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संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका नया शीत युद्ध नहीं चाहता है
दोनों राष्ट्रपतियों ने कोरोना वायरस महामारी के मुकाबले में दुनिया की मदद करने की इच्छा जताई। अगर दुनिया उनकी बातों पर भरोसा करने की स्थिति में होती, तो यह सहज ही मान लिया जाता कि अब दुनिया में मौजूदा टकराव घटने की सूरत बन जाएगी। लेकिन हकीकत अलग है। Joe Biden Cold War
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका नया शीत युद्ध नहीं चाहता है। वह नहीं चाहता कि दुनिया फिर से दो खेमों में बंटे। उधर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी शांति और विकास की बातें कीं। अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर दिया। दोनों राष्ट्रपतियों ने कोरोना वायरस महामारी के मुकाबले में दुनिया की मदद करने की इच्छा जताई। अगर दुनिया उनकी बातों पर भरोसा करने की स्थिति में होती, तो यह सहज ही मान लिया जाता कि अब दुनिया में मौजूदा टकराव घटने की सूरत बन जाएगी। लेकिन हकीकत अलग है। दरअसल, एक ही दिन हुए इन भाषणों से ही ये संकेत भी साफ तौर पर मिला कि विश्व समस्याओं को देखने का इन दोनों देशों का नजरिया एक दूसरे के उलट है। जाहिर है, ऐसे में निकट भविष्य में इन दोनों के टकराव में कोई कमी आएगी, यह मानने का कोई आधार नहीं है। मसलन, बाइडेन की इस टिप्पणी पर गौर करें। उन्होंने वैश्विक व्यापार और टेक्नोलॉजी नेटवर्क की जटिल होती स्थितियों को संभालने के लिए 'नियम आधारित व्यवस्था' पर जोर दिया। 'आर्थिक जोर-जबर्दस्ती' का मुकाबला करने की जरूरत बताई।
लोकतंत्र बनाम तानाशाही सोच के अंतर्विरोध का जिक्र किया। आज के दौर में जब अमेरिकी नेताओं की तरफ से ये बातें जब कही जाती हैं, तो बेशक निशाने पर चीन होता है। बहरहाल, जब शी जिनपिंग की बारी आई, तो अपने लहजे में जवाब देने में उन्होंने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। कहा किलोकतंत्र कोई ऐसा विशेष अधिकार नहीं है, जिसे किसी खास देश के लिए आरक्षित कर दिया गया हो। अमेरिका पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि हाल की अंतरराष्ट्रीय घटनाओं ने फिर दिखा दिया है कि बाहर से सैनिक हस्तक्षेप और तथाकथित लोकतांत्रिक रूपांतरण से नुकसान के अलावा और कुछ नहीं होता। क्या इन बातों में कहीं तनाव घटाने की वास्तविक इच्छा नजर आती है? दोनों देशों के ये नजरिया उस समय सामने आया, जब अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रहा तनाव इस समय सारी दुनिया की चिंता का कारण है। बीते हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटारेस ने चेतावनी दी थी कि बढ़ रहे टकराव से नए शीत युद्ध का खतरा है। जाहिर है, संयुक्त राष्ट्र महासभा में दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के भाषण से ऐसा नहीं लगता कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील पर ध्यान दिया है।
क्रेडिट बाय नया इंडिया
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