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- हिमालयी क्षेत्र में...
भारत की उत्तरी सीमा के क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार ने निर्माण कार्य तेज कर दिया है। नई सड़कें बनाई जा रही हैं। पुलों व सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। हवाई पट्टियां भी विकसित की जा रही हैं। इन संरचनाओं का लाभ सेना के साथ-साथ आम जनता को भी मिलता है। इससे पहले तिब्बत के साथ लगती भारतीय सीमा का क्षेत्र विकास के मामले में अवहेलना का शिकार था। यह स्वीकारोक्ति स्वयं सबसे लंबे समय तक रक्षा मंत्री रहने वाले एके एंटोनी ने 2012 में संसद में की थी। सरकार ऐसा क्यों कर रही थी, इसका कारण एंटोनी ने यह बताया था कि यदि भविष्य में चीन से टकराव होता है तो वह भारतीय क्षेत्र में घुस कर इन संरचनाओं का लाभ उठा सकता है। लेकिन अब नरेंद्र मोदी सरकार की नीति इस भय को लेकर बदल गई है। इसलिए निर्माण कार्य भी तेज़ी से शुरू हो गया है। गलवान घाटी में चीन के साथ ख़ूनी झड़प का मुख्य कारण यही था कि वहां भारत सरकार सड़क का निर्माण कर रही थी, जिसे चीन पचा नहीं पा रहा था। उसने बलपूर्वक सड़क निर्माण कार्य को रोकने का प्रयास किया, जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच प्राणघातक झड़पें हुईं। चीन को वह भारत अनुकूल लगता है जो हिमालय के साथ-साथ लगती अपनी उत्तरी सीमा को लेकर गफलत में सोया रहे। भारत विकास करता है तो कुछ देशों को चुभता है। वे उसे रोकने के ऐसे निरामिष तरीक़ों का इस्तेमाल करते हैं जिससे उनकी असली मंशा पर किसी को शक न हो।