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by Lagatar News
Dr. Santosh Manav
अब यह लगभग तय है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष दिग्गी राजा होंगे. दिग्गी यानी दिग्विजय सिंह. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री. दिग्विजय क्यों-कैसे से पहले यह जान लीजिए कि चाहे प्रिंट हो, इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल हो-सबसे पहले "शुभम संदेश" और लगातार डॉट इन ने बताया था कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के अध्यक्ष हो सकते हैं. यह 23 सितंबर की बात है. उस समय दूर-दूर तक मीडिया में दिग्विजय सिंह का नाम नहीं था. अब 29 सितंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के साथ दिग्विजय सिंह का नाम लगभग फाइनल हो गया. सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की आलाकमान की इच्छा के खिलाफ जिस प्रकार अशोक गहलोत के समर्थक विधायक एकजुट हुए, उससे साफ हो गया था कि अशोक गहलोत अध्यक्ष नहीं बनना चाहते हैं. उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी प्यारी है. फिर दूसरा नाम कौन था ? अध्यक्ष उसे ही बनना था, जो राहुल-सोनिया गांधी का प्रिय हो. हिंदी प्रदेश से हो. जो प्रधानमंत्री को उन्हीं की भाषा में जवाब दे सके. तीनों अघोषित शर्त पर दिग्विजय खरे हैं. दिग्गी राजा राहुल गांधी को कितने प्रिय हैं, यह इस बात से ही जान लेना चाहिए कि राहुल गांधी की बहु प्रचारित भारत जोड़ो यात्रा के प्रभारी दिग्विजय सिंह हैं.
अब तक दिग्विजय सिंह और शशि थरूर ने ही पर्चा लिया है. आज, यानी 30 सितंबर पर्चा दाखिल करने का अंतिम दिन है. संभव है कि दिग्विजय सिंह और शशि थरूर के साथ – साथ कोई और नेता पर्चा भरे. 17 अक्टूबर को मतदान होगा. कांग्रेस के नौ हजार डेलीगेटस मतदान करेंगे. 19 को परिणाम आएगा. जीतेगा वही, जो राहुल गांधी का उम्मीदवार होगा. यह साफ है कि राहुल गांधी का उम्मीदवार कौन है! संभव यह भी है कि दिग्विजय इकलौते उम्मीदवार हों, ऐसे हालात में 30 सितंबर की देर शाम तक दिग्विजय सिंह के नाम की घोषणा हो जाएगी.
पर्चा भरने से पहले ही झारखंड में दिग्विजय सिंह का प्रचार जारी है. नौ हजार वोटरों में से लगभग चार सौ झारखंड के हैं. झारखंड के वोटरों को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के नेता ओंकारनाथ सिंह के फोन आ रहे हैं. वे यूपी कांग्रेस के पूर्व महासचिव हैं. वे फोन पर वोटरों से दिग्विजय सिंह को समर्थन देने की अपील कर रहे हैं. ओंकारनाथ सिंह झारखंड में कुछ समय रहे हैं. वे जिला अध्यक्ष चुनाव में कभी निर्वाचन पदाधिकारी बनकर आए थे. पर्चा भरने से पहले प्रचार का मतलब समझ सकते हैं!
दिग्विजय सिंह लंबे समय से गांधी परिवार से जुड़े हैं. उनका देश भर के बड़े-छोटे कांग्रेसजनों से संबंध है. लंबा राजनीतिक अनुभव है. वे दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं. इस कारण वोटिंग की स्थिति में भी उनका पलड़ा शशि थरूर से बेहद भारी माना जा रहा है. अभी के हालात में कहा जा सकता है कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष हो गए हैं. बस, घोषणा बाकी है. अध्यक्ष पद के एक वोटर ने शुभम संदेश से कहा: प्रदेश कमेटी यह प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष बनें. अगर मतदान की नौबत आई तो हम वही करेंगे, जैसा प्रदेश प्रभारी कहेंगे.

Rani Sahu
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