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नवभारत टाइम्स; कुछ दिनों पहले वित्त वर्ष 2023 में भारत की अनुमानित जीडीपी ग्रोथ को 7.4 से घटाकर 6.8 फीसदी करने के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ठीक ही कहा है कि 'जब दुनिया पर काले बादल छाए हैं तो भारत चमक रहा है।' 2022 में ग्लोबल इकॉनमिक ग्रोथ 3.2 फीसदी और 2023 में 2.7 फीसदी रहने का अनुमान है। ऐसे में 7 फीसदी से कुछ कम ग्रोथ काफी अच्छी कही जाएगी। लेकिन आईएमएफ ने सिर्फ इसी वजह से भारत के चमकने की बात नहीं कही है। उसने इस ग्रोथ की वजह डिजिटाइजेशन को माना है, जो एक स्ट्रक्चरल रिफॉर्म (ढांचागत सुधार) है। आईएमएफ ने खासतौर पर इस सिलसिले में डिजिटल आईडी यानी आधार की मदद से लोगों तक सरकारी सेवाओं को पहुंचाने का जिक्र किया है। डिजिटल इकॉनमी और रिन्युएबल एनर्जी के क्षेत्र में भी दुनिया को भारत से काफी उम्मीदें हैं।
एजेंसी ने भारत के डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) सिस्टम की तारीफ की। उसने कहा कि इससे दुनिया काफी कुछ सीख सकती है, यह किसी चमत्कार से कम नहीं। आईएमएफ की यह तारीफ यूं ही नहीं है। केंद्र सरकार ने डीबीटी के जरिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, पेंशन, किसान सम्मान निधि, सब्सिडी, स्कूली बच्चों और खिलाड़ियों को मदद दी है। 1 जून 2013 को शुरू हुए इस सिस्टम से अब केंद्र सरकार के तकरीबन 64 मंत्रालयों की सवा पांच सौ से भी अधिक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार ने 2020-21 में डीबीटी से 5.52 ट्रिलियन रुपये ट्रांसफर किए थे। ताजे आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 में डीबीटी ट्रांसफर बढ़कर 6.3 ट्रिलियन रुपये हो गया।
आईएमएफ से पहले वर्ल्ड बैंक ने भी भारत के डिजिटाइजेशन की प्रशंसा की थी। उसने भी कहा था कि बाकी देशों को डीबीटी जैसी व्यवस्था बनानी चाहिए। लेकिन ये संस्थाएं जिस डिजिटल इकॉनमी और डिजिटाइजेशन की बात कर रही हैं, वह सिर्फ डीबीटी तक ही सीमित नहीं है। यूपीआई, कोविन ऐप जैसी कामयाबियां भी भारत के नाम दर्ज हैं। इनकी खास बात यह है कि ये वेंचर सरकार ने शुरू किए। यूपीआई को सरकार के सपोर्ट से बनाया गया और फिर उसे निजी क्षेत्र के लिए खोला गया। देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने में इसका अहम योगदान रहा है। इधर सरकार ने ओएनडीसी के जरिये रिटेल क्षेत्र में एक पहल की है, जो छोटे कारोबारियों को मजबूत बनाएगी।
अगर यह प्रयोग भी कामयाब हुआ तो डिजिटल इकॉनमी में छोटे कारोबारियों की हिस्सेदारी बढ़ेगी और वे ऐमजॉन और वॉलमार्ट के नियंत्रण वाली फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के मुकाबले खड़ा हो पाएंगे। यह बात भी सही है कि भारत को डिजिटल इकॉनमी को आगे ले जाने के लिए कई और इनोवेशन करने होंगे और मौजूदा प्रोडक्ट्स में जो गड़बड़ियां पेश आ रही हैं, उन्हें दूर करना होगा। लेकिन इसके साथ जो भी देश ऐसे इनोवेशन को अपनाना चाहें, सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए। इनसे देश की सॉफ्ट पावर बढ़ेगी।