- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- आए दिन दस्त नवाचार के
हे मेरे ऑफिस के मुझे जबरदस्ती ऑफिस का काम करने को मजबूर करने वाले बेशर्म, बेहया, गंदे, बदतमीज कर्मियों। पता नहीं क्यों आज तुम्हें अपना सह कर्मी कहते, अपने को तुम्हारा सह कर्मी बताते मुझे अपने से घिन्न आ रही है। वैसे तो तुम्हारे लाख काम करने के कहने के बाद भी मैंने आज तक इस ऑफिस में तिनका तक इधर से उधर न किया ताकि तुम फिर मुझे ऑफिस का काम करने को कहने से पहले दस बार सोचो। पर अब मैं यहां कोई काम करने वाला नहीं। इसलिए नहीं कि अब मैंने अपनी बदतमीजी में और इजाफा कर लिया है। इसलिए कि इस ऑफिस में पुराने हेड साहब के जाने के बाद जो नए हेड साहब आए हैं, वे मेरी बिरादरी के हैं। गया पुराना साहब! गया पुराना जमाना पुराने हेड साहब के साथ ही जो मुझसे ऑफिस का काम करवाने को मुझसे दिन में पचास पाचस बार गालियां सुनता था। वह था ही इसी लायक। जिसका ऑफिस है, वह अपने ऑफिस में काम करे। कामचोरों को जो कोई साहब काम करने के लिए तंग करेगा तो वह मुझ जैसों से गालियां नहीं सुनेगा तो क्या मेरे जैसे उस पर फूल बरसाएंगे! हे मेरे ऑफिस के पिछले साहब के मुंह लगे बदतमीजो! अब मेरा तुमसे इंच इंच हिसाब करने का समय आ गया है। अब तो मैं तुमसे मुझसे न की गई बदतमीजियों का भी पाई पाई हिसाब लेकर रहूंगा ताकि फिर कभी तुम मेरे जैसों को हमारे हिस्से के काम करने को कहने से पहले सौ बार सोचो।
By: divyahimachal