सम्पादकीय

"अब हिमाचल मांगे केजरीवाल" के पोस्टरों ने क्या वाकई बजा दी खतरे की घंटी ?

Rani Sahu
7 April 2022 2:42 PM GMT
अब हिमाचल मांगे केजरीवाल के पोस्टरों ने क्या वाकई बजा दी खतरे की घंटी ?
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दिल्ली और पंजाब के बाद आम आदमी पार्टी क्या हिमाचल प्रदेश में भी एक बड़ी ताकत बनकर उभरने की तैयारी में है

नरेन्द्र भल्ला

दिल्ली और पंजाब के बाद आम आदमी पार्टी क्या हिमाचल प्रदेश में भी एक बड़ी ताकत बनकर उभरने की तैयारी में है? वहां भी गुजरात के साथ ही इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की जोड़ी ने बुधवार को जिस तरह से चुनाव से महीनों पहले ही अपनी ताकत दिखाने का शंखनाद किया है, उससे राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के नेताओं की नींद उड़ना स्वाभाविक है. इस पहाड़ी राज्य में इन दोनों ही पार्टियों का दबदबा रहा है और हर पांच साल में यहां सत्ता बदलने का रिवाज़ भी रहा है.
बताते हैं कि केजरीवाल ने करीब तीन साल पहले ही वहां के लोगों की इस नब्ज को समझ लिया था कि वे बदलाव तो चाहते हैं लेकिन मजबूरी ये है कि उनके पास इन दोनों पार्टियों के अलावा कोई तीसरा विकल्प मौजूद नहीं है. लिहाज़ा, केजरीवाल ने तीसरा विकल्प बनने के लिए तभी से प्रदेश में जिला स्तर पर अपनी पार्टी को खड़ा करना शुरू कर दिया जिसमें ऐसे चेहरों को जोड़ा गया, जिन्हें भले ही कम लोग जानते हों लेकिन उनकी छवि साफ सुथरी व बेदाग हो.
हिमाचल में प्रयोग दोहराने की कोशिश
इससे पहले केजरीवाल ने दिल्ली और फिर पंजाब में भी यही प्रयोग करके सत्ता में काबिज होने में कामयाबी पाई है. याद कीजिये कि पंजाब के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाने वाले एक साधारण युवक ने हरा दिया. इससे जाहिर होता है कि बदलाव की उम्मीद रखने वाली जनता किसी चेहरे को नहीं देखती बल्कि वो केजरीवाल की बातों और उनके वादों पर भरोसा करते हुए ही आप उम्मीदवारों को वोट देकर उन्हें जिता देती है. केजरीवाल अब वही प्रयोग हिमाचल प्रदेश में दोहराने की तैयारी में हैं. मंडी में उनकी तिरंगा यात्रा वाले रोड शो में जैसी भीड़ जुटी है, उसे लेकर वहां के राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि केजरीवाल की पार्टी ने बेहद खामोशी के साथ बूथ स्तर तक अपने कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कर ली है जिसमें युवा लड़के-लड़कियों की संख्या ज्यादा है. पूरे मंडी को "अब हिमाचल मांगे केजरीवाल" के बड़े-बड़े होर्डिंग्स से जिस तरह से पाटा गया था, उससे संकेत साफ है कि प्रदेश में आम आदमी पार्टी सिर्फ तीसरी नहीं बल्कि एक बड़ी ताकत बनते हुए दिख रही है.
भ्रष्टाचार को खत्म करने पर पूरा फोकस
हिमाचल की राजनीति समझने वाले जानकार ये भी मानते हैं कि महंगाई और स्वास्थ्य-शिक्षा जैसे मुद्दों के अलावा प्रदेश में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा है क्योंकि हर पांच साल में सरकार तो बदल जाती है लेकिन भ्रष्टाचार में कोई कमी आते हुए नहीं दिखी. शायद यही वजह थी कि केजरीवाल ने अपने रोड शो के बाद हुई जनसभा में बेहद छोटा भाषण दिया लेकिन उनका सारा फ़ोकस भ्रष्टाचार खत्म करने और नये स्कूल-अस्पताल बनाने पर ही था. अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हम आम लोग हैं, हम राजनीति करना नहीं जानते हैं. हम लोगों के लिए काम करना, स्कूल बनाना और भ्रष्टाचार खत्म करना जानते हैं. भगवंत मान के सीएम बनने के बाद सिर्फ 20 दिनों में हमने पंजाब में भ्रष्टाचार खत्म कर दिया.यकीन नहीं होता तो वहां अपने रिश्तेरदारों से पूछो.कोई रिश्वत नहीं मांगता.जो पैसा खाएगा, सीधा जेल जाएगा. अब हिमाचल में भ्रष्टाचार खत्म होगा. दिल्ली में सरकारी स्कूल शानदार कर दिए. सरकारी स्कूलिंग को ठीक कर दिया. अब हिमाचल की चाबी आपके हाथ में है और यहां भी क्रांति होनी चाहिए."
विश्लेषक कहते हैं कि केजरीवाल की कामयाबी का एक बड़ा राज ये है कि वे जनता के मनोविज्ञान को पढ़ना-समझना जानते हैं कि लोग नेताओं के बहुत बड़े व खोखले वादों को सुनने में दिलचस्पी नहीं रखते. दरअसल,जनता सिर्फ अपने मतलब और फायदे की बात सुनना पसंद करती है और इसमें केजरीवाल अक्सर बाजी मार ले जाते हैं. मंडी में महज पांच मिनट के दिये अपने भाषण में वे मतलब की बात कहने के साथ ही लोगों को ये याद दिलाना नहीं भूले कि "यहां 20 साल कांग्रेस ने और बीजेपी ने 17 साल राज किया लेकिन कुछ नहीं हुआ, हमें आप बस एक मौका दे दीजिए, आप सभी पार्टियों को जानते हैं, हमें राजनीति करनी नहीं आती, स्कूल और अस्पताल बनवाने आते हैं." वे इन बातों को इतनी मासूमियत के साथ जनता के सामने कहते हैं कि एक बड़ा तबका उनकी कही बातों पर यकीन करने के लिए मजबूर हो जाता है और चुनाव में वही आप के सबसे बड़े वोट बैंक में तब्दील भी ही जाता है.
हिमाचल प्रदेश में अब तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होता आया है लेकिन इस बार न सिर्फ इसके त्रिकोणीय होने के आसार हैं,बल्कि बीजेपी और कांग्रेस को अपने वोट बैंक में खासी सेंध लगने का खतरा अभी से सताने लगा है.हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के 43, कांग्रेस के 22, सीपीआईएम का एक और दो सदस्य निर्दलीय हैं.
Rani Sahu

Rani Sahu

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