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- अतिक्रमण पर अलग-अलग...
भूपेंद्र सिंह|दिल्ली की सीमा से सटे फरीदाबाद के खोरी गांव के दस हजार घरों में रहने वाले कोई एक लाख लोगों को उजाड़ने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश कानून के हिसाब से सटीक है, लेकिन यह एक सवाल भी खड़ा कर रहा है कि जिस तंत्र की लापरवाही से यह अवैध कब्जे का साम्राज्य खड़ा हुआ, वह ऐसी मानवीय त्रासदी में निरापद कैसे रह जाता है? शायद भारत के इतिहास में इतना बड़ा अतिक्रमणरोधी अभियान कभी नहीं चला होगा, जिसमें 35 धार्मिक स्थल, पांच स्कूल, दो अस्पताल, एक बड़ा बाजार सहित समूची बस्ती को उजाड़ा जा रहा है। यदि बारीकी से देखें तो समूची कार्रवाई उसी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है, जिसके कई ऐसे आदेशों पर राज्य सरकारें कुडली मार कर बैठी रही हैं। यह विचार करने का समय है कि यदि समस्त सरकारी जमीनों से सभी अवैध कब्जे हटा दिए जाएं तो देश का स्वरूप कैसा होगा? दिल्ली में ही अवैध कालोनियों को नियमित करने, झुग्गी बस्ती बसाने और विस्थापन पर नए स्थान पर जमीन देने, मुआवजा बांटने के तमाशे सालों से हर सरकारें करती रही हैं।