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गलत दांव खेल गए मुख्यमंत्री चन्नी?
ओम तिवारी।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट (Franklin D. Roosevelt) ने कभी कहा था कि राजनीति में कुछ भी अपने आप नहीं होता, यदि ऐसा होता है तो आप दावे के साथ कह सकते हैं कि इसकी योजना ही ऐसी बनाई गई थी. रूज़वेल्ट का ये बयान काफी मशहूर हुआ क्योंकि पूरे विश्व में राजनीति का इतिहास और राजनेताओं के कारनामे कुछ ऐसे ही रहे हैं. तो अमेरिका से सीधे भारत लौटते हैं. और समझने की कोशिश करते हैं कि क्या पंजाब (Punjab) के फिरोजपुर में बुधवार को जो हुआ उसके पीछे भी राजनीति थी? क्या पीएम मोदी (PM Modi) की सुरक्षा में सेंध भी सुनियोजित था?
सवाल ये है कि अगर इसके पीछे कोई चाल थी तो किसी को फायदे की उम्मीद भी रही होगी. लेकिन किसका फायदा? प्रधानमंत्री की सुरक्षा से खिलवाड़ कर आखिर कौन सियासी फ़ायदे की उम्मीद लगा रहा था? सोशल मीडिया पर छिड़े घमासान से हटकर कुछ सवालों के जरिए इसे समझने की कोशिश की जा सकती है.
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक से किसको क्या फायदा
ये बात सभी जानते हैं कि पंजाब में सत्ता की बागडोर अभी कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के हाथों में है. और राज्य में चुनावी दौर के वक्त एसपीजी और आईबी के अलावा प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस पुलिस के पास थी उसकी चाबी भी मुख्यमंत्री चन्नी के पास है. तो सीधे लफ्जों में कहें तो चूक का कसूरवार या तो पुलिस है या मुख्यमंत्री खुद हैं. लेकिन घटना को पहले ही कुदरती बता चुके सीएम तो इस बात पर अड़े हैं कि ये सुरक्षा में सेंध का मामला ही नहीं है. यानि कि उनकी नजर में तो पुलिस की कोई गलती ही नहीं है. तो फिर बच गए खुद सीएम. क्या ऐसा हो सकता है कि ये सब उनके इशारे पर हुआ? लेकिन क्यों? इससे उन्हें क्या हासिल हो सकता है?
इसमें कोई शक नहीं कि पंजाब के एक्सीडेंटल चीफ मिनिस्टर बनने के बाद किसी भी दूसरे राजनेता की तरह चरणजीत सिंह चन्नी भी चाहते होंगे कि चुनाव के बाद अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बने तो दोबारा मुख्यमंत्री की गद्दी उन्हें मिले. लेकिन मुश्किल ये है कि आलाकमान ने अभी तक कांग्रेस के सीएम कैंडिडेट के नाम का ऐलान नहीं किया है. कयास तो कई तरह के लगाए जा रहे हैं लेकिन मुमकिन है कि चुनाव से पहले किसी नाम का ऐलान ही न हो.
ऊपर से पंजाब कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू उनके सिर पर किसी तलवार की तरह लटके हैं. दोनों के बीच बयानों के तीर चल रहे हैं. सिद्धू को उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा यकीन है कि पार्टी की सरकार बनी तो बाजी वही मार ले जाएंगे. क्योंकि राजनीति के मैदान में भी वे क्रिकेट की तरह बिंदास बल्ला घुमाते हैं, फिर या तो गेंद बाउंड्री के पार होगी या फिर आउट होकर पैवेलियन वापस. और अब तो वे आप को टक्कर देने के लिए केजरीवाल की फ्री स्कीम भी पंजाब के चुनावी मैदान में उतार चुके हैं. क्योंकि सिद्धू को पता है कि जो दिखता है वो बिकता है.
ऐसे में हो सकता है चन्नी को ये डर सताने लगा हो कि कहीं चुनाव के बाद वे 'चवन्नी' न साबित हो जाएं. लेकिन वहीं अगर कांग्रेस आलाकमान का हाथ उनके सिर पर पड़ जाए तो कुर्सी पर वे विराजमान होंगे और किनारे सिद्धू लगेंगे. दिक्कत बस ये कि वे जानते हैं कि अभी पंजाब में उनका पलड़ा जरा हल्का है. ज्यादातर लोग उन्हें नौसिखिया सीएम मानते हैं. जनता अगर पार्टी को दोबारा सरकार बनाने का मौका देती है तो चुनावी वादों की झड़ी लगाने वाले सिद्धू सारा श्रेय लेकर सीएम पद पर अपना ठोक देंगे. तो क्या ऐसा मुमकिन है कि कांग्रेस हाईकमान की नजर में अपना कद बढ़ाने की बेसब्री में चन्नी ने अपना सबसे बड़ा दांव खेल दिया? पंजाब में किसानों से प्रधानमंत्री की किरकिरी कराने के चक्कर में उन्होंने उनकी सुरक्षा से ही खिलवाड़ कर दिया?
पीएम की सुरक्षा में चूक कांग्रेस को भारी पड़ सकती है
अब हकीकत क्या है ये तो बस सीएम जानते होंगे या फिर उनकी पुलिस जानती होगी. लेकिन अगर ऐसा है तो एक बार फिर वे सियासत में नौसिखिए ही साबित हुए. क्योंकि पीएम के काफिले के ईर्द-गिर्द नारेबाजी और काले झंडे दिखाना एक बात होती है और रास्ता जामकर कर उनके काफिले को घेर लेना दूसरी बात होती है. और ये दूसरी वाली बात राष्ट्रीय सुरक्षा की श्रेणी में आती है. लेकिन ये बात अब भी सीएम साहब को समझ में नहीं आ रही, इसलिए न तो अब तक पंजाब में किसी बड़े पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई है और न ही वे इसे पीएम की सुरक्षा में चूक मानने को तैयार हैं.
और तो और कांग्रेस के दूसरे नेता भी मामले की गंभीरता को समझने के बदले आदतन राजनीतिक छींटाकशी में व्यस्त नजर आ रहे हैं. कोई पीएम से उनके 'जोश' के बारे में पूछ रहा है तो कोई इस पूरी घटना को उनके 'कर्म' का नतीजा बता रहा है. जो बात उन्हें नहीं समझ आ रही है कि भीड़ का अपना कोई तंत्र नहीं होता. अगर सुरक्षा में चूक के दौरान कोई अनहोनी बात हो जाती तो क्या होता?
अगर पंजाब में किसी 'साजिश' या 'सुनियोजित योजना' के तहत पीएम के काफिले को घेरा गया तो इसकी हकीकत सामने आनी ही चाहिए. क्या काफिले के रास्ते की जानकारी लीक हुई? अगर हां तो किसने लीक की? क्या पंजाब पुलिस एसपीजी की जरूरत के मुताबिक पीएम को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रही? क्या बुधवार को फिरोजपुर में पीएम के सुरक्षा प्रोटोकॉल में कोई ऐसा बदलाव किया गया जो पहले कभी नहीं हुआ था? इन सवालों का सच सामने आना जरूरी है. क्योंकि कांग्रेस के नेता भले ही इसे महज एक सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हों. जनता के दिमाग ये सारे सवाल घूम रहे हैं. जिनका जवाब वे ढूंढ ही निकालेंगे. और ये जवाब कांग्रेस को बड़ा भारी पड़ सकता है.
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