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भूपेंद्र सिंह| कोविड महामारी के कारण केंद्र सरकार ने पिछले साल की तरह इस साल भी सीबीएसई बोर्ड की 12वीं की परीक्षाएं न कराने का फैसला किया। 10वीं की परीक्षा न कराने का फैसला पहले ही कर लिया गया था। केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई राज्यों ने भी 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं न कराने का फैसला किया है। अपने देश में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं मील का पत्थर होती हैं। 10वीं के मुकाबले 12वीं की परीक्षा इसलिए ज्यादा महत्व रखती है, क्योंकि इस परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर ही छात्र कालेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिला पाते हैं। कुछ छात्र ऐसे होते हैं, जो मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। कई छात्र 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद विदेश पढ़ने भी जाते हैं। चूंकि पिछले साल कोरोना संक्रमण फैलने के पहले कुछ विषयों की परीक्षाएं हो गई थीं, इसलिए रिजल्ट तैयार करने में कुछ आसानी हुई थी। इस बार एक भी विषय की परीक्षा नहीं हो पाई है, इसलिए रिजल्ट तैयार करने में मुश्किल पेश आएगी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है। सीबीएसई बोर्ड की ओर से केंद्र सरकार ने जल्द ही छात्रों के मूल्यांकन का तरीका बताने को कहा है। देखना है कि सुप्रीम कोर्ट उससे संतुष्ट होता है या नहीं