी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। क्रिप्टो करेंसी डिजिटल वॉलेट में रखी जाती है। क्रिप्टो करेंसी में जबरदस्त उतार-चढ़ाव होते हैं जबकि डिजिटल करेंसी में उतार-चढ़ाव नहीं होते। पायलट प्रोजैक्ट की शुरूआत के समय कई बड़े बैंकों ने भाग लिया और काफी बड़े लेनदेन किए। पायलट प्रोजैक्ट फिलहाल चुुने हुए ग्राहकों और कारोबारियों के बीच एक महीने तक चलेगा। बाद में इसे डिजिटल रुपए के तौर पर शुरू किया जाएगा। आरबबीआई की तरफ से डिजिटल मुद्रा जारी करने वाला भारत पहला देश बन गया है। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात, रूस, स्वीडन, जापान, ऐस्टोनिया और वेनेजुएला जैसे देश खुद की क्रिप्टो करेंसी लांच कर चुके हैं।भारत में क्रिप्टो करेंसी का सफर किसी रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं रहा है। क्रिप्टो करेंसी का प्रचलन बढ़ने से काले धन समेत कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बिट कॉयन में पिछले तीन वर्षों से निवेश का ट्रैंड बढ़ा। आंकड़ों से पता चलता है कि 1.5 करोड़ भारतीयों ने इसमें निवेश किया। क्रिप्टो करेंसी आने से लोगों के निवेश का तरीका बदल गया। जो लोग सोने में निवेश करते थे, उन्होंने इसमें निवेश करना शुरू कर दिया। वर्ष 2008 में सातोशी नाकामोटो के छद्म नाम से एक डिवेलपर ने बिटकॉइन की शुरूआत की थी। धीरे-धीरे कुछ अन्य क्रिप्टो करेंसी भी सामने आई। इसमें किसने कितना निवेश किया, इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आता। भारत में क्रिप्टो करेंसी को लेकर बहुत शोर मचा तो आरबीआई ने सर्कुलर जारी करके वर्चुअल करेंसी को लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर की और वित्त मंत्रालय ने चेतावनी जारी की कि वर्चुअल करेंसी लीगल टेंडर नहीं है। मार्च 2018 में सीबीडीटी ने वित्त मंत्रालय का वर्चुअल करेंसी पर प्रतिबंध के लिए एक ड्राफ्ट सौंपा। इससे हड़कम्प मच गया। क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगा दी गई, प्रतिबंध एक बड़ा झटका था। इसके चलते क्रिप्टो एक्सचेंजस ने सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल की। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को रद्द कर दिया और आरबीआई के सर्कुलर को गैर कानूनी घोषित कर दिया। बाद में यह फैसला लिया गया कि क्रिप्टो करेंसी का नियमन किया जाएगा। फ्रॉड रोकने के लिए और सीमा पार लेन-देन की निगरानी के​ लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं।29 जनवरी, 2021 को भारत सरकार ने घोषणा की कि वह स्वयं की डिजिटल मुद्रा शुरू करेगी और बाद में निजी क्रिप्टो करेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देगी। नवम्बर 2021 में वित्त मंत्रालय की स्थायी समिति ने क्रिप्टो करेंसी के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और निष्कर्ष निकाला कि क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा बल्कि इसे विनियमित किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022 का बजट पेश करते हुए डिजिटल ​करेंसी जारी करने का ऐलान किया था। सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इससे फायदा क्या होगा? वर्चुअल करेंसी लाने की बड़ी वजह मनी लॉड्रिंग और हवाला पर शिकंजा कसना है क्योंकि क्रिप्टो करेंसी हवाला कारोबार करने और ब्लैकमनी जमा करने का जरिया बन गया है। इसके साथ ही हर वर्चुअल करेंसी जो ऐप और अन्य माध्यम से चल रही है उसकी निगरानी आसान होगी। संपादकीय :'बूट पालिश ब्वाय' पुनः राष्ट्रपतिसभी बुजुर्ग प्रदूषण से बचेंआतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषाभवन-निर्माण, पर्यावरण व मजदूरगुजरात में नागरिक संहितासरदार पटेल और इन्दिरा गांधीदेश में हजारों करोड़ रुपए के नोट छापने में भी करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। दस साल पहले वर्ष 2012-13 में नोट छापने में 2872 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, वहीं पिछले साल 2021-22 में यह खर्च बढ़कर 4984 करोड़ रुपए हो गया। वहीं नोटबंदी वाले साल में नोट छापने का खर्च 7965 करोड़ रुपए हो गया था। पिछले वर्ष 997 कराेड़ रुपए के नोट खराब हो गए थे। डिजिटल रुपया आने से भारतीय मुद्रा की छपाई में कमी आएगी। दूसरे देशों को पैसा भेजने के शुल्क में 2 फीसदी तक कमी आएगी जो मौजूदा समय में 7 फीसदी से अधिक भुगतान करना पड़ता है। सरकार की योजना इसे भविष्य में यूपीआई से जोड़ने की है। डिजिटल रुपए में कई ऐसे फीचर होंगे, जिनसे ग्राहकों को फायदा होगा। जैसे मौजूदा समय क्रेडिट कार्ड पर ई-कॉमर्स कम्पनियां खरीद पर छूट की स्कीम देती हैं, वैसे ही डिजिटल रुपए पर मिलेगी। इसके इस्तेमाल के लिए किसी बैंक खाते की जरूरत नहीं होगी। विभिन्न स्तरों पर निवेश के लिए इसको इस्तेमाल में लाया जा सकेगा, जिसमे सरकार द्वारा डिजिटल रुपए के निवेश करने पर फायदे या छूट मुहैया होगी। इसके अलावा सेटलमेंट यानी किसी मामले में दो पक्षकार के बीच लेन-देन आसान होगा। यही नहीं, ग्राहकों के लिए इस्तेमाल में सहूलियत होगी। कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक, डिजिटल रुपया रखने की एक निर्धारित सीमा होगी। हालांकि यह मुमकिन है कि सीबीडीसी रखने के लिए बैंक खाता रखने की जरूरत नहीं होगी।महीने भर के ट्रायल में कई खामियां भी नजर आएंगी। साइबर अपराध रोकने के लिए भी आरबीआई को पुख्ता व्यवस्था करनी होगी। चीन और दक्षिण कोरिया समेत कई देश डिजिटल मुद्रा पेश करने की तैयारी में हैं। 60 देशों की दिलचस्पी भी डिजिटल रुपया लांच करने में है। भारत ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। आज की डिजिटल दुनिया में यह जरूरी भी है।

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