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चंद दिनों में पड़ोसी देश के हालात तेजी से बदले हैं
बिपुल पांडे
चंद दिनों में पड़ोसी देश के हालात तेजी से बदले हैं. पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के खिलाफ लामबंद विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाई है. जिस पर पूर्व क्रिकेट कप्तान का पारा हाई है. विपक्ष की तिकड़ी को देश के प्रधान पानी पी-पीकर कोस रहे हैं. तिकड़ी को डीजल, डाकू और शोबाज कहकर बुला रहे हैं. तो साथ में नेशनल असेंबली में ट्रस्ट जीत लेने के बाद देख लेने की धमकी दे रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या इमरान खान की बौखलाहट के पीछे उनकी कुर्सी जाने का असल खतरा है? क्या अब इमरान खान की सरकार चंद दिनों की मेहमान रह गई है?
इमरान के पीछे पड़ी विपक्ष की तिकड़ी
कहा जाता है कि पाकिस्तान का लोकतंत्र एक धोखा है. यहां की अवाम को सरकार नचाती है और सरकार को पाकिस्तान की सेना नचाती है. सदियों से पाकिस्तान का सरकार जनरल बनाते बिगाड़ते रहे हैं और इस बार भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है. पाकिस्तानी विपक्षी दलों के अलायंस पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान..इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी इस गुट के साथ है. मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (F) के अध्यक्ष हैं. वो तालिबान के कट्टर समर्थक हैं. बताया जा रहा है कि उन्हें जनरल बाजवा का समर्थन मिला हुआ है. लेकिन विडंबना ये है कि 2018 के चुनाव को फजलुर रहमान ने धांधली वाला चुनाव बताया था और आरोप लगाया था कि सेना की शरण में जाकर इमरान खान बिना बहुमत के भी सत्ता में आ गए.
अविश्वास प्रस्ताव पर इमरान खान की बौखलाहट
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली विपक्ष की तिकड़ी पर हमला बोल दिया. हमला ही नहीं बल्कि अपशब्दों की भी बौछार लगा दी, जिससे पूरी दुनिया हैरान है. ये तिकड़ी है मौलाना फजलुर रहमान, आसिफ अली जरदारी और शेहबाज शरीफ की. इमरान ने फजलुर रहमान डीजल कहकर बुला रहे हैं. आसिफ अली जरदारी को डाकू बता रहे हैं और शहबाज शरीफ को शोबाज.
बलमबट के दीर स्काउट ग्राउंड में रैली में इमरान ने कहा कि मैं जनरल बाजवा से बात कर रहा था तो उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि मैं फजलुर को डीजल ना बोलूं. लेकिन मैं इकलौता नहीं हूं जो ये बोलता है. देश की जनता ने उन्हें डीजल नाम दिया है. इमरान की स्पीच सुनने के लिए लोअर दीर, अपर दीर और बाजौर के पीटीआई के कार्यकर्ता जुटे थे. उन्होंने इस्लामाबाद के D चौक पर लोगों को इकट्ठा होने को कहा और कहा कि ये शरीफ और शैतानों के बीच की लड़ाई है. इस लड़ाई में कोई न्यूट्रल नहीं रह सकता. न्यूट्रल लोग जानवर होते हैं.
क्या पाकिस्तान में उथल-पुथल के पीछे सेना है?
पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का लोकतंत्र बंदूक की नली से निकलता है. वहां का प्रधानमंत्री तभी तक कुर्सी पर रहता है, जब तक सेना चाहती है. और इस बार भी ये ही शोर है कि आखिर सेना किसके साथ है. इसपर सेना को बाकायदा सफाई देनी पड़ी है कि राजनीति से उसका कोई वास्ता नहीं. बावजूद इसके इमरान खान ने शुक्रवार की मीटिंग में सेना की तारीफ करके ये साफ कर दिया कि सबकुछ सेना ही तय करेगी और वो सेना से संजीवनी लेने के लिए उतावले हैं.
इमरान को यकीन है कि वो नेशनल असेंबली में जीतेंगे. उन्होंने कहा कि नो ट्रस्ट वोट की मांग पर ऐसा इनस्विंग यॉर्कर डालूंगा कि तीन विकेट एक साथ चटक जाएंगे. लेकिन नेशनल असेंबली में जीत के बाद तीनों मेरा प्रकोप देखेंगे. उनका आरोप है कि- 'नेशनल असेंबली के रूलिंग पार्टी के मेंबर को विपक्ष ने लाखों करोड़ों रुपये का ऑफर दिया है. जब मेंबर्स ने मुझे बताया तो मैंने कहा पैसे ले लो और लंगर खाना या यतीम खाने में दे दो.' अपने सरकार की कामयाबी बताते हुए इमरान हर जगह बता रहे हैं कि पिछली सरकार में 400 ड्रोन स्ट्राइक हुए, मेरे काल में ये ड्रोन स्ट्राइक पूरी तरह से रुक गए. इस वक्त पाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल UAE से भी सस्ता है, जहां तेल का उत्पादन होता है. लेकिन सच ये है कि सत्ता में उथल-पुथल का पीटीआई के काम और कार्यकाल से शायद ही कोई लेना देना है.
डीजल, डाकू और शोबाज क्या है?
मौलाना फजलुर रहमान को पाकिस्तान में डीजल कहा जाता है. वजह ये है कि वो बेनजीर भुट्टो सरकार में 1993 से 96 के बीच पेट्रोलियम मिनिस्टर थे. इस दौरान उनपर अफगानिस्तान से डीजल स्मगलिंग करने का आरोप लगा. पाकिस्तान की अवाम ने उनका नाम ही डीजल रख दिया. बेनजीर भुट्टो के शौहर और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ जरदारी को मिस्टर 10 परसेंट कहा जाता रहा है. यानी हर लेन-देन में उनकी 10 परसेंट दलाली फिक्स रही है. जबकि शहबाज शरीफ को पाकिस्तान की राजनीति में अब तक कोई खास कामयाबी नहीं मिली है. इसलिए तीनों को इमरान डीजल, डाकू और शोबाज कहकर चिढ़ा रहे हैं.
अविश्वास प्रस्ताव पर कब बहस होगी?
पाकिस्तानमें विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 22 मार्च से पहले संसद में बहस होनी है. क्योंकि 22 मार्च से 24 मार्च तक इस्लामाबाद में इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के विदेश मंत्रियों की मीटिंग होनी है. ये मीटिंग इमरान खान का भविष्य तय कर सकती है, क्योंकि अगर वो इस मीटिंग के जरिए पाकिस्तान में निवेश ला पाने में कामयाब रहे तो उन्हें अवाम में लोकप्रियता मिल सकती है. पाकिस्तान को पहले अमेरिका से 5000 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिलती है, लेकिन कुछ समय से ये आर्थिक मदद मिलनी बंद हो चुकी है.
दरअसल, पाकिस्तान के विपक्षी दल के नेता 8 मार्च को इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नेशनल असेंबली सचिवालय में जमा करा चुके हैं और असेंबली का सत्र बुलाने की मांग कर चुके हैं. अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला विपक्षी पार्टियों के साझा सम्मेलन में लिया गया था. जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियों के कुल 86 सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. हालांकि पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए विपक्ष को 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है. इसलिए तमाम विपक्षी पार्टियों और अलायंस ने अपने सांसदों को इस्लामाबाद में रहने का निर्देश दिया है.
नियम के मुताबिक, स्पीकर के पास मतदान के लिए सत्र बुलाने के लिए 3 से 7 दिन का वक्त होता है. यानी आने वाले तीन दिन इमरान सरकार के लिए भारी है. सूत्र बता रहे हैं कि इमरान की पार्टी में भी बगावत हो गई है. उनके सात सांसद नवाज शरीफ से मिलने लंदन चले गए हैं. यानी अबकी बार इमरान की राह बहुत मुश्किल लग रही है क्योंकि पार्टी के अंदर से लेकर बाहर तक के टारगेट पर इमरान हैं. बाजवा ने भी उनको विदा करने का मन बना लिया है.
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