सम्पादकीय

मणिपुर पर संवाद जरूरी

Triveni
26 Jun 2023 12:29 PM GMT
मणिपुर पर संवाद जरूरी
x
सुलह कराने के प्रयास अभी तक बेनतीजा रहे हैं.
पिछले लगभग दो महीने से अशांत मणिपुर की हालत पर केंद्र सरकार का 18 राजनीतिक दलों के साथ पहली बार सर्वदलीय बैठक करना सही दिशा में उठाया गया एक कदम है. विपक्षी दल पिछले कुछ समय से लगातार मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को हटाने और वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे हैं. गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति शासन की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि अभी यह कोई विकल्प नहीं है. हालांकि, मुख्यमंत्री को हटाने के विषय पर उन्होंने कुछ नहीं कहा. दरअसल, मणिपुर में हिंसा भड़कने के समय और उसके बाद अशांति जारी रहने के बाद प्रदेश सरकार की नेतृत्व क्षमता को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. वहां इंफाल घाटी के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और पहाड़ी इलाकों में बसे कुकी-जोमी जनजातियों के बीच सुलह कराने के प्रयास अभी तक बेनतीजा रहे हैं.
गृह मंत्री शाह ने तीन मई को भड़की हिंसा के लगभग एक महीने बाद तीन दिन का मणिपुर दौरा कर एक शांति समिति बनाने का सुझाव दिया था, मगर कुकी समुदाय ने समिति में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की मौजूदगी का विरोध करते हुए इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया. गृह मंत्री के मणिपुर दौरे के लगभग एक महीने बाद भी वहां स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है. गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में पहली बार हिंसा से जुड़े औपचारिक आंकड़े भी पेश किये गये. बैठक में बताया गया कि तीन मई से भड़की हिंसा में अब तक कुल 131 लोग मारे गये हैं. अब तक कुल 5,889 प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं तथा 144 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
केंद्र ने बताया कि प्रदेश में अब तक 36,000 सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है और भारतीय पुलिस सेवा के 40 अफसरों को वहां भेजा गया है. मणिपुर में दोनों मुख्य समुदायों और राजनीतिक दलों के बीच आपसी भरोसे की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार को सक्रिय होना पड़ा है. विपक्षी दल प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठा रहे हैं, मगर गृह मंत्री ने बैठक में स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री को अमेरिका दौरे में भी स्थिति से अवगत कराया जाता रहा और गृहमंत्री होने के नाते स्थिति को नियंत्रित करना उनकी जिम्मेदारी है. मणिपुर में हिंसा का दौर समाप्त हो, इसके लिए देश की सभी पार्टियों का दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर आपस में एकजुटता दिखाना जरूरी है. उन्हें एक स्वर में न केवल मणिपुर, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत को यह संदेश देना चाहिए कि किसी भी मतभेद का हल आपसी संवाद से ही संभव है और इसके लिए सबसे पहले हिंसा रुकनी जरूरी है

CREDIT NEWS: prabhatkhabar

Next Story